Nov २७, २०१९ १७:११ Asia/Kolkata

अमरीका में ज़्यादातर समीक्षक इस देश के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के बयान और भाषण को अमरीका में नस्लभेदी टकराव के बढ़ने में एक कारक मानते हैं।

वर्ष 2016 में ट्रम्प ने मैक्सिको के पलायनकर्ताओं को मुट्ठी भर अपराधी व अतिक्रमणकारी कहा था। इसी तरह उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल पर नक़ली आंकड़ों को प्रकाशित कर कहा था कि अमरीका में होने वाले ज़्यादातर अपराध श्याम वर्ण के लोग अंजाम देते हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में वाइट हाउस में पलायन के बारे में आयोजित एक बैठक में अल्साल्वाडोर, हाइटी और कुछ अफ़्रीक़ी देशों को शिटहोल अर्थात मल का गटर कहा था।

ट्रम्प के समर्थक नस्लभेदियों द्वारा शार्लोट्ज़वेल में विरोधियों पर हमले की घटना जो अगस्त 2017 में घटी, इस घटना के बारे में ट्रम्प का बयान आग को बुझाने के लिए पानी का काम करता, उसने आग में घी डालने का काम किया। ट्रम्प के इस घटना के बारे में नस्लभेदी बयान और फिर एरिज़ोना के राज्य के शेरिफ़ अर्थात शासनाधिकारी को माफ़ी वास्तव में अमरीकी समाज में नस्लभेदी तनाव के जारी रहने का कारण बनी। शार्लोट्ज़वेल में प्रदर्शनकारियों पर हमले की घटना में एरिज़ोना राज्य के मैरीकोपा ज़िले के शेरिफ़ जो आर्पायो पर लोगों की नस्ल के आधार पर तलाशी लेने का आदेश दिया था। आर्पायो पर इल्ज़ाम था कि उन्होंने एरिज़ोना में कार्यकाल के दौरान ग़ैर क़ानूनी पलायनकर्ताओं की गिरफ़्तारी के लिए उन लोगों को सड़कों पर रुकवाते थे जिनकी शक्ल लैटिन अमरीकियों से मिलती थी या स्पैनिश भाषा में बात करते थे।

अमरीकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पॉल राएन ने डॉनल्ड ट्रम्प के आर्पायो को माफ़ करने के फ़ैसले पर कहाः "प्रतिनिधि सभा इस फ़ैसले से सहमत नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों पर अमरीका में सभी के अधिकारों का सम्मान करने की ज़िम्मेदारी है। हमें किसी को यह इजाज़त नहीं देनी चाहिए कि कोई यह सोचे कि चूंकि उसे माफ़ कर दिया गया है इसलिए उसका उत्तरदायित्व कम हो गया है।" न्यूयॉर्क टाइम्ज़ के अनुसार, डॉनल्ड ट्रम्प ने महीनों पहले इस फ़ाइल को बंद करने की कोशिश की थी और पूर्व महान्यायवादी जेफ़ सेशन्ज़ से जो अमरीका-मैक्सिको की सीमा पर बाड़ के निर्माण के समर्थक थे, और वाइट हाउस के सलाहकार डॉनल्ड मैक्गान से जो आर्पायो के मामले को ख़त्म करने के लिए सभी विकल्पों की समीक्षा करें।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शिक्षक लॉरेन्स डी बेबोने ब्रिटेन की समाजशास्त्र के बारे में पत्रिका द ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ सोशयालोजी में ट्रम्प की नस्लभेदी नीति के बारे में लिखा थाः ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से अमरीका में नस्लभेद तीन गुना बढ़ा है। टिकन पत्रिका के संपादक व राजनैतिक कार्यकर्ता माइकल लर्नर ने 2017 में कहा थाः लोगों की लिंग के बारे में डॉनल्ड ट्रम्प के बयान से आने वाले नस्लभेदी संकेत और वर्ष 2016 में चुनावी संघर्ष के दौरान उनकी बातें लेटिन मूल के लोगों, मुसलमानों और यहूदियों के ख़िलाफ़ आम स्तर पर नफ़रत बढ़ी है। शोध दर्शाते हैं कि ख़ुद को श्रेष्ठ समझने वाले गुटों ने हाथों हाथ ट्रम्प का स्वागत किया। सारा पॉस्नर और डेविड नेवर्ट की मदर जोन्ज़ पत्रिका की वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के अनुसार, श्वेत वर्ण की निगाह में मैक्सिको के पलायनकर्ताओं का अतिक्रमणकारी व अपराधी होना, उनकी नस्लभेदी भावना का पता देती है।

