मानवाधिकार का दावा पश्चिम के मुंह से अच्छा नहीं लगताः सुप्रीम लीडर
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि मानवाधिकार का दावा कभी भी पश्चिम के मुंह से अच्छा नहीं लगता।
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर फ़ार्सी सहित और भाषा के प्रोफ़ेसरों व बुद्धिजीवियों, युवा शायरों और देश के अहम लोगों ने सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पश्चिम मूल रूप से मानवाधिकारों का दुश्मन है। उन्होंने कहा कि पश्चिम के सभी मानवाधिकारों को दाइश में और लोगों को ज़िंदा ज़िंदा जला देने या पानी में डुबा देने, या आतंकवादी संगठन एमकेओ या सद्दाम के समर्थन और फ़िलिस्तीन तथा ग़ज़्ज़ा के विरुद्ध अपराधों में देखा जा सकता है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने तेहरान की सड़कों पर मोमिन युवाओं की हत्या और उनके जनसंहार को मानवाधिकारों के समर्थन के दावे के झूठे होने की एक और मिसाल क़रार दिया और कहा कि आरमान अली वर्दी और रूहुल्लाह अजमियान जैसे हमारे सबसे पवित्र युवा, पश्चिमी मीडिया के उकसाने, भड़काने और प्रशिक्षण से ख़तरनाक यातनाओं का शिकार होकर मारे गये।
सुप्रीम लीडर ने दुश्मनों, उनके लक्ष्यों, उनकी शैलियों और उनके हमलों के बिन्दुओं की पहचान की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि दुशमन के साफ़्ट वॉर के आयामों की पहचान सभी के लिए ज़रूरी है लेकिन सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ताकि ख़ुद प्रभावित न हों और दूसरों का ध्यान भी केन्द्रित कराएं और दुश्मनों की साज़िश को नाकाम बनाएं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने दवाओं पर प्रतिबंध तथा विभिन्न बहानों से वैक्सीन देने से मना करने को ईरान के विरुद्ध पश्चिम के हमलों का एक अन्य नमूना क़रार दिया और कहा कि अगर वह ईरान और ईरानी जनता को खाद्य पदार्थों से वंचित कर सकते थे तो इसको करने में संकोच न करते।
सुप्रीम लीडर का कहना था कि पश्चिम ने ईरानी महिलाओं और उनके अधिकारों का ख़याल करने में भी दया नहीं की बल्कि ईरानी महिलाओं से वे बुरी तरह द्वेष रखते हैं और अपने झूठ को महिलाओं की आज़ादी और उसके अधिकारों के समर्थक के रूप में पेश करते हैं। (AK)
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