कश्मीर, धमकी के बाद पत्रकारों पर सख़्त हुआ प्रशासन, कई के घरों पर छापे
भारत नियंत्रित जम्मू कश्मीर पुलिस ने कश्मीर में लगभग एक दर्जन पत्रकारों को मिली ऑनलाइन धमकियों की जांच के क्रम में 19 नवम्बर शनिवार को कई पत्रकारों के घरों पर छापे मारे।
कश्मीर ज़ोन पुलिस ने शनिवार को एक को ट्वीट में बताया कि श्रीनगर, अनंतनाग और कुलगाम में 10 स्थानों पर तलाशी ली गई।
एक ब्लॉग के माध्यम से जिसे केंद्र शासित प्रदेश में एक्सेस नहीं किया जा सकता, दी गई धमकियों के लिए पुलिस ने पाकिस्तान स्थित लश्करे तैयबा और उसकी शाखा द रेसिस्टेंस फ्रंट को ज़िम्मेदार ठहराया है।
इस पोस्ट में कश्मीर के तीन पत्रकारों को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का ‘सहयोगी’, ‘दिल्ली समर्थित, भारतीय सेना-प्रायोजित’ बताते हुए उनके द्वारा ‘फर्जी नैरेटिव फैलाने’ का आरोप लगाते हुए धमकाया गया था।
मालूम हो कि इन धमकियों के बाद घाटी के पांच पत्रकारों ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था। पुलिस ने बताया था कि उसने धमकी को लेकर मामला दर्ज किया है।
अब तक पुलिस की कार्रवाई पत्रकारों पर ही केंद्रित रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि स्थानीय पत्रकार सज्जाद अहमद क्रालियारी को पुलिस की छापेमारी के दौरान पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया और उनका लैपटॉप, कैमरा और मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया।
अधिकारी ने बताया कि लेखक और पत्रकार गौहर गिलानी समेत करीब दर्जनभर पत्रकारों के घरों पर छापे मारे गए।
ज्ञात हो कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से गिलानी केंद्र सरकार के साथ-साथ जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा अपनाई गई नीतियों के मुखर आलोचक रहे हैं। 2020 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिलानी को ‘सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट और लेखन के माध्यम से गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए’ उन पर आतंकवाद-रोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया था।
द टेलीग्राफ के अनुसार जिन पत्रकारों के घरों पर छापे मारे गये हैं उनमें से कुछ पत्रकारों ने 2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद सरकारी कार्रवाइयों की जमकर आलोचना की थी लेकिन बाद में अपना विरोध कम कर दिया था। (AK)
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