अमरीका में नाइट पार्टी के एक नस्लभेदी श्वेत सदस्य ट्रम्प के समर्थन में अतिश्योक्तिपूर्ण बयान में कहते हैः "हमारे बुद्धिमान स्वामी हमारे मुक्तिदाता ने अपने समर्पित अनुयाइयों के लिए नेमतों की भरमार कर दी है।" एक रिचल पेन्डरग्राफ़्ट ने जो कू क्लक्स कलान की जगह लेने वाले दल नाइट पार्टी की अहम सदस्यों में से हैं, कहती हैः चुनाव में ट्रम्प की जीत दर्शाती है कि हमारे दृष्टिकोण को लाखों लोग मानते हैं। कू क्लक्स कलान वह गुट था जो उन्नीसवीं शताब्दी में अमरीका के दक्षिणी भाग में श्याम वर्ण के लोगों और महिलाओं को भयभीत करता था। वर्ष 2017 में शार्लोट्ज़वेल में श्वेत वर्ण के लोगों की स्वीकारोक्ति के दौरान, कू क्लक्स क्लान के बड़े नेताओं में से एक डेविड ड्यूक ने जिसे बड़ा जादूगर कहते थे, कहा थाः "ये दंगे व विद्रोह ट्रम्प वादों के व्यवहारिक के अर्थ में है। इसलिए बहुत से राजनेताओं और राष्ट्राध्यक्षों ने ट्रम्प के व्यवहार की निंदा की और उनके बयान को अमरीकी समाज में नस्लभेद के बढ़ने में प्रभावी माना है।"

ट्रम्प का व्यवहार कू क्लक्स कलान वालों से बहुत मिलता जुलता है जिन्होंने, विश्वस्तर पर मशहूर बुद्धिजीवियों के सीमाओं के खुले रहने के विचार की आलोचना की क्योंकि ट्रम्प का मानना है कि सीमाओं के खुले रहने से पलायनकर्ताओं को इस बात का अवसर मिलेगा कि वह अमरीकी मज़दूरों का काम उचक कर अपने जीवन के स्तर को बेहतर कर लेंगे। डॉनल्ड ट्रम्प ने मैक्सिको की जनता पर तस्करी सहित नाना प्रकार के अपराध करने और उस देश पर अतिक्रमण करने का इल्ज़ाम लगाया जो शांतिप्रेमी व क़ानून पर अमल करने वाला है। इसी प्रकार ट्रम्प ने पलायनकर्ता मुसलमानों को तर्कहीन, मानवाधिकार में यक़ीन न रखने वाला और ख़तरनाक हमलों का समर्थक कहा। ट्रम्प का दावा है कि ओबामा सरकार ने इन ख़तरों की अनदेखी की।

