Mar १२, २०२३ १८:३५ Asia/Kolkata
  • लखनऊ के ऐतिहासिक इमामबाड़े में शिया मुसलमानों का ऐतिहासिक महा सम्मेलन, हज़ारों धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों और आम लोगों की जुटी भीड़

शिया समुदाय की राजनीति में हिस्से दारी और उनसे जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर रविवार को लखनऊ के ऐतिहासिक बड़े इमाम बाड़े में शिया महा समेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से हज़ारों की संख्या में शिया धर्म गुरुओं और समुदाय के लोगों ने भाग लिया।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को दिन शिया मुसलमानों के नाम रहा। 12 मार्च रविवार को लखनऊ के ऐतिहासिक आसफ़ी इमामबाड़ा हज़ारों शिया मुसलमानों का मेज़बान था। उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों और आम लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। इसका कारण था भारत के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू इमाम जुमा लखनऊ मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी के आह्वान पर आयोजित होने वाला महा सम्मेलन। इस मौक़े पर स्वयं मौलाना कल्बे जवाद नक़्वी महा सम्मेलन के उद्देश्य के बारे में मीडिया से बात करते हुए बताया और कहा कि पिछली सरकारों ने शिया समुदाय के लिए कोई काम नहीं किया है आज पसमांदा मुसलमानों की बात हो रही है, लेकिन कोई शिया मुसलमानों की बात नहीं करता है, जबकि शिया सबसे ज़्यादा पिछड़ी कैटेगरी में आते हैं। उन्होंने कहा कि शिया समुदाय को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बहुत उम्मीदें हैं। मौलाना कल्बे जवाब ने कहा कि हम आशा करते हैं कि यह सरकार शिया समुदाय के हितों को देखते हुए उनके उत्थान के लिए काम करेगी।

इमामे जुमा लखनऊ मौलाना कल्बे जवाद ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि उस रिपोर्ट के अनुसार इस समय भारत में सबसे ज़्यादा पिछड़े हुए मुसलमान हैं और मुसलमानों में अगर कोई सबसे पिछड़ा है तो वह शिया मुसलमान हैं। इसलिए मैं देश की केंद्र और सभी राज्य सरकारों से यह अपील करता हूं कि हर सरकारी योजना में शिया मुसलमानों की हिस्सेदारी रखी जाए। उन्होंने कहा कि हमारा यह सम्मेलन करने का मक़सद भी यही है कि हमारी मांगों पर ग़ौर किया जाए और उसे पूरा किया जाए। वहीं महा सम्मेलन में भाग लेने वालों में काफ़ी उत्साह देखने को मिला। आम लोगों का कहना था कि हम भी भारत के नागरिक हैं, हमारा भी इस देश पर उतना ही अधिकार है कि जितना दूसरों का है, इसलिए हमारे अधिकारों की अन्देखी नहीं होनी चाहिए। ऐतिहासिक महा सम्मेलन में शामिल धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों और आम लोगों ने एक ज़बान में मौलाना कल्बे जवाद के प्रयासों की सराहना की और कहा कि हमे अपने नतृत्व पर पूरा भरोसा है और आने वाले समय में हम अपने अधिकारों का हासिल करने में कामयाब भी होंगे। (रविश ज़ैदी R.Z)

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