Dec १९, २०२२ १६:५४ Asia/Kolkata
  • आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामनेई के समर्थन में कश्मीरियों ने शुरू किया महा अभियान, साम्राज्यवादी शक्तियों को शिया धर्मगुरुओं से क्यों लगता है डर?

फ्रांस की बदनाम ज़माना पत्रिका शार्ली हेब्दो, जिसने कुछ साल पहले पैग़म्बरे इस्लाम (स) का एक अपमानजनक कार्टून प्रकाशित करके पूरी दुनिया के मुसलमानों की भावना को ठेस पहुंचाई थी, उसने इस बार ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई के ख़िलाफ़ अपमानजनक अभियान चलाया है, लेकिन इस बीच कश्मीरी मुसलमानों समेत दुनिया भर के लोगों ने आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामनेई के समर्थन में (‎#OurLeader ) और (#WeStandWithKhamenei) हैशटैग के साथ महा अभियान शुरू किया है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, एक ओर फ्रांस में जहां केवल होलोकॉस्ट पर सवाल उठाने पर जेल और भारी जुर्माना अदा करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर इसी देश में दुनिया की सबसे बदनाम पत्रिका शार्ली हेब्दो अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने पैग़म्बरे इस्लाम (स) समेत अन्य पवित्र हस्तियों और स्थानों का अपमान करती रहती है। इस पत्रिका ने हाल ही में इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामनेई का अपमान करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन किया है। इस पत्रिका के इस अभियान पर दुनिया भर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस बीच भारत प्रशासित कश्मीर की जनता ने सर्वोच्च नेता के साथ एकजुटता के लिए एक महा अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान अब कश्मीर से निकलकर भारत के अन्य इलाक़ों तक पहुंच रहा है। बड़े पैमाने पर लोग सोशल मीडिया पर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामनेई के समर्थन में जहां उनकी फोटो शेयर कर रहे हैं वहीं (‎#OurLeader ) और (#WeStandWithKhamenei) हैशटैग को भी शेयर कर रहे हैं।

बड़ी संख्या में कश्मीरी बच्चे भी सर्वोच्च नेता के साथ एकजुटता के लिए शुरु हुए एक महा अभियान में हिस्सा ले रहे हैं

शार्ली हेब्दो द्वारा आरंभ किए गए अपमानजनक अभियान के विरोध में और इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामनेई के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करने के उद्देश्य से, कश्मीरियों ने एक महा अभियान शुरू किया है। इस महा अभियान में भाग लेने वाले सर्वोच्च नेता के पोस्टर के साथ अपनी तस्वीरें भी प्रकाशित कर रहे हैं। इस अभियान में भाग लेने वालों का कहना है कि कश्मीर के लोग हमेशा इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के साथ थे और रहेंगे। साथ ही लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि आख़िर ऐसी क्या वजह है कि साम्राज्यवादी शक्तियों को शिया धर्मगुरुओं से डर लगता। सोशल मीडिया पर लोग यह भी प्रश्न पूछ रहे हैं कि परमाणु बम वाले देशों को ईरान से इतना डर क्यों लगता है? इस महा अभियान में भाग लेने वालों का कहना है कि क्योंकि की बड़ी-बड़ी शैतानी शक्तियों को इस बात का विश्वास हो गया है कि संसार को न्याय से भरने के लिए महा मुक्तिदाता ज़रूर आएगा और शिया मुसलमान ही एक ऐसी क़ौम है जो उस महा मुक्तिदाता का इंतेज़ार कर रही है। इसीलिए वह शिया मुसलमानों के बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से डरती भी हैं और उन्हें निशाना भी बनाती हैं। (RZ)

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