Feb १७, २०२० १५:४२ Asia/Kolkata
  • आइए ईरान घूमेंः शीराज़ का वकील बाज़ार, इरम बाग़, अफ़ीफ़ाबाद बाग़

ईरान के केन्द्र में स्थित शीराज़ शहर के वकील बाज़ार ईरानी इतिहास में अत्यधिक मशहूर पारंपरिक बाज़ारों में से एक है।

यह बाज़ार फार्स के शासक  करीम ख़ान ज़न्द के आदेश से वर्ष 1766 ईसवीं में बना और आज भी यह शीराज़ शहर के केन्द्र में मौजूद है।  वकील बाज़ार करीम ख़ान ज़न्द के काल की मशहूर इमारतों में से है, जो अभी भी बाक़ी बची हुयी है। इस बाज़ार के डिज़ाइन बेहद सुदंर हैं। कहते हैं कि करीम ख़ान ज़न्द ने लार शहर के प्राचीन बाज़ार को देखने के बाद शीराज़ के  वकील बाज़ार का नक़्शा  बनवाया था। इतिहास में है कि इस बाज़ार में देश विदेश की वस्तुओं का लेन-देन, क्रय विक्रय और मुद्रा विनिमय सहित सभी व्यापारिक गतिविधियां होती थीं। वास्तव में वकील बाज़ार शीराज़ शहर का धड़कता दिल रहा है।

यह बाज़ार इस्फ़हान गेट के निकट से शुरु होकर शीराज़ शहर के केन्द्र तक गया है।  सड़क के दोनों ओर चौड़े चौड़े चबूतरे पर दुकानें बनी हुयी हैं। इस बाज़ार की छत में निर्धारित दूरी पर ईंट के गुंबद बने हुए हैं। इन गुंबदों की संख्या 74 है। मुख्य बाज़ार से दूसरे छोटे छोटे बाज़ार जुड़े हुए हैं। इस बाज़ार के निर्माण में ईंट और चूने का  इस्तेमाल  किया गया है। बाज़ार में चौराहे छतदार हैं। चौराहे की छतें ईंटों की हैं और उन पर टाइल का काम हुआ है। ये छतें काफी  ऊंची बनायी गयी  हैं।     

 वकील बाज़ार के विभिन्न भागों का नाम वहां बिकने वाली चीज़ों के अनुसार है। जैसे कपड़ा बाज़ार, शीशों का बाज़ार, दर्ज़ी  बाज़ार, तलवार बनाने वालों का बाज़ार और टोपी सीने वालों का बाज़ार आदि।  फ़ुर्सतुत्दौला शीराज़ी ने आसारे अजम नामक अपनी किताब में वकील बाज़ार का इन शब्दों में वर्णन किया हैः वकील बाज़ार, वकील नामक मस्जिद के निकट स्थित बाज़ारों में से एक है।  ईरान में बहुत कम ऐसे बाज़ार होंगे जो इस शैली में बनाए गये हों और इतने मज़बूत हों।  बाज़ार की ज़्यादातर दुकानें टोपी सीने वालों की हैं।

इरम बाग़

यूं तो शीराज़ अपनी हरियाली के लिए बेहद मशहूर है लेकिन इस नगर के बागों की तो बात ही अलग है।  शीराज़ में कई बाग हैं और सब एक से बढ़कर एक यही वजह है कि शीराज़ को बागों का नगर कहा जाता है  लेकिन शीराज़ का  इरम बाग शीराज़ ही नहीं बल्कि ईरान के बेहद मशहूर बागों में से है। यह बाग़ ईरान की असली व पारंपरिक वास्तुकला का सुन्दर नमूना है । इरम बाग़ सुन्दर व मनोहर दृश्यों और लंबे लंबे सनौवर के वृक्षों के  कारण शीराज़ नगर के आकर्षक व मनोहर दृश्यों को प्रस्तुत करता है। बाग़े इरम की आरंभिक इमारत का निर्माण इलख़ानी शासन काल में किया गया और उसके बाद शीराज़ नगर के दो दक्ष व निपुण वास्तुविदों के हाथों इसकी मरम्मत हुई। लगभग सौ वर्ष पूर्व इस बाग़ में तीन मंज़िला एक इमारत बनाई गयी जिसकी वास्तुकला, पत्थरों पर बनी नक़्क़ाशी, चित्रकलाएं, प्लास्टर और टाईलों के कार्य, 19वीं शताब्दी हिजरी में क़ाजारी शासन काल की श्रेष्ठ कला कृतियों में से हैं। बाग़े इरम की इमारत की पही मंजिल को को पत्थर के शिलालेखों से सजाया गया है और ईरान के दो प्रसिद्ध शायर सादी व शूरीदे के शेर दीवारों पर लिखे गये हैं।

