Nov ०२, २०२० १५:४५ Asia/Kolkata
  • तुरबते हैदरिया, वह इलाक़ा जो दुनिया को केसर की सप्लाई करता है!

ईरान के ख़ुरासाने रज़वी प्रांत का तुरबते हैदरिया इलाक़ा ज़ाफ़रान या केसर की पैदावार का केन्द्र है।   तुरबते हैदरिये का क्षेत्रफल 53 वर्ग किलोमीटर है।

 

तुरबते हैदरिया

 

यह नगर ज़ाफ़रान या केसर की खेती का केन्द्र भी है।  ईरान के इस नगर में सबसे अधिक ज़ाफ़रान पैदा होता है।  तुरबते हैदरिए ज़िले में प्रतिवर्ष लगभग 150 टन केसर का उत्पादन होता है और इस प्रकार यह विश्व का सबसे अधिक केसर उत्पादन करने वाला ज़िला है और ख़ुरासान में यहां सबसे अधिक पिस्ता पैदा होता है। प्रांत की अर्थव्यवस्था में इस ज़िले की विशेष भूमिका है। तुरबत हैदरिए में प्रतिवर्ष 150 टन सूखे केसर का उत्पादन होता है और इस प्रकार यह दुनिया में सबसे अधिक केसर पैदा करने वाला इलाक़ा है। ईरान में 150 से 170 टन केसर का उत्पादन होता है। तुरबत हैदरिए ज़िले में 90 फ़ीसद केसर पैदा होता है।  ईरान बड़ी मात्रा में केसर जर्मनी, इटली, कनाडा, भारत, लक्समबर्ग, जापान, ब्रिटेन और फ़ार्स की खाड़ी के अरब देशों को निर्यात करता है। 

 

इलाक़े में केसर और पिस्ते के उत्पादन के कारण इनसे संबंधित उद्योगों की भी यहां पर स्थापना हुई है। इस ज़िले में 98 कारख़ाने और 19 सक्रिय खदानें हैं।   तुरबते हैदरिये नगर में 300 से अधिक एतिहासिक अवशेष पाए जाते हैं जिनकी वजह से यहां पर पर्यटन को बढ़ावा मिला है।  इन 300 एतिहासिक अवशेषों में से 50 को ईरान की राष्ट्रीय धरोहरों की सूचि में शामिल किया जा चुका है।

 

तुरबते हैदरिया नगर के इर्दगिर्द की गई खुदाई में एसी शिकारगाह का पता चला है जिसका संबन्ध, ईसापूर्व चौथी और पांचवी शताब्दी से है।  तुरबते हैदरिए ज़िले का इतिहास इस्लाम पूर्व अश्कानियान काल से जाकर मिलता है।  इस क्षेत्र में कई तत्वदर्शियों की क़ब्रे हैं जिनमें क़ुतुबुद्दीन हैदर का नाम शामिल है।  छठी हिजरी शताब्दी में आरिफ़ नामी के निधन के बाद, क़ुतुबुद्दीन हैदर ने इसका नाम परिवर्तित कर दिया। तुरबते हैदरिया के राष्ट्रीय पार्क के निकट ही तैमूर के बेटे शेख क़ुतुबुद्दीन हैदर का मक़बरा है।  वे शाह सालूरी के वंशज हैं।  उनका संबन्ध तुर्क ख़ाक़ान से था।  शेख क़ुतुबुद्दीन हैदर, शेख अबुल क़ासेमी से बहुत प्रभावित थे।  वे "ज़ावे" में रहा करते थे।  शेख अबुल क़ासेमी से मुलाक़ात करने के उद्देश्य से क़ुतुबुद्दीन हैदर ने ज़ावे की यात्रा की थी।  सन 618 हिजरी क़मरी में उनका निधन हो गया।  

तुरबते हैदरिया शहर के आबाद होने का इतिहास सफ़वी काल से शुरू होता है।  छठी हिजरी शताब्दी काल के क़ुतुबुद्दीन हैदर आरिफ़ का मक़बरा भी तुरबत हैदरिए शहर में स्थित है। यह सफ़वी काल की विरासत है। इस मक़बरे की इमारत में ऊंचा बरामदा और गुंबद के नीचे का हाल और प्रवेश द्वार हैं। इसके बाहरी भाग में क्रॉस के रूप में नक़्क़ाशी की गई है। शेख़ की क़ब्र गुंबद के नीचे स्थित है और उस पर बनी हुई ज़रीह पर 987 हिजरी क़मरी की तारीख़ लिखी हुई है। अनेक बार इस ऐतिहासिक इमारत का पुनर्निमाण हो चुका है।

 

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