Nov २७, २०१९ १६:४६ Asia/Kolkata

हम ने बता चुके हैं कि अमरीका में जातिवाद या नस्लवाद बहुत तेज़ी के साथ बढ़ता जा रहा है।

इसको इस देश के हर क्षेत्र में स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है।  पूंजीवादी व्यवस्था के संकट और ट्रम्प की अतिवादी विचारधारा के दृष्टिगत एसा लगता है कि संयुक्त राज्य अमरीका की व्यवस्था में यह बुराई पूरी तरह से फैल चुकी है जिससे इस देश की राजनैतिक स्थिरता के लिए ख़तरा उत्पन्न हो गया है।  जब से ट्रम्प ने अमरीकी राष्ट्रपति का पद संभाला है उसके बाद से इस देश में जातिवाद बहुत तेज़ी से फैला है।  वर्तमान समय में अमरीका में जातिवाद, अपने चरम पर है।  सत्ता के लोभियों का सत्ता तक पहुंचना और पश्चिम में दक्षिण पंथियों के उदय से जातिवादी संघर्ष में तेज़ी आई है।  इसी बीच अन्तर्राष्ट्रीय संबन्धों में "ट्रम्पइज़्म" के रूप में एसा फेनोमेना सामने आया है जिसकी विशेषता जातिवाद को बढ़ावा देना है।

ट्रम्पइज़्म की कुछ विशेषताए हैं जैसे जातिवाद, अतिवाद, अनियंत्रित राष्ट्रवाद, अर्थव्यवस्था को राजनीति पर वरीयता देना और नैतिकता का विरोध आदि।  डोनाल्ड ट्रम्प ने, "पहले अमरीका" के नारे तथा समस्याओं के बलपूर्वक समाधान के माध्यम से संसार में एक नई प्रकार की अशांति और अव्यवस्था को फैलाया है।  ट्रम्प ने अपने बड़े बोलों और जातिवादी कार्यवाहियों के माध्यम से चीन जैसे देशों के विरुद्ध व्यापारिक युद्ध छेड़ रखा है।  दूसरी ओर ट्रम्प ने ईरान, तुर्की और रूस सहित उभरती शक्तियों के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार अपनाया है।  इस प्रक्रिया ने अमरीका की राजनीतिक स्थिति को अस्पष्ट कर दिया है।

डोनल्ड ट्रम्प ने लोकलुभावन नारों और जातिवाद के समर्थन में भाषण देकर अमरीकी समाज में श्वेतों के मुक़ाबले में अश्वेतों के भीतर वरिष्ठता की भावना को अधिक मज़बूत किया है।  बहुत से विद्वानों का कहना है कि ट्रम्प का समर्थन, इससे पहले कि आर्थिक अप्रसन्नता का कारण बने यह लिंगभेद और जातिवाद में बढ़ोत्तरी का कारण बना है।  बहुत से एसे लोगों ने ट्रम्प को वोट दिया है जो गोरों की वरीयता के पक्षधर हैं।  इन लोगों का पूरा विश्वास है कि श्वेतों को अश्वेतों पर हर प्रकार की वरीयता प्राप्त है।  ट्रम्प के जो समर्थक हैं वे सामान्यतः नस्लवादी विचारधारा को ही पसंद करते हैं।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में अमरीका में बढ़ते नस्लवाद के पीछे उन दक्षिण पंथियों का हाथ है जिनको परोक्ष और अपरोक्ष रूप में ट्रम्प का समर्थन प्राप्त है।  डोनल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद एसी कई घटनाएं घटी हैं जिनके पीछे नसलवादियों का हाथ था।  अमरीका के अधिकांश संचार माध्यम इस बात को स्वीकार करते हैं कि ट्रम्प, अमरीका के भीतर नस्लवाद को बढ़ावा देने का मुख्य कारक हैं।  एक शोध केन्द्र की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प के विजयी होने के बाद अमरीका में 1052 एसी घटनाएं घटीं जिनका कारक नस्लवाद था।  इसी रिपोर्ट के अनुसार इस काल अवधि में अमरीका के भीतर घृणा इतनी अधिक बढ़ी कि इसने अमरीका की राजनीतिक स्थिरता को काफ़ी हद तक अस्थिर किया है।

