Nov २७, २०१९ १५:३८ Asia/Kolkata

आम अमरीकियों के दिमाग़ में "शस्त्र" शब्द, सदा रहने वाला शब्द है। 

अमरीकी संस्कृति में हथियारों का रखना कोई विचित्र बात नहीं है बल्कि यह तो अमरीकी इतिहास में अब रचबस चुका है।  अगर अमरीका के इतिहास का आरंभ से अध्धयन किया जाए तो कुछ परिस्थितियों के हिसाब से वहां पर हथियार रखना अपरिहार्य सा दिखाई देता है।  वास्तविकता यह है कि अमरीका के भीतर पाई जाने वाली अस्थितरता और जातिवादी भेदभाव के कारण वहां पर हथियार रखना एक ज़रूरत बन चुका है।

अपनी कृषि भूमियों की सुरक्षा के लिए अमरीकी ज़मीदार हथियार रखा करते थे क्योंकि गुंडे-मवालियों का डर हर समय लगा रहता था।  इस प्रकार अमरीका में शस्त्र, अस्तित्व की आवश्यकता में परिवर्तन हो चुके हैं।  वर्तमान समय में अमरीकी समाज में व्याप्त असुरक्षा के भय ने हथियारों की संस्कृति को अधिक विस्तृत किया है।  व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए अमरीकी, अधिक से अधिक हथियार रखना चाहते हैं।  यही कारण है कि अमरीका में हथियार बनाने वाली कंपनियां नित नए हथियार बनाकर बाज़ार में भेजती रहती हैं।  वहां पर एक प्रकार से कंपनियों के बीच हथियार बनाने की होड़ सी लगी हुई है।

सन 2017 में जनेवा में "द स्माल आर्म सर्वे" शीर्षक के अन्तर्गत किये गए शोध से पता चला कि संसार में एक अरब से अधिक (सलाहेगर्म) मौजूद हैं।  इन एक अरब हथियारों में से 85 प्रतिशत हथियार, आम लोगों के हाथों में हैं जबकि बाक़ी बचे 15 प्रतिशत सेनाओं और सुरक्षाबलों के पास हैं।  इस रिपोर्ट के अनुसार अमरीकियों के पास 270 मिलयन निजी हथियार हैं।  इस प्रकार हर 100 अमरीकियों के पास 120 हथियार मौजूद हैं।

"द स्माल आर्म सर्वे" शीर्षक के अन्तर्गत किये गए शोध से जुड़े एक सदस्य "Aeron curp" एरन कार्प का मानना है कि संसार में व्यक्तिगत रूप में सबसे अधिक हथियार अमरीका में पाए जाते हैं।  वे कहते हैं कि अमरीकी, प्रतिवर्ष लगभग 14 मिलयन नए हथियार, आयात करते हैं।  अमरीका के भीतर अपराधों और हिंसा में लगातार हो रही वृद्धि का प्रमुख कारण, आम लोगों के पास हथियारों का पाया जाता है।  विशेष बात यह है कि वहां पर एसे बहुत से लोग हैं जो हथियार चलाना नहीं जानते किंतु अपने पास हथियार रखते हैं।  अमरीका में आम  लोगों के पास बड़ी संख्या में हथियारों की उपस्थिति ने इस देश की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर ख़तरे में डाल दिया है।  इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि मनुष्य के मूल अधिकारों में शामिल निजी सुरक्षा जैसे मूल अधिकार का वहां पर खुलकर हनन हो रहा है।  एक अमरीकी केन्द्र "सीडीसी" अर्थात "सेंटर्स फार डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन" की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में प्रतिवर्ष 30000 लोग हथियारों की भेंट चढकर मर जाते हैं।  इस रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में प्रतिवर्ष 700 से अधिक लोग हथियारों की सफाई या किसी अन्य दुर्धटनावश मारे जाते हैं।

अमरीकी संविधान का दूसरा पूरक, अमरीकियों के लिए हथियार रखने और उसे लेकर चलने का समर्थन करता है।  हालांकि हथियारों के स्वंतत्र व्यापार के बारे में अमरीकी सरकार की ग़लत नीतियां के ही कारण वहां की पुलिस छोटी-मोटी झड़पों में संदिग्ध लोगों के विरुद्ध हथियारों का प्रयोग करती है।  हथियारों की आज़ादी के क़ानून ने अमरीकी पुलिस अधिकारियों को बहुत कायर बना दिया है।  अब हाल यह हो गया है कि अमरीकी पुलिस किसी की ओर से की जाने वाली छोटी से छोटी गतिविधि पर उसे गोली का निशाना बना लेती है विशेषकर जब सामने वाला अश्वेत या किसी एशियन या लैटिन अमरीकी मूल का हो।  अमरीकी पुलिस सामान्यतः अश्वेतों को एक ख़तरे के रूप में देखती है।  यही कारण है कि जब भी एसा कोई व्यक्ति संदिग्ध परिस्थिति में उन्हे दिखाई देता है तो उसके विरुद्ध वे हथियारों का प्रयोग करते हैं।

