Apr ०६, २०१६ १४:१८
यद्यपि पिछली शताब्दियों के दौरान सलफ़ीवाद के आधार और सिद्धांत बाक़ी रहे हैं किन्तु समय और स्थान की विशेषताओं और परिस्थितियों के अनुसार उसमें ऐसे परिवर्तन अस्तित्व में आते हैं जिससे समकालीन सलफ़ीवाद को पूर्ण रूप से वही पारंपरिक सलफ़ीवाद या क्लासिकल सलफ़ीवाद कहा जा सके।