अतिवादी गुट कू-क्लक्स-क्लान या केकेके, को ट्रम्प का प्रबल समर्थक माना जाता है।  केकेके नामक अतिवादी गुट अमरीका के भीतर गोरों के वर्चस्व का पक्षधर है।  अगस्त 2017 को अमरीका के वर्जीनिया राज्य के Charlottesville शार्लोत्ज़वील नगर की घटना में केकेके ने अश्वेतों और पलायनकर्ताओं के विरोध और श्वेतों के समर्थन में नारेबाज़ी की थी।  बहुत से जानकारों का कहना है कि "पहले अमरीका" का ट्रम्प का नारा अतिवादी गुट कू-क्लक्स-क्लान या केकेके से प्रेरणा लिए हुए है।  यह गुट ट्रम्प का खुला समर्थक माना जाता है।

हालांकि यह बात उल्लेखनीय है कि केवल दक्षिणपंथी भी अमरीकी समाज में सक्रिय नहीं हैं बल्कि वामपंथी दल भी वहां पर सक्रिय हो चुके हैं।  वैसे तो कुछ मामलों में इन गुटों का ट्रम्प की सोच से विरोध पाया जाता है और वैचारिक मतभेद मौजूद है किंतु यह सबके सब हिंसक गतिविधियों में लिप्त हैं।  11 अगस्त 2017 को शार्लोत्ज़वील नगर में होने वाली झड़पें और 12 अगस्त 2017 को रिपब्लिकन्स के एक वरिष्ठ नेता "स्टीव स्केलाईस" पर गोलीबारी की घटना तथा उत्तरी कारोलीना में रिपब्लिकन पार्टी के कार्यालय पर हमले जैसी घटनाएं एसी हैं जिनके पीछे अतिवादी दक्षिणपंथियों का हाथ रहा है।

शार्लोत्ज़वील नगर में होने वाली झड़पें उस समय आरंभ हुईं जब नस्लवादी और अतिवादी गुट प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे थे।  यह प्रदर्शन, "राबर्ट एडवर्ड ली" की प्रतिमा को हटाए जाने को लेकर हो रहे थे जो 19वीं शताब्दी में अमरीका के गृहयुद्ध में वर्जीनिया के कमांडर थे।  राबर्ट एडवर्ड ली, दास प्रथा के समर्थक थे।  इन झड़पों में एक व्यक्ति मारा गया जबकि 20 अन्य लोग घायल हुए थे।  इस घटना के संदर्भ में अमरीका के पूर्व विदेशमंत्री जान केरी का कहना था कि हमने जोकुछ भी शार्लोत्ज़वील नगर में देखा वह भर्त्सना योग्य है।  यह घृणात्मक घटना, अमरीकी समाज के भीतर पनप रही हिंसा और नस्लवाद का परिणाम है।

न्यूयार्कर पत्रिका के एक विशेलेषक "राबिन राइट" ने फ़रवरी 2017 की एक रिपोर्ट में स्वीकार किया था कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमरीका में दक्षिणपंथी और अराजकतावादी गुट बहुत तेज़ी से सक्रिय हो गए हैं।  वे यह प्रश्न उठाते हैं कि हम कैसे इस जगह तक पहुंचे और संयुक्त राज्य अमरीका को किस ओर बढ़ना चाहिए? अमरीका वह देश है जहां लंबे समय से लोकतंत्र स्थापित रहा है।  इसको संसार का एक स्थिर देश समझा जाता है लेकिन वर्तमान समय में वह गहरे संकट से गुज़र रहा है।  इस समय अमरीका में विभिन्न रूपों में हिंसा को फैलते हुए देखा जा सकता है।  पिछले 50 वर्षों की तुलना में अमरीका के भीतर अतिवादी गुट, ट्रम्प के सत्ता संभालने के बाद से अधिक सक्रिय हुए हैं।

इस समय अमरीका जिस प्रकार से आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और शिक्षा संबन्धी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है उनको देखते हुए निकट भविष्य में उसके उज्जवल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती।  यहां तक कि यह कहा जा रहा है कि अमरीका के भीतर सामाजिक मतभेद और सामाजिक चुनौतियां बढ़ेंगी।  गोरे अमरीकियों द्वारा इस देश के अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार, इन अल्पसंख्यकों के बीच असंतोष का कारण बनता जा रहा है।  अधिकतर जानकारों का यह कहना है कि इस समय अमरीका के भीतर सामाजिक स्तर पर जो परेशानियां बढ़ रही हैं उनमे से अधिकांश, ट्रम्प के वाइट हाउस में जाने के बाद से शुरू हुई हैं।

 

 

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