भारत सरकार और विपक्ष ने मिलकर जनता को आत्म निर्भर बना दिया!
(last modified Tue, 09 Jun 2020 13:42:53 GMT )
Jun ०९, २०२० १९:१२ Asia/Kolkata
  • भारत सरकार और विपक्ष ने मिलकर जनता को आत्म निर्भर बना दिया!

भारत के गृह मंत्री अमित शाह का यह कटाक्ष कि कोरोना के मामले में विपक्ष ने क्या किया काफ़ी हद तक दुरुस्त लगता है। भारत में कोरोना वायरस की महामारी ने जब धीरे धीरे हाहाकार मचाई तो पूरे देश में एक ही चीज़ हर जगह नज़र आई कि संकट की गहरी छाया और भी गहरी होती जा रही है।

सरकार मैदान के बीच में नहीं बल्कि कहीं दूर किनारे पर बैठकर इशारे करती नज़र आई कि जनता को लड़ाई इस तरह लड़नी है कभी थोड़ी बहुत कुछ मदद भी कर दी।

इस संकट ने साबित किया कि चुनाव में ढेरों सीटें जीतने वाली मज़बूत सरकार किस तरह संकट की घड़ी में हाशिए पर चली गई। किस तरह मोदी सरकार ने संकट से निपटने के लिए जी तोड़ कोशिश करने और यह स्वीकार करने के बजाए कि यह लड़ाई बिल्कुल अलग क़िस्म की है और इसे जीतने के लिए हर वर्ग और हर व्यक्ति की ज़रूरत है, यह संदेश देने की कोशिश की कि हालात पूरी तरह उसके क़ाबू में हैं और वह बहुत कामयाबी से पूरे मामले को हैंडल कर रही है। जबकि हक़ीक़त में एसा नहीं था।  

पूरे संकट के दौरान यह बात साफ़ नज़र आई कि मोदी सरकार अपनी मज़बूत सरकार वाली छवि बचाने की नाकाम कोशिश में ही लगी रही।

 

चाहे मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने का मामला हो, टेस्टिंग का मामला है, हेल्थ सेक्टर की समस्याओं को दूर करके चिकित्सा कर्मियों को सशक्त बनाने का विषय हो हर जगह केन्द्र सरकार हाशिए पर और लग्गी से पानी पिलाने की कोशिश करती दिखाई दी।

सरकार की तो यह हालत रही, केन्द्रीय विपक्ष की हालत तो इतनी ख़राब रही कि उसके बारे में बात ही करना बेकार है। विपक्षी नेता और कार्यकर्ता कई तरफ़ से डरे हुए नज़र आए। उन्हें शायद सबसे ज़्यादा डर इस बात का था कि कहीं वह ख़ुद वायरस की चपेट में न आ जाएं और कहीं उन पर यह आरोप न लग जाए कि वह बड़े संकट के समय राजनीति करने पर तुले हुए हैं।

विपक्षी नेताओं को निश्चित रूप से यह भी डर रहा होगा कि कहीं उनकी कोई कमज़ोरी सरकार के सामने न हो और उनके ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों का इस्तेमाल न कर ले और जेलों में बंद भाजपा विरोधी नेताओं की सूचि में कुछ और नामों की वृद्धि न हो जाए।

इस पूरे प्रकरण में जनता अकेली जूझती दिखाई दी, जान देती दिखाई दी, आपस में ही एक दूसरे की मदद करती दिखाई दी।

सबसे बड़ी बात यह है कि जनता की समझ में यह संदेश भी आ गया है कि आगे भी अगर कुछ करना है तो ख़ुद उसे ही करना है। आगे जब आर्थिक संकट गहराता जाएगा तो उसकी मदद करने न सरकार आएगी और न विपक्ष। मतलब यह कि भारत की जनता अब आत्म निर्भर हो चली है और आगे भी इसी आत्म निर्भरता के सहारे सफ़र तय करना है बल्कि सरकार की मदद भी करनी है।

 

ओडिशा के लिए एक डिजिटल रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक जन और एक मन’ के साथ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाया जिसकी वजह से आज भारत, दुनिया में अच्छी स्थिति में है। इस जंग में मुख्य विपक्षी पार्टी ने अमेरिका, स्वीडन में लोगों से बात करने, इंटरव्यू लेने के अलावा और क्या किया?  अमित शाह की यह बात आधा सच है, पूरा सच यह है कि सरकार ने भी कुछ नहीं किया, जो कुछ किया जनता ने अपने बलबूते पर किया।

असीम पुरोहित

नोटः लेखक के विचार से पार्सटुडे हिंदी का समहत होना ज़रूरी नहीं है

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