Pars Today
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई देश के वैज्ञानिक आंदोलन पर विशेष ध्यान देते हैं।
ईरान में वैज्ञानिक विकास और ख़ास तौर पर पिछले दशक में जो वैज्ञानिक विकास हुआ है वह किसी से छिपा नहीं है।
इस्लाम के मुताबिक़, शिक्षा प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं है, बल्कि ज्ञान की प्राप्ति की अधिक से अधिक इच्छा रखना, उन कामों में से है, जिसे इस्लाम अच्छा समझता है।
हमने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में शिक्षा और प्रशिक्षण के विषय पर चर्चा की थी और आपको बताया था कि इस्लामी शिक्षाओं में पहला स्थान प्रशिक्षण का है और उसके बाद शिक्षा का स्थान है।
एक समाज के कल्याण का एक महत्वपूर्ण बिन्दु उस समाज के लोगों का ज्ञान और ईमान से सुसज्जित होना है।
शिक्षक व प्रशिक्षक समाज को गतिशील बनाने और उसे दिशा प्रदान करने वाले हैं।
शिक्षा व प्रशिक्षण या दूसरे शब्दों मे सीखना और सिखाना वह विषय है जिसे इस्लाम में बहुत अच्छी नज़र से देखा गया है।
शिक्षा हासिल करना हर इंसान का स्वाभाविक व प्राकृतिक अधिकार है और दुनिया की हर संस्कृति और हर क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने पर बल दिया जाता है।
20 सफ़र को इमाम हुसैन का चेहलुम होता है। यह वह दिन है जब इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़ैदी बनाए गए परिजन सीरिया से मदीना पलटे।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई कर्बला की घटना और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन के सकारात्मक प्रभावों क बारे में कहते हैः जिस दिन से इमाम हुसैन पर पड़ने वाले दुखों को बयान करने का विषय सामने आया उसी दिन से पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम व उनके परिजनों के श्रद्धालुओं के मन में आध्यात्मिकता के सोते फूटने लगे।