Oct २०, २०२० १७:०३ Asia/Kolkata

आज भी हम ईरान के खूबसूरत प्रांत गुलिस्तान की यात्रा जारी रखेंगें।

गुंबदे काऊस गुलिस्तान प्रान्त का एक बड़ा और प्राचीन शहर है जो प्रान्त के केन्द्रीय व उत्तरी भाग में स्थित है। यह नगर प्राचीन जुरजान नगर से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुंबदे काऊस  नगर प्राचीन काल में जुरजान के नाम से प्रसिद्ध था और सिल्क रोड पर स्थित होने की वजह से व्यापारियों के लिए यह नगर बहुत ही महत्वपूर्ण था। आले ज़ेयार और आलेबुए शासकों के काल में यह नगर ईरान की राजधानी रहा है। उसी दौर का एक गुंबद है जो ईंटों से बनाया गया हैं। इस नगर में गेंहू, जौ, चावल, दालों और फल पैदा होते हैं। इस शहर में ज़ैतून के बाग हर तरफ नज़र आते है और गुंबदे काऊस  का एक मुख्य उत्पाद ज़ैतून है। इस नगर से तेहरान और ईरान के अन्य नगरों में अनाज की आपू्र्ति की जाती है। गुंबदे काऊस नगर का नया भाग भी लगभग 93 साल पहले जर्मन विशेषज्ञों की मदद से बनाया गया। इस नगर की यात्रा का मतलब है सौन्दर्य की नयी दुनिया में क़दम रखना। इस नगर में कई प्राचीन अवशेष हैं लेकिन इसके साथ ही उसकी खूबसूरती का एक कारण यह है कि इस नगर में ईरान की बहुत सी जातियां एक साथ रहती हैं। 

 

गुंबदे काऊस नगर में बहुत से एतिहासिक अवशेष हैं जिनमें से एक महत्वपूर्ण अवशेष, एतिहासिक नगर जुरजान है जत नगर के दक्षिण पश्चिम में तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जब कभी यह नगर आबाद था तो 1200 हेक्टेयर में फैला था लेकिन हालिया सदी में गैर कानूनी उत्खनन, खेती बड़ी और नये नये घरों के निर्माण की वजह से यह प्राचीन नगर मात्र 250 हेक्टेयर में सिमट गया है। इस प्राचीन नगर के खंडहर गुरगान नदी के दोनों तरफ मौजूद हैं। 

जुरजान नामक यह प्राचीन नगर, प्राचीन काल में भवन निर्माण की बेहद सराहनीय तकनीक का प्रमाण है जिसके सुबूत उत्खनन के दौरान मिले हैं। पुरातन विदों द्वारा खोज से पता चलता है कि एक हज़ार साल पहले से इस नगर में पानी की निकासी की व्यवस्था बनायी गयी थी, सड़कें थीं और उन पर डिज़ाइन के साथ ईंट बिछायी गयी थी इसी तरह नगर के घरों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था थी जिससे पता चलता है कि पूरा शहर एक नक्शे के अंतर्गत बनाया गया था। 

जुरजान नगर का खंडहर

सामानी शासन काल में, सासानी शासन काल में बने नगर के खंडहर पर एक नया शहर बनाया गया था जो ईरान में इस्लाम पूर्व के काल की भांति और उसी शैली में बनाए जाने वाली शहरों की ही तरह था। नगर की सभी सड़कों और गलियों में ईंट को खूबसूरत डिज़ाइनों के साथ बिछाया गया था इसी तरह पुरानी ज़माने के शहरों की तरह, नगर के चारो ओर दो दीवारें थीं जिनके बीच में एक खाईं थीं ताकि इस तरह से नगर को दुश्मनों से बचाया जा सके। 

 

इस नगर की एक रोचक विशेषता , पानी की निकासी के लिए व्यापक चैनल है जिसकी वजह से नगर में साफ सफाई काफी रहती थी। प्राचीन नगर जुरजान में सड़कों और गलियों का एक जाल बिछा था जिसकी वजह से पूरा नगर एक दूसरे से जुड़ा हुआ था और यही वजह है कि इस नगर को प्राचीन शिल्पकारों की दक्षता का एक सुबूत कहा जा सकता है। 

 

शीशे और मिट्टी के बर्तन बनाना इस नगर के लोगों का मुख्य व्यवसाय था जिसके बहुत से नमूने आज भी देश विदेश के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं। हालांकि सन 617 हिजरी क़मरी में मंगोलों के हमलों में यह प्राचीन नगर तबाह हो गया लेकिन उसके खंडहर आज ही यह बताते हैं कि किसी समय में यह नगर कितना शानदार और वैभवशाली रहा होगा जिसका एक बड़ा प्रमाण, गुंबदे काऊस का मीनार है। प्राचीन जुरजान नगर इस्लामी काल का एक बेहद क़ीमती नमूना है जिसे ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों में पंजीकृत किया गया है। 

गुंबदे काऊस नगर से अधिक परिचित होेने के लिए हम  इस नगर के केन्द्र में स्थित एक एसी धरोहर का परिचय करा रहे हैं जो युनिस्को की विश्व धरोहर की सूचि में भी पंजीकृत है। यह गुंबदे क़ाबूस का मीनार है और यह गुलिस्तान प्रान्त की सब से मशहूर इमारत है। गुंबदे  क़ाबूस चौथी हिजरी क़मरी की इमारत है जो उत्तरी ईरान के गुंबद काऊस नगर में स्थित है।