अमरीकी पुलिस की इस प्रकार की कार्यवाही के कारण इस देश में मौजूद अल्पसांख्यकों विशेषकर अश्वेतों में भय का माहौल पैदा हो गया है।  अमरीका के तीन राज्यों न्यूयार्क, एलीनोएज़ तथा कैलिफ़ोर्निया में पुलिस की हिंसा तुल्नात्मक रूप में अधिक है।  अमरीका में पुलिस की हिंसा के ही कारण प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है।  इस दिन अमरीकी पुलिस की हिंसा के विरुद्ध रैलियां निकाली जाती हैं।

एक अमरीकी सामजशास्त्री काब्लर के अनुसार देश में पुलिस की हिंसा का मुख्य कारण प्रशासनिक विभागों की ओर से इस विषय का उचित प्रबंधन न करना है।  उनके अनुसार और भी कारण हो सकते हैं किंतु सबसे प्रमुख कारण यही है।  अमरीकी पुलिस की हिंसा के ही कारण वहां के आम जनमत में पुलिस को निश्पक्ष नहीं समझा जाता।

वाशिग्टन टाइम्स ने सन 2014 में अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि अमरीकी पुलिस को इस स्थिति में आधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है कि जब इस बात की उचित ढंग से समीक्षा नहीं की गई है कि वे इसको कैसे प्रयोग करेंगे।  दूसरी बात यह है कि इस बात की भी स्पष्ट जानकारी नहीं ली गई कि जो पुलिस अधिकारी इन शस्त्रों का प्रयोग करने वाले हैं वे हैं कैसे? इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुलिस को प्रशिक्षण के समय यह बात बावर करा दी जाती है कि वे हर प्रकार की संदिग्ध कार्यवाही में हथियारों का प्रयोग कर सकते हैं।  पुलिस को यह बताए जाने के बजाए कि संदिग्ध गतिधियों की स्थिति में वह कैसे काम करे उन्हें केवल यह समझाया जाता है कि वे हर प्रकार की संदिग्ध घटना में पूरी मुस्तैदी से काम करे।  उनसे कहा जाता है कि वे हर ख़तरे को विफल बनाने के लिए उसका डटकर मुक़ाबला करें जिसमें बल प्रयोग भी किया जा सकता है।  हालांकि बहुत सी एसी संदिग्ध घटनाएं हैं जिनसे बिना किसी हथियार और बल के केवल तार्किक ढंग से निबटा जा सकता है।

कैटो इन्सटिट्यूट के प्रबंधक कहते हैं कि कभी-कभी पुलिस द्वारा छोटी सी घटना से उचित ढंग से न निबटने के कारण वह एक त्रासदी बन जाती है और बाद उसका भुगतान अन्य विभागों के अधिकारियों को लोगों के सवालों का उत्तर देकर करना पड़ता है।  हालांकि इसको पहले ही रोका जा सकता था।  वे कहते हैं कि अमरीकी पुलिस, अब सेना के सदस्यों से प्रशिक्षण ले रही है जो वास्तव में गंभीर चिंता का कारण बन सकता है।  इसका कारण यह है कि देश के संचालन में सेना और पुलिस दोनो ही अलग-अलग प्रकार की भूमिकाएं निभाते हैं।

अमरीकियों विशेषकर अश्वेत तथा अल्पसांख्यक अमरीकियों की इस देश की पुलिस से यह मांग है कि वह अपने हिंसक व्यवहार को छोड़े और लोगों के विरुद्ध हर प्रकार की हिंसा से बचे।  एसी बहुत सी घटनाएं घटी हैं जिनमें पुलिस बिना किसी हिंसा के समस्या का समाधान कर सकती थी किंतु उसने जानबूझकर हिंसा का प्रयोग किया।  काले अमरीकियों या अन्य जाति के अमरीकियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही में पुलिस अधिक हिंसा का प्रयोग करने लगती है।

अमरीकी पुलिस बहुत से अवसरों पर तलाशी के लिए जब घरों में घुसती है तो हथगोलों या धुआं छोड़ने वाले बमों का भी प्रयोग करती है।  उदाहरण स्वरूप मई 2014 को जोर्जिया की पुलिस ने एक तस्कर की तलाशी के बहाने बिना किसी चेतावनी के एक घर की खिड़की से उसमें हथगोला फेंका।  यह हथगोला एक नवजात शिशु के बिस्तर पर गिरा।  हथगोला गिरने से बच्चा बुरी तरह से घायल हो गया और वह कोमा में चला गया।  इस घटना में पुलिस ने घायल बच्चे की मां को उसे देखने नहीं दिया और वह उसको घसीटती हुई घर के बाहर ले गई।  विशेष बात यह है कि पुलिस के विरुद्ध अमरीकी जनमत के भारी दबाव के बावजूद अमरीकी पुलिस किसी भी स्थिति में क्षमा मांगना नहीं चाहती।