Apr १७, २०२३ ११:४९ Asia/Kolkata

इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार को ईरान की सशस्त्र सेना के कमांडरों और अधिकारियों से मुलाकात में सशस्त्र सेना को देश व राष्ट्र की मज़बूत दीवार बताया।

उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा स्थान, भारी ज़िम्मेदारी लाता है और ईश्वर की कृपा से सशस्त्र सेना इस गौरान्वित स्थान को समझ कर अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही है।

उन्होंने पवित्र कुरआन की आयत का हवाला देते हुए कहा कि हमेशा तैयार रहना महान ईश्वर का आदेश और ईश्वर तथा राष्ट्र के दुश्मनों के भय का कारण है। उन्होंने कहा कि खतरा पूरी तरह कभी भी खत्म नहीं होगा इस आधार पर जितना तैयारी कर सकते हैं, करें। सुप्रीम लीडर ने कहा कि अमेरिकियों के इराक और अफगानिस्तान में हित थे परंतु उनका अंतिम लक्ष्य ईरान था।

कुछ टीकाकारों का मानना ​​है कि आज की दुनिया में सैन्य शक्ति किसी देश की शक्ति का आधार नहीं है बल्कि शक्ति का आधार विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र है।

इसके मुक़ाबले में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में यथार्थवादी सिद्धांतकारों का मानना ​​है कि सैन्य शक्ति अभी भी देशों के लिए शक्ति का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं। यह दृष्टिकोण विशेष रूप से पश्चिम एशियाई क्षेत्र के देशों पर लागू होता है।

पश्चिम एशियाई क्षेत्र दुनिया के सबसे अशांत और असुरक्षित क्षेत्रों में से एक है जहां सैन्य शक्ति होना सुरक्षा के लिए एक शर्त और शक्तिशाली देशों का एक माध्यम हो सकता है।  

पश्चिम एशियाई क्षेत्र की अराजक और असुरक्षित प्रकृति के दृष्टिगत सुप्रीम लीडर हमेशा से ही सैन्य शक्ति को मज़बूत करने पर लगातार ज़ोर देते रहे हैं।

पश्चिम एशियाई क्षेत्र की विशिष्ट परिस्थितियों और क्षेत्र के आंतरिक मामलों में पश्चिमी शक्तियों के व्यापक हस्तक्षेप की वजह से भी भी ईरान के ख़िलाफ लगातार ख़तरा बना हुआ है।

ईरान के आसपास के वातावरण में ज़ायोनी शासन की उपस्थिति और ईरान के साथ इस शासन की दुश्मनी, साथ ही पड़ोसी देशों में कुछ आतंकवादी और अलगाववादी समूहों की उपस्थिति भी ईरान के ख़िलाफ़ लगातार ख़तरे का चिन्ह हैं।

इसीलिए सुप्रीम लीडर ने सशस्त्र बलों के कमांडरों के साथ बैठक में ज़ोर दिया है कि ख़तरा कभी भी पूरी तरह से ख़त्म नहीं होगा, इसीलिए आपको विभिन्न तैयारियों में जितना हो सके उतना प्रयास करना चाहिए। (AK)

 

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