क्या भाजपा यूपी जीत रही है, योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बताया धता
उत्तर प्रदेश की सरकार ने सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही फिर से शुरु कर दी है।
कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने शीर्ष अदालत की फटकार के बाद कथित तौर पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों को भेजे वसूली के नोटिस वापस ले लिए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बार कई लोगों को क्लेम ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश होने के नोटिस मिले हैं।
लखनऊ ज़ोन के क्लेम ट्रिब्यूनल की अध्यक्ष प्रेम कला सिंह ने कथित आरोपियों को ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश होकर इस संबंध में अपने बयान दर्ज कराने कहा है कि उनके ख़िलाफ़ आरोप क्यों न लगाए जाएं।
यह कार्रवाई तब हुई है जब सुप्रीम कोर्ट सरकार के क्लेम ट्रिब्यूनल जाने के अनुरोध को ठुकरा चुका है।
साथ ही शीर्ष अदालत ने सरकार से कहा था कि वह इस कथित क्षति के लिए लोगों द्वारा चुकाए गए करोड़ों रुपये लोगों को वापस करे।
दिसम्बर 2019 के अंत में उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित तोड़फोड़ करने वालों से, उनका अपराध सिद्ध होने से पहले ही, हर्जाना देने या उनकी संपत्तियों की ज़ब्ती के लिए तैयार रहने का ऐलान किया था। दंगा करने के आरोपी 130 से अधिक लोगों को हर्जाने के रूप में लगभग 50 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किए गए थे।
शीर्ष अदालत में दर्ज याचिका में तर्क दिया गया था कि नोटिस मनमाने ढंग से भेजे गए थे, यहां तक कि ऐसे लोगों को भी नोटिस भेज दिए गए जिनका छह साल पहले ही निधन हो चुका है और जिन लोगों की उम्र 90 वर्ष से अधिक है।
मार्च 2021 में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली विधेयक, 2021 पारित किया गया था। इसके तहत प्रदर्शनकारियों को सरकारी या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का दोषी पाए जाने पर एक साल की क़ैद या 5 हज़ार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। (AK)
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