ईरान और पाकिस्तान के संबंधों में क्या क्या हैं रुकावटें..
(last modified Wed, 17 Aug 2022 07:51:33 GMT )
Aug १७, २०२२ १३:२१ Asia/Kolkata

इस्लामी गणतंत्र ईरान और पाकिस्तान के संयुक्त आर्थिक आयोग की 21वीं बैठक की पूर्व संध्या पर दोनों देशों के व्यापारियों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों के विस्तार का आह्वान किया।

यह बैठक कल से पाकिस्तान में दो दिनों के लिए होगी। ईरान और पाकिस्तान, दो पड़ोसी मुस्लिम देश और ईसीओ आर्थिक संगठन के संस्थापक सदस्य के रूप में, आर्थिक, वाणिज्यिक और व्यापार सहयोग के विकास के लिए अनेक क्षमताओं और संभावनाओं से संपन्न हैं हालाँकि, ऊर्जा, निर्माण और खाद्य उद्योगों सहित इन क्षमताओं के अधिकतम उपयोग के लिए पाकिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक अधिकारियों द्वारा बारम्बार ज़ोर दिए जाने के बावजूद इस संबंध में बहुत अधिक मूल विकास नहीं देखा गया है।

योजनाओं के अनुसार, तेहरान और इस्लामाबाद के बीच व्यापार की मात्रा प्रति वर्ष 5 बिलियन डॉलर तक बढ़ने वाली थी जो अभी तक व्यवहारिक नहीं हुई है।

एक पाकिस्तानी विशेषज्ञ रज़ा हसन ईरान और पाकिस्तान के आर्थिक विकास के लक्ष्यों के साकार न होने के कारणों के बारे में कहते हैं कि पाकिस्तान हमेशा विदेशी संबंधों पर प्रतिबंधों की श्रृंखला में फंस गया है, मुख्य रूप से अमरीकी प्रभाव और सऊदी अरब सहित क्षेत्र के कुछ अरब देशों के साथ विशेष संबंधों के के चक्कर में जिसकी वजह से वे इस्लामाबाद को अपनी इच्छा के अनुसार क्षेत्रीय नीति को समायोजित करने की अनुमति नहीं देते है।

यह एसी हालत में है कि जब ईरान के पास विभिन्न तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों, ऊर्जा, निर्माण उद्योगों जैसे सिरेमिक, नालेज बेस्ड और मोटर वाहन उद्योगों सहित अनेक क्षेत्रों में कई संभावित और वास्तविक क्षमताएं और संभावनाएं पायी जाती हैं जबकि पाकिस्तान भी इससे अलग नहीं है। तेहरान और इस्लामाबाद न केवल एक-दूसरे की ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं बल्कि पश्चिम पर अपनी निर्भरता को भी कम कर सकते हैं। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई प्रदर्शनियों के आयोजन और किए गए समझौतों के पालन की भी आवश्यकता होती है जो कागज पर न रहते हुए व्यवहारिक रूप से सामने आएं।

पाकिस्तान के मामलों के विशेषज्ञ रुई सिफत कहते हैं कि ईरान और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों के गंभीर नुकसान में से एक विभिन्न मुद्दों के प्रभाव में समझौतों का कार्यान्वयन न होना है। तेहरान और इस्लामाबाद के बीच संबंधों के दुश्मन कभी भी दोनों पक्षों के बीच संबंध विकसित नहीं देखना चाहते हैं और वे हमेशा से इस कोशिश में हैं कि पाकिस्तान पर दबाव बनाकर इस देश और ईरान के बीच संबंधों को ख़राब कर दें।

पाकिस्तानी सरकार के अधिकारियों ने हाल ही में जिन समाधानों पर जोर दिया है उनमें से एक समाशोधन और राष्ट्रीय मुद्राओं के आधार पर व्यापार संबंधों का विकास है जो डॉलर पर उनकी निर्भरता को कम करने में बहुत मदद कर सकता है।(AK)

 

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