भारतीय युवाओं के हाथों में कौन थमा रहा है क़लम की जगह हथियार? शांति का संदेश देने वाले धर्मों के नाम पर हिंसा!
भारत में रामनवमी और हनुमान जयंती का त्योहार समाप्त हो जाने के बाद अभी भी इस देश के कई हिस्सों से सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की ख़बरें आ रही हैं। कई स्थानों पर स्थानीय प्रशासन ने कर्फ़्यू लगाया है लेकिन पुलिस द्वारा एक तरफ़ा कार्यवाही की भी बात सामने आ रही है।
भारत की राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दो दिन बाद देश के अन्य कई राज्यों से ताज़ा हिंसक घटनाओं और सांप्रदायिक तनाव की ख़बरें सामने आ रही हैं। मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हो गई, जिसके बाद 25 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया। वहीं महाराष्ट्र के अमरावती में एक धार्मिक झंडे के हटा दिए जाने के बाद दो समुदायों के लोगों के बीच झगड़ा हो गया, जिसके बाद पुलिस को धारा 144 लागू करनी पड़ी। उधर गुजरात के वडोदरा में एक सड़क हादसे के बाद हुए झगड़े ने भी सांप्रदायिक रूप ले लिया। देखते ही देखते दो समुदायों के लोग एकत्रित हो गए और एक दूसरे पर पत्थर फेंकने लगे। धीरे धीरे हिंसा और भड़क उठी, जिसमें कई लोग घायल हो गए, कई वाहनों के साथ तोड़ फोड़ की गई और एक धार्मिक स्थल को भी नुक़सान पहुंचाया गया। पुलिस ने अभी तक कम से कम 19 लोगों को गिरफ़्तार किया है। वहीं कर्नाटक में राजधानी बेंगलुरु से क़रीब 400 किलोमीटर दूर हुबली में एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल हो गया, जिसके बाद भड़की हुई एक भीड़ ने एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया। इस मामले में क़रीब 40 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और हुबली में चार दिनों के लिए प्रतिबंधक नियम लागू कर दिए गए हैं।
दूसरी तरफ़ दिल्ली में 17 अप्रैल को हुई हिंसा की जांच के दौरान पुलिस ने बताया है कि जिस हनुमान जयंती यात्रा के बाद हिंसा भड़की उस यात्रा को निकालने के लिए प्रशासन की अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस ने बताया कि इस वजह से यात्रा के आयोजकों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है। कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इस यात्रा में शामिल लोगों के हाथों में बंदूक जैसे हथियार भी थे, जिनका खुलेआम प्रदर्शन किया जा रहा था। सोशल मीडिया पर इन दृश्यों को दिखाने वाले कई वीडियो भी मौजूद हैं। पुलिस ने इस संबंध में अभी कुछ नहीं कहा है। अब यहां सवाल उठता है कि अचानक पूरे भारत में ऐसा क्या हुआ है कि लोग छोटी सी छोटी बातों को लेकर एक दूसरे के ख़िलाफ़ खड़े हो जा रहे हैं। कौन हैं वे लोग जो भारतीय युवाओं के हाथों में क़लम की जगह हथियार देखना चाहते हैं? वैसे इन सभी सवालों के जवाब बहुत आसानी से मिल जाएगा। क्योंकि आजकल ऐसे सभी लोगों के वीडियो मिल जाएंगे जो लोगों को भड़का रहे हैं, लोगों से हथियार उठाने की अपील कर रहे हैं, बस एक ख़ास बात यह है कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। अगर भारतीय पुलिस और सरकारें पूरी निष्पक्षता के साथ दंगा भड़काने वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करें तो इस तरह के संप्रदायिक टकराव को आसानी से रोका जा सकता है। (RZ)
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