कश्मीर में प्रदर्शनों और झड़पों की मीडिया कवरेज पर प्रशासन ने लगाई रोक, पत्रकारों ने जताई आपत्ति
भारत नियंत्रित कश्मीर में पुलिस ने पत्रकारों से कहा है कि वे क्षेत्र में भारतीय सरकार का विरोध और उसके विरुद्ध प्रदर्शन करने वालों से मुकाबले की कवरेज से परहेज़ करें क्योंकि इसे सुरक्षा बलों की ड्यूट में हस्तक्षेप के समान समझा जायेगा।
भारत ने पांच अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया था जिसके बाद शांति व सुरक्षा स्थापित करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया था।
जारी सप्ताह में भारत नियंत्रित कश्मीर के पुलिस प्रमुख ने कश्मीर घाटी में प्रदर्शनों के साथ- साथ पुलिस कार्यवाहियों की कवरेज करने वालों के लिए नये निर्देश जारी किये हैं। पुलिस प्रमुख विजय कुमार ने कहा है कि कोई ऐसी चीज़ प्रकाशित करने की अनुमति नहीं होगी जिसमें हिंसा को हवा दी जाए और उससे शांति व सुरक्षा ख़राब हो या जो देश विरोधी भावनाओं को हवा दे।
उन्होंने कहा कि मीडिया को यह सुझाव दिया गया था कि वह घाटी में होने वाले पुलिस मुकाबलों या किसी भी ऐसी स्थिति से दूर रहे जो शांति व सुरक्षा के लिए चुनौती हो और सीधे रूप से इस प्रकार की चीज़ों को कवरेज न करें मगर पत्रकारों ने पुलिस की गाइडलाइन का विरोध करते हुए कहा है कि नये क़ानून का लक्ष्य उन्हें रिपोर्टिंग न करने पर बाध्य करना है।
कश्मीर प्रेस क्लब ने एक बयान में कहा है कि पत्रकारिता की आज़ादी लोकतंत्र की बुनियाद है और इस पर होने वाले किसी भी हमले से लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुक़सान पहुंचता है। MM
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