Jan ०५, २०२४ १६:४७ Asia/Kolkata
  • क़तर में भारतीय पूर्व नौसैनिक अफ़सरों की सज़ाए मौत अलग अलग मुद्दत की जेल में बदली

क़तर में मौत की सज़ा पाने वाले भारतीय नौसेना के पूर्व अफ़सरों की सज़ाओं में कमी की गई है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना के जिन आठ पूर्व अफ़सरों को क़तर में मौत की सज़ा सुनाई गई थी अब उनकी सज़ाएं कम करके उन्हें अलग अलग मुद्दत की सज़ाएं सुनाई गई हैं और इन सज़ाओं के ख़िलाफ़ अपील करने के लिए उन्हें 60 दिन की मोहलत दी गई है।

हाल ही में क़तर की अदालत ने आठों अफ़सरों की मौत की सज़ा में कमी करने का एलान किया था।

दोनों ही देशों के सरकारी विभागों की ओर से इस बारे में कोई ब्योरा नहीं आया है कि उन्हें यह सज़ाएं किस अपराध में सुनाई गई हैं लेकिन रोयटर्ज़ सहित कुछ मीडिया संस्थानों का कहना है कि भारतीय पूर्व नौसैनिक अफ़सरों को इस्राईल के लिए जासूसी करने के अपराध में यह सज़ाएं सुनाई गई थीं।

मौत की सज़ा से इन पूर्व अफ़सरों के बच जाने को भारत सरकार की कूटैनतिक कामयाबी के रूप में पेश किया जा रहा है।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत के वकीलों की टीम के पास अब अदालती फ़ैसला मौजूद है जिसमें अदालत ने सज़ाए मौत कम करके क़ैद को अलग अलग मुद्दत की क़ैद की सज़ा में बदल दिया है मगर यह ख़फ़िया दस्तावेज़ है।

अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन लोगों को किस मुद्दत की सज़ा दी गई हैं

पिछले साल क़तर की अदालत ने दोहा में गिरफ़तार किए गए पूर्व नौसैनिक अफ़सरों को मौत की सज़ा सुनाई थी लेकिन यह सार्वजनिक नहीं किया गया था कि यह सज़ाएं इस जुर्म में सुनाई गई हैं।

यह आठों आरोपी दोहा स्थित कंपनी अलज़ाहेरा अलआलमी कन्सल्टेंसी एंड सर्विसेज़ के लिए काम करते थे यह कंपनी क़तर की नौसेना को ट्रेनिंग और ज़रूरी उपकरण उपलब्ध कराती है। कहा जाता है कि यह कंपनी ओमान के एक कारोबारी की है जो रायल ओमानी एयरफ़ोर्स के एक रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर हैं। उन्हें भी भारतीय अफ़सरों के साथ गिरफ़तार किया गया था लेकिन जांच के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।

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