गुंबद काबूस की ऊंचाई 70 मीटर है जो विश्व में मौजूद ईंट की सबसे ऊंची इमारत है। क़ाबूस की मीनार के शिलालेखों के अनुसार 1006 ईसवी में शम्सुल मआली नामक स्थानीय शासक ने इसका निर्माण कराया और इसके निर्माण में पांच वर्ष का समय लगा। शंकुआकार मीनार की ऊंचाई 37 मीटर और इसके शंकुआबार गुंबद की ऊंचाई 18 मीटर है और यदि इसकी ऊंचाई में उस 15 मीटर के कृत्रिम टीले की ऊंचाई को भी जोड़ दे जिसके ऊपर यह बना है तो इसकी ज़मीन से ऊपर तक कुल ऊंचाई सत्तर मीटर है।

 इसका गुंबद दो परतों का है। गुंबद का भीतरी भाग 18 मीटर तक सामान्य ईंटों से बनाया गया  और उसके  पूर्वी भाग में एक रोशनदान भी है। यह गुंबद मिट्टी के गुंबदों की भांति अर्धगोलाकार है।

इस इमारत के  ताक़ के भीतरी भाग को मुक़र्नस के काम से सजाया गया है जो अपनी  सादगी व सुंदरता के साथ इस्लामी काल की इमारतों में इस प्रकार की सजावट का पहला नमूना  है। गुंबदे क़ाबूस का ढांचा कूफ़ी लीपि के शिलालेखों से  सुशोभित है कि जिसकी एक लाईन इस बेलानाकार इमारत के ऊपरी और एक लाइन निचले भाग की शोभा बढ़ा रही है।

 

प्रोफेसर  आर्थर एपहेम पोप इस इमारत के बारे में लिखते हैंः 

अलबुर्ज़ पर्वत श्रंखला के पूरब और एशिया के विशाल मरुस्थल के समानांतर ईरानी वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने में से एक अपने वैभव के साथ खड़ा नज़र आाता है। इस इमारत को ईंटों से बनाया गया और पूरी इमारत में लाल और पके हुए ईंटों को प्रयोग किया गया है लेकिन मौसम की वजह से समय के साथ ही इमारत की ईंटों का रंग बदल गया इस इमारत का मसाला गारा और ईंट है। मौसम के कारण इसकी पकी हुई लाल ईंट तांबे के रंग की दिखती है। इस इमारत के निर्माण के समय साधनों के अभाव में लकड़ी के पटरों के स्थान पर मिट्टी को घुमावदार रूप  देकर  सीढ़ी के स्थान पर प्रयोग किया गया। इमारत का निर्माण पूरा होने के बाद मिट्टी को आस पास फेंक दिया गया जो टीले के रूप में मौजूद है।इस इमारत के शिलालेख के अनुसार इसके निर्माण का उद्देश्य मक़बरा बनाना  था। इस इमारत का नाम गुंबदे क़ाबूस है जो क़ाबूस बिन वश्मगीर का मक़बरा है जिसने उसने अपने जीवन में ही बनवाया था।

गुंबदे काऊस में कालीन का संग्रहालय भी देखने योग्य है। इस संग्रहालय में विभिन्न राज्यों के तुर्कमन शैली के कालीन रखे गये हैं जिससे तुर्कमन जाति की संस्कृति और इतिहास का पता चलता है। इस संग्रहालय में आप को तुर्कमन जाति  के कलाकारों के हाथों से बनाये गये 811 से अधिक डिज़ाइनों और रंगों वाली कालीन नज़र आते हैं जिनका इतिहास 6 हज़ार साल तक पुराना है।  तुर्कमन कालीनों में डिज़ाइनों प्रायः ज्योमितीय होती हैं। तुर्कमन जाति के कलाकारों द्वारा बुने गये कालीनों में मुख्य रूप से पानी के हौज़ का डिज़ाइन होता है लेकिन इन कलाकारों के डिज़ाइनों को शब्दों में बयान करना संभव नहीं है यही वजह है कि इस संग्रहालय में जाकर उनकी कलाकृतियों को देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जात है। 

यहां पर आप को यह बताते चलें कि तुर्कमान रेगिस्तान और गुंबदे काऊस का नाम घोड़ों की रेस से जुड़ा है क्योंकि इस क्षेत्र के घोड़ों की नस्ल काफी मशहूर है। हर साल इस नगर में जो घुड़दौड़ होती है उसे देखने के लिए ईरान के कोने कोने से लोग इस नगर में जाते हैं। यह साल में दो बार होती है। गुंबदे काऊस का रेसकोर्स लगभग साठ साल पहले बनाया गया था जिसका उद्देश्य घुडदौड़ का आयोजन और अच्छी नस्ल के घोड़ों का पालन था। यह 160 हेक्टेयर पर फैला हुआ है जहां 120 हेक्टेयर को खेती, पार्किंग, हरियाली, और घुड़दौड के लिए विशेष किया गया है जबकि लगभग 30 हेक्टेयर पर अलग अलग मौसमों के हिसाब से अस्तबल, दर्शकों के बैठने का स्थान और स्वीमिंग पूल आदि बनाए गये हैं।

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