दिल्ली के दंगेः मुसलमानों के गहरे ज़ख़्म, भारी नुक़सान... मरहम लगाने और मदद पहुंचाने की कोशिश
(last modified Sun, 22 Mar 2020 05:43:29 GMT )
Mar २२, २०२० ११:१३ Asia/Kolkata
  • दिल्ली के दंगेः मुसलमानों के गहरे ज़ख़्म, भारी नुक़सान... मरहम लगाने और मदद पहुंचाने की कोशिश

अलअज़ीरा डाट नेट ने अपने लेख में दिल्ली में मुसलमानों के नरसंहार और उन्हें पहुंचाए गए भारी नुक़सान के बाद अब उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिशों का उल्लेख किया है।

लेखक के अनुसार उत्तरी दिल्ली में चरमपंथी हिंदुओं के योजनाबद्ध हमलों में मुसलमानों को भारी आर्थिक नुक़सान पहुंचा है। बहुत से लोगों को अपना घरबार छोड़कर जाना पड़ा। इस बीच इस्लामी कल्याणकारी संगठन पीड़ितों को मदद पहुंचाने और मस्जिदों और घरों की मरम्मत करवाने की कोशिश कर रहे हैं।

पूर्वोत्तरी दिल्ली के इंदिरा विहार इलाक़े में 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई और बड़ी संख्या में मुसलमानों को अपने व्यापार और कारोबार से हाथ धोना पड़ा। शबाना नाम की एक महिला ने बताया कि वह सिलाई करती हैं और उनकी एक छोटी सी दुकान थी जिसे दंगाइयों ने जला दिया। अब उनके पास कुछ नहीं बचा है कि वह किसी सुरक्षित इलाक़े में दुबारा अपनी दुकान शुरू कर सकें।

मुहम्मद हारून की कपड़े की दुकान थी। चरमपंथी हंदू दंगाई दुकान में घुसे और जो कुछ था लूट कर ले गए और दुकान भी जला दी। मुहम्मद खतीबुल्लाह का कहना है कि वह ड्राइवर हैं और उन्हीं की कमाई से उनका छह लोगों का परिवार चलता है। वह कहते हैं कि मेरा घर जला दिया अब मेरे पास कुछ नहीं बचा है।

 

दिल्ली दंगों में चरमपंथी हिंदू दंगाइयों ने योजनाबद्ध तरीक़े से और पूरी जानकारी एकत्रित करके हमले किए। उन्होंने 200 से अधिक घर, 100 से अधिक दुकानें 500 से अधिक गाड़ियां जलाईं। 8 मस्जिदों को भी आग लगाई। मुसलमानों को इन दंगों में पूरी तरह बर्बाद कर देने की कोशिश की गई। जहां मिक्स आबादी थी वहां खोज कर मुसलमानों के घरों और दुकानों को जलाया गया।

मुंज़िर कहते हैं कि दंगाई मुहल्ले के थे या बाहर के मुझे नहीं मालूम क्योंकि उन्होंने अपने चेहरे ढांक रखे थे लेकिन जिस तरह ढूंढ ढूंढ कर उन्होंने मुसलमानों को निशाना बनाया है उससे तो लगता है कि मुहल्ले के भीतर के लोग इन हमलों में ज़रूर शामिल थे। मुंज़िर का कहना है कि वह 15 साल पहले इंदिरा विहार इलाक़े में आए थे।  यहां वह ठेले पर खाना बेचते हैं और अपनी कमाई से उन्होंने एक घर ख़रीदा था जिसमें उनके भाई का परिवार भी साझीदार था। मगर एक दिन के भीतर पूरा घर राख के ढेर में बदल गया।

सरकार तो दिल्ली की हिंसा के बारे में यह ज़ाहिर करने की कोशिश कर रही है कि हिंदू और मुसलमान आपस में टकरा गए लेकिन मुसलमानों का कहना है कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ साज़िश है।

इस बीच भारत में मुसलमानों के कई कल्याणकारी संगठन सक्रिय हो गए हैं जो दिल्ली के दंगों की ज़द में आने वाले मुसलमानों की मदद कर रहे हैं। इन संगठनों को पूरे भारत में मुसलमानों की ओर से समर्थन मिल रहा है वहां कुछ हिंदू तथा दूसरे धर्मों के लोग भी मदद कर रहे हैं।

स्रोतः अलजज़ीरा डाट नेट

टैग्स