झटके पे झटका फिर भी अमेरिका है अपना! मास्को और वॉशिंग्टन के बीच किसे दिल दे दिल्ली?
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन इस समय भारत दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है। जेनेट ने शुक्रवार को भारत के आर्थिक विकास की सराहना की और साथ ही उसे अमेरिका का एक ज़रूरी दोस्त क़रार दिया है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, पहली बार भारत दौरे पर आई अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और अमेरिका के लिए इसकी दोस्ती बहुत ज़रूरी है। जेनेट का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिसंबर को भारत जी-20 समूह की अध्यक्षता हासिल करने वाला है। इंडोनेशिया के बाली में 15 से 16 नवंबर तक इस समूह का सम्मेलन होने वाला है। जेनेट का यह बयान फिर से एक बार पुष्टि करता है कि रूस पर भारत के रुख से अमेरिका कोई सरोकारा नहीं रखना चाहता है। जेनेट ने कहा, 'यह मेरा पहला भारत दौरा है और मैं यहां आकर काफ़ी ख़ुश हूं। यह देश अपनी आज़ादी की 75वी वर्षगांठ मना रहा है और जी-20 की अध्यक्षता लेने के लिये तैयार है।' उन्होंने आगे कहा, 'जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन कहते हैं कि भारत, अमेरिका के कुछ ज़रूरी साझीदारों में शामिल है।' येलेन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले वर्ष सर्वोच्च स्तर पर था और उम्मीद है कि यह अभी और बढ़ेगा। जेनेट ने यूक्रेन युद्ध को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन का असभ्य बर्ताव क़रार दिया है।
अमेरिका की वित्त मंत्री ने कहा कि इस बात में कोई हैरानी किसी को नहीं होनी चाहिए कि भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हम सभी महामारी के लंबे प्रभावों से जूझ रहे हैं और पुतीन के यूक्रेन में असभ्य युद्ध ने इन प्रभावों को बढ़ा दिया है। इस संघर्ष की वजह से आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और आपूर्ति में आने वाली बाधा अमेरिका और भारत को क़रीब ला रही है। जेनेट येलेन ने इसके बाद एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते मज़बूत हैं और व्यापार, नाज़ुक आर्थिक संबंधों और साझा हितों के ज़रिये गहरे होंगे।' येलेने की यह टिप्प्णी ऐसे समय में आई है जब भारत ने यह बात पूरी दुनिया को स्पष्ट कर दी है कि वह रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदता रहेगा। भारत ने कहा है कि रूस से तेल ख़रीदना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है। अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से रूस की ओर से निर्यात होने वाले तेल की एक क़ीमत तय करना चाहता है। येलेन से अलग अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधे ने कहा है कि अमेरिका और भारत के रिश्तों में यह एक यादगार पल है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझीदारी और मज़बूत हुई है। वहीं जानकारों का मानना है कि मानवाधिकार का मामला हो या फिर कश्मीर का और या फिर धार्मिक स्वतंत्रता का अमेरिका हमेशा भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता आया है, वहीं वॉशिंग्टन को भारत का रूस से तेल लेना भी रास नहीं आ रहा है लेकिन अमेरिका किसी भी तरह से भारत के इतने बड़े बाज़ार को छोड़ना नहीं चाहता इसलिए इस तरह की नीति अपनाए हुए है, लेकिन यह भी सच है कि वह मौक़ा मिलते ही भारत को कब डंक मार दे इस बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता है। (RZ)
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