भारत के बारे में चीनी अख़बार का कठोर लहजाः भारत की राष्ट्रवादी फ़ोर्सेज़ को सबक़ सिखाने की ज़रूरत, समझाना पड़ेगा कि वह चट्टान से अंडा टकराने की कोशिश कर रही हैं!
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के अख़बार ग्लोबल टाइम्ज़ ने सीमा पर जारी तनाव के बारे में अपने संपादकीय में कठोर भाषा का प्रयोग किया है और भारत को सबक़ सिखाने की बात कही है।
अख़बार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय समकक्ष एस जयशंकर मास्को में गुरुवार की शाम मुलाक़ात करने वाले हैं जबकि एलएसी पर दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है। अगर यह मुलाक़ात होती है तो इससे यह संकेत मिलेगा कि दोनों ही पक्षों ने वर्तमान गंभीर स्थिति में भी संवाद का चैनल खुला रखा है मगर यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों देशों के नेताओं की राजनैतिक वार्ता से एलएसी पर तनाव में कमी आ पाएगी या नहीं।
भारत कूटनीति में नर्मी दिखा रहा है मगर सीमा पर उसके सैनिक आक्रामक मुद्रा में हैं इससे लगता है कि भारत को चीन के बारे में यह ग़लतफ़हमी है कि चीन भारत से टकराव नहीं चाहता क्योंकि उस पर अमरीका का दबाव है।
चीन को चाहिए कि डिप्लोमेटिक प्रयासों के नाकाम होने की स्थिति में सैनिक कार्यवाही के लिए अपनी तैयारी पूरी रखे और सैनिक किसी भी लड़ाई के लिए हर समय तैयार रहें।
चीनी अख़बार का कहना है कि भारत की राष्ट्रवादी फ़ोर्सेज़ को सबक़ सिखाने की ज़रूरत है और उन्हें समझाना पड़ेगा कि वह चट्टान से अंडा टकराने की कोशिश कर रही हैं। टकराव बहुत ऊंचाई पर हो रहा है इसलिए वहां दोनों ही पक्षों के लिए वहां बड़े पैमाने पर सैनिकों को तैनात करना कठिन है तो अब ताक़त और इरादे का प्रदर्शन करने की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए।
भारत के राष्ट्रवादी अपनी हैसियत भूल गए हैं। भारत को चाहिए कि वह दुनिया को और चीन को ग़ौर से देखे साथ ही पुराने इतिहास पर भी एक नज़र डाल ले। अगर भारत को राष्ट्रवादी ताक़तों ने हाईजैक कर लिया है तो उसे भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
भारत रोज़ सीमावर्ती इलाक़ों के बारे में जाली ख़बरें फैला रहा है चीन भारत को यह अनुमति नहीं दे सकता है कि वह सीमा पर हालात के बारे में नैरेटिव अपने कंट्रोल में रखे।
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