ट्रम्प के राष्ट्रपति काल में नस्लभेदी व्यवहार इतना बढ़ गया है कि मानवाधिकार के प्रतिवेदक और संयुक्त राष्ट्र संघ की नस्लभेद के ख़िलाफ़ समिति ने भी इस नीति की आलोचना की और इसे अमरीका में नस्लभेदी विवाद के बढ़ने का कारक बताया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त ने भी वर्ष 2018 में ट्रम्प के श्याम वर्ण व अफ़्रीक़ी मूल के लोगों, अल्पसंख्यकों और और इसी प्रकार लैटिन अमरीकी देश के लोगों के ख़िलाफ़ अपमानजनक भाषण को अमरीका में नस्लभेदी रुझान के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार बताया। इकोनॉमिस्ट और न्यूयॉर्कर पत्रिकाओं ने अगस्त 2017 के संस्करण के अपने कवर पेज की तस्वीर में ट्रम्प कू क्लक्स क्लान वालों जैसा दिखाया था।

मशहूर विचारक फ़्रांसिस फ़ूकूयामा ने जो पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद द एन्ड ऑफ़ हिस्टी नामक विचार के लिए मशहूर हैं, एक समीक्षा में, ट्रम्प की लोकप्रियता अमरीकी समाज में टकराव बढ़ने का मूल कारण लिब्रल डेमोक्रेसी के सामने उत्पन्नन संकट को मानते हैं।  फ़ूकूयामा ने लिब्रल डेमोक्रेटिक व्यवस्था के ख़त्म होने की भविष्यवाणी करते हुए कहा हैः "उच्च स्तरीय बुद्धिजीवियों द्वारा श्वेत वर्ण के मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वालों की अनदेखी, ट्रम्प की लोकप्रियता और दक्षिणपंथी पहचान वाली नीति के प्रकट होने का एक कारण रही। ट्रम्प का सत्ता में आना अमरीका की राजनैतिक व्यवस्था के पतन की सूचक है, हालांकि ट्रम्प अपनी लोकवादी नीतियों को लागू नहीं कर पाएंगे।"

फ़ूकूयामा का मानना है कि लिब्रल डेमोक्रेटिक व्यवस्था में क़ानूनी समानता के नतीजे में आर्थिक या सामाजिक समानता नहीं आती और अमरीका तथा विकसित देशों ने विशाल संपत्ति के बावजूद पिछले 30 साल में आय में बहुत अधिक विषमता का अनुभव किया है। इसलिए जो नागरिक अपनी आर्थिक व सामाजिक स्थिति को ख़तरे में पड़ा हुआ देख रहे हैं, एक ओर वह उच्च स्तरीय बुद्धिजीवियों को इसके लिए ज़िम्मेदार मानते हैं तो दूसरी ओर निर्धन व पलायनकर्ता वर्ग को ज़िम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि बुद्धिजीवियों ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया और निर्धन व पलायनकर्ता वर्ग भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं।                 

जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के शिक्षक माइकल कज़िन अमरीकी विदेश संबंध परिषद का अंग समझी जाने वाली पत्रिका द फ़ॉरेन पॉलिसी में लिखते हैः ट्रम्प का संबंध दक्षिणपंथी लोकवाद से है। बुद्धिजीवी बड़ी कंपनियों को आम लोगों के हितों के ख़तरे में पड़ने के लिए ज़िम्मेदार मानते हैं। ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना अमरीकी लोकवाद की नस्लभेदी राष्ट्रवादी शाखा की मज़बूती को दर्शाता है। ऐसा लोकवाद जिसका मानना है कि पिरामडि के ऊपरी भाग पर स्थित दुष्ट ताक़त और निचले भाग में स्थित मूल्यहीन व अश्वेत निर्धनों की ताक़त के बीच शैतानी एकता है जिससे बहुसंख्यक श्वेत वर्ण के हित व मूल्य ख़तरे में पड़ते हैं।

ट्रम्प के राष्ट्रपति काल के दो साल गुज़रने के बाद भी अमरीका में नस्लभेदी व्यवहार में कमी नहीं आयी है बल्कि इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि नस्लभेदी व्यवहार और बढ़ा है क्योंकि ट्रम्प की नीतियों के विभिन्न आयाम नस्लभेदी विचारों से गुथे हुए हैं।

 

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