शीराज़ के इरम बाग में बहुत कुछ निराला है किंतु जो चीज़ इस बाग को  दुनिया  के अन्य बाग़ों से अलग करती है, वह टाईलों की सुन्दर सजावट  का इस्तेमाल करते हुए ईश्वरीय दूत हज़रत सुलैमान की कहानी और मेहमानों की बैठकों का चित्रण तथा ईरान के प्रसिद्ध शायर निज़ामी की कथाओं की कुछ झलकियां हैं जिन्हें बहुत ही कलात्मक ढंग से उकेरा गया  है।  इरम बाग की दीवारों  दीवारों पर टाइलों की सुदर सजावट और पेन्टिंग दारा पवित्र क़ुरआन और फ़िरदौसी के शाहनामें की कहानियां चित्रित की गयीं हैं।

अफ़ीफ़ाबाद बाग़

शीराज़ का एक दूसरा मशहूर बाग़, अफ़ीफ़ाबाद बाग है। यह शीराज़ के बड़े बागों में से एक है। अफ़ीफ़ाबाद बाग सफवी काल में राजाओं के सैर सपाटे के लिए एक अहम जगह थी। सफवी काल के बादशाह, सैर के लिए इस बाग में  खूब आया जाया करते थे। काजारी काल में मीरज़ा अली ख़ान क़ेवामुलमुल्क ने इस बाग को खरीद लिया और फिर उसकी मरम्मत की और नये नये पेड़ लगवाए और इसके साथ ही बाग में एक खूबसूरत इमारत भी बनवायी। काजारी काल के अंतिम समय में यह बाग उनकी भतीजी, अफ़ीफ़ी खानम  को विरासत में मिली और उन्होंने इस बाग में ढेर सारे परिवर्तन किये इसी वजह से इस बाग को अफीफाबाद कहा जाने लगा। अफीफाबाद बागद ईरान की शिल्पकला का एक बेहद खूबसूरत नमूना है और इसे हखामनी, सासानी और काजारी शासन कालों की कला का मिला जुला रूप कहा जाता है। बाग के मुख्य द्वार की तो बात ही क्या! लगता है कि बाग़ की सारी खूबसूरती को निचोड़ कर दरवाज़े पर लगा दी गयी है। 

बाग का मुख्य द्वार पर चार साधारण से खंभे बने हैं जो वास्तव में " तख्त जमशीद" से प्रेरित हैं। मुख्य द्वार से गुज़रने के बाद, एक दहलीज़ आती है जिसे लकड़ियों से बनाया गया है। दहलीज़ की लकड़ियों पर सासानी राजाओं के चित्र उकेरे गये हैं। छोटी सी दालान से गुज़रने के बाद बाग आता है और उसी भाग में मुख्य इमारत भी है जो नज़र आने लगती है।  बाग में जो महल है वह दो मंज़िला है और कुल मिलाकर उसमें 30 कमरे और हाॅल हैं। इसके साथ ही इमारत के सामने एक बड़ा सा हौज़ भी बना है और हौज़ के दोनों तरफ सनोवर और सागवान के पेड़ लाइन से लगाए गये हैं। 

वर्तमान समय में इस ईरानी बाग को संग्रहालय बना दिया गया है जिसकी वजह से बाग की सैर करने वाले हरियाली से आनंदित होने के साथ ही साथ कई प्रकार की पुरानी चीज़ों को भी देख सकते हैं। इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार के हथियार जिस तरह से नज़र आते हैं उसकी मिसाल मध्य पूर्व में तो नहीं मिलती। इस संग्रहालय में ईरान के शासक फतहअली , नासिरुद्दीन शाह, मुज़फ्फरुद्दीन शाह की निजी बंदूकें रखी गयी हैं और इसी प्रकार जंगल आंदोलन के नेताओं के हथियार भी इस संग्रहालय में रखे गये हैं। 

अफीफाबाद बाग का कहवाखाना और पुराना हम्माम, इस बाग की सुन्दरता में चार चांद लगाता है। प्राचीन और पंरपंरागत कहवाखाना, बाग से निकलने के लिए बने दरवाज़े के दाहिनी तरफ है। इस क़हवाखाने में एक खूबसूरत आंगन है जहां नारंगी के पेड़ लगे हैं। क़हवाखाने में 6 कमरे हैं और हर कमरे  में ईरानी गाथाओं का चित्रण किया गया है। दीवारों पर चित्रों की मदद से ज़ाल और सीमुर्ग इसी प्रकार रुस्तम व सोहराब की लड़ाई का चित्रण किया गया है। 

बाग के पश्चिमी भाग में एक हम्माम है जो शीराज़ में प्राचीन काल में बनाए जाने वाले हम्मामों का सुन्दर नमूना है। इस हम्माम की दीवारों पर भी शाहनामे की गाथाओं का चित्रण है। हम्माम की दीवारों पर ईरानी शासक खुसरो परवेज़ की जनता से भेंट की कहानी का चित्रण बड़ी खूबसूरती के साथ किया गया है। इस बाग को ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में पंजीकृत किया गया है। (Q.A.)

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