चीन की सत्ताधारी पार्टी के अख़बार की भारत को नसीहत, अमरीका पर भरोसा न करे, अपनी ताक़त पर न इतराए भारत!
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार ग्लोबल टाइम्ज़ ने अपने संपादकीय में सीमा पर भारत-चीन विवाद का जायज़ा लेते हुए भारत को कुछ सलाह दी है। अख़बार का आरोप है कि भारत भड़काऊ कार्यवाही कर रहा है और उसने एलएसी पार की है।
पिछली बार पैंगांग झील के दक्षिणी तट पर दोनों देशों के सैनिकों का टकराव हुआ था जिसमें बीस भारतीय सैनिक मारे गए थे उसके बाद से यह इलाक़ा चीन के कंट्रोल में है। भारत कोशिश कर रहा है कि इस इलाक़े को नया विवादित इलाक़ा बना दे। भारत दरअस्ल सीमावर्ती इलाक़े में स्थिरता मज़बूत करने के बजाए आक्रामक रुख़ अपनाने पर तुला हुआ है।
हालांकि भारत इस समय अपनी आंतरिक समस्याओं में उलझ गया है। कोरोना वायरस की महामारी तो भारत के कंट्रोल से बाहर निकल चुकी है। अर्थ व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। इन हालात में सीमा पर विवाद को हवा देकर भारत सरकार आंतरिक समस्याओं से जनता का ध्यान हटाना चाहती है।
भारत को याद रखना चाहिए कि उसका सामना ताक़तवर चीन से है और यदि टकराव हुआ तो भारत को 1962 से ज़्यादा नुक़सान उठाना पड़ेगा।
भारत को न तो अमरीका की मदद पर भरोसा करना चाहिए और न ही ख़ुद इतराना चाहिए। विवादित मुद्दों को चीन भारत बातचीत से हल किया जाना चाहिए।
पैंगांग झील के पास टकराव से लगता है कि भारत ने गालवान घाटी में हुई झड़प से सबक़ नहीं लिया है। चीन को सीमा पर संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। विवाद को वार्ता से हल करने की कोशिश ज़रूर होनी चाहिए लेकिन अगर भारत अड़ियल रवैया अपनाए तो फिर चीन को नर्मी नहीं दिखानी चाहिए। चीन को यह हमेशा सुनिश्चित रखना चाहिए कि वह जब चाहे भारत से जीत सकता है।
चीन की ताक़त भारत से कई गुना ज़्यादा है भारत चीन के मुक़ाबले में कहीं नहीं टिकता। हमें भारत की इस ग़लत फ़हमी को ध्वस्त कर देना होगा कि वह अमरीका जैसे किसी देश के साथ मिलकर चीन से टकरा सकता है। चीन भारत सीमावर्ती मुद्दों की जब बात आती है तो भारत हमेशा अवसरवादी साबित होता है।
ताज़ातरीन ख़बरों, समीक्षाओं और आर्टिकल्ज़ के लिए हमारा फ़ेसबुक पेज लाइक कीजिए!
हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए