ट्रम्प और हथियारों की संधि से निकलना
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प जनवरी 2017 से जब से सत्ता संभाली है तब से एकपक्षीयवाद, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की अनदेखी और अंतर्राष्ट्रीय नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
ट्रम्प सरकार की विशेषताओं में से हथियारों की संधि सहित अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से निकलना भी है।
ट्रम्प ने मध्यम दूरी के परमाणु हथियारों के समझौते से निकलने के लिए वर्ष 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस द्वारा उनके समर्थन के आरोपों को रद्द करने, अमरीका की परमाणु क्षमताओं को मज़बूत करने के अपने लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने, रूस के परमाणु शस्त्रागारों को कमज़ोर करने तथा रूस पर आरोप लगाने जैसी नीतियों का सहारा लिया।
यह पहला समझौता नहीं है जिससे अमरीका निकला हो। या यूं कहा जाए कि आईएनएफ़ समझौता पहला समझौता नहीं है जिससे अमरीका निकला हो बल्कि उन्होंने हथियारों के समझौते से निकलने की घोषणा की और कहा कि वह इस प्रकार के नियम और अंतर्राष्ट्रीय समझौते का अनुसरण नहीं करते।
अलबत्ता वाशिंग्टन और मास्को, कई साल से एक दूसरे पर इस समझौते के उल्लंघन का आरोप लगा रहे थे। अमरीका की इस कार्यवाही को बहाना बनाकर रूस ने एक नये क्रूज़ मीज़ाइल को लॉंच करने की हालत में कर दिया जिससे समझौते का उल्लंघन हुआ। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि इन कार्यवाहियों ने अमरीका को पूर्वी एशिया में चीन के मीज़ाइल भंडारों से मुक़ाबले के लिए नवीन हथियारों के विस्तार की कार्यवाही से रोक दिया था क्योंकि इस समझौते पर प्रतिबद्धता ने अमरीका के हाथ बांध रखे थे।
दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से अमरीका के निकलने की आलोचना हो रही है। अमरीकी विशेषज्ञ कंट्रीमैंन का कहना है कि हथियारों के व्यापार के संयुक्त राष्ट्र संघ के समझौते से अमरीका के निकलने से अमरीका की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वाशिंग्टन ने 2 फ़रवरी 2019 को इस रणनैतिक समझौते समाप्त करने की घोषणा करते हुए कहा कि रूस इस समझौते पर प्रतिबद्ध रहता है तो इस शर्त के साथ अमरीका इस समझौते में बाक़ी रहेगा और इस हवाले से उसने छह महीने की मोहलत दे दी।
रूस ने भी जवाबी कार्यवाही करते हुए कहा कि अमरीका ने इस समझौते का उल्लंघन किया है इसीलिए राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन के आदेश पर पूर्वी यूरोप में एंटी मीज़ाइल सिस्टम लगाने, टैकटिक परमाणु बम बी-61 को अपग्रेड करने और यूरोप में सशस्त्र ड्रोन विमान तैनात की घोषणा कर रहा है और साथ ही उसने मध्यम दूरी के मीज़ाइल समझौते को समाप्त करने का एलान कर दिया।
अभी एक दूसरे पर आरोप और धमकियों का दौर ही चल रहा था कि अमरीका ने मध्यम दूरी के मीज़ाइल समझौते आईएनएफ़ से निकलने की घोषणा कर दी। इस संबंध में अमरीका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने शुक्रवार 2 अगस्त 2019 को आधिकारिक रूप से इस समझौते से अपने देश के निकल जाने की घोषणा और इसका ठीकरा रूस के सिर फोड़ दिया।
माइक पोम्पियो ने अपने ट्वीट में यह दावा दोहराते हुए कि रूस आईएनएफ़ संधि पर प्रतिबद्ध नहीं है, लिखा कि 2 फ़रवरी 2019 को अमरीका ने रूस को छह महीने की मोहलत दी है कि वह मध्यम दूरी के परमाणु मीज़ाइल निषेध समझौते पर अमल करे किन्तु रूस ने विरोध किया, आज के बाद से यह समझौता समाप्त हो गया, अमरीका उस समझौते का हिस्सा नहीं होगा जिसका दूसरा पक्ष उस पर अमल न करे, इस समझौते के टूटने की ज़िम्मेदारी केवल और केवल रूस पर जाती है।
ट्म्प सरकार और उसका अनुसरण करते हुए नैटो ने रूस पर आईएनएफ़ समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया और दावा किया कि रूस ने 9 क्रूज़ एम-729 मीज़ाइल जो परमाणु वार हेड ले जाने में सक्षम है और जिनकी मारक क्षमता 500 किलोमीटर से अधिक है, बना लिए हैं।
यह ऐसी हालत में है कि रूस ने इस दावे का खंडन किया। रूस के विदेशमंत्रालय ने वाशिंग्टन की इस कार्यवाही पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शुक्रवार 2 अगस्त से उसके और अमरीक के बीच होने वाला आईएनएफ़ मीज़ाइल समझौता समाप्त हो रहा है।
यहां पर रूस भी चुप नहीं रहा, रूस के उप विदेशमंत्री सर्गेई रियाब कोफ़ ने भी अमरीका के उल्लंघनों की जमकर आलोचना की ।
अमरीका और सोवियत संघ के बीच दिसम्बर 1987 में आईएनएफ़ समझौता हुआ था। इस समझौते के अंतर्गत दोनों पक्षों को क्रूज़ और बैलेस्टिक मीज़ाइलों को तबाह करना था और दोनों ही पक्ष 500 से 5500 किलोमीटर तक मार करने वाले क्रूज़ और बैलेस्टिक मीज़ाइलों में तैनात न करने पर सहमत हुए थे।
अमरीका और रूस के बीच आईएनएफ़ समझौता रद्द होने की वजह से यूरोप को बहुत चिंता हुई क्यों कि एक बार फिर वह यूरोपीय महाद्वीप में होने का साक्षी होगा। अमरीका और रूस के बीच हथियारों की प्रतिस्पर्धा शुरु हो जाएगी। आईएनएफ़ समझौते के रद्द होने के बाद यूरोप के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच हथियारों की होड़ शुरु होने की ओर से सचेत किया और कहा कि यूरोपीय महाद्वीप को इस समझौते के रद्द होने की भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
बहरहाल डोनल्ड ट्रम्प जब से सत्ता में पहुंचे हैं तब से उन्होंने एक एक करके अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से निकलना शुरु कर दिया। ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी का कहना है कि अमरीका ने परमाणु समझौते से निकलकर ईरान पर आर्थिक दबाव बढ़ाना शुरु कर दिया।
अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से अमरीका के निकलने से न केवल उसकी साख को बट्टा लगेगा बल्कि इससे दुनिया की शांति और सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी और यही वह चीज़ है जिसकी ओर ईरान सहित दुनिया के अधिकारी इशारा कर चुके हैं। (AK)