Nov ०१, २०२३ १४:५७ Asia/Kolkata
  • ग़ज़्ज़ा की जंग, सत्य और असत्य, ईमान और साम्राज्यवाद की जंग हैः सुप्रीम लीडर

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि यह जंग, ग़ज़्ज़ा और इस्राईल की जंग नहीं है बल्कि सत्य और असत्य और ईमान और साम्राज्यवाद की जंग है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि 13 आबान 1358 का दिन, अमरीका पर ईरानी राष्ट्र का प्रहार का दिन था।

13 आबान विश्व साम्राज्यवाद से संघर्ष के दिन के निकट आने के अवसर पर पूरे ईरान के छात्र और छात्राओं ने सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।

सुप्रीम लीडर ने इस मुलाक़ात में कहा कि दूतावास पर नियंत्रण की घटना से ईरानी राष्ट्र से अमरीका की दुश्मनी को जोड़ना, एक बहुत बड़ा झूठ है।

छात्र और छात्राओं से मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने कहा कि इस्लामी क्रांति क्रांति की सफलता के दस महीने बाद, 13 आबान 1358 का दिन था जब छात्र गये, दूतावास में घुसे और अमरीकी दूतावास पर नियंत्रण कर लिया।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 13 आबान को दिन घटना घटी जिसमें दो घटनाओं में अमरीकियों ने ईरानी राष्ट्र को नुक़सान पहुंचाया जबकि एक घटना में ईरानी राष्ट्र ने अमरीकियों पर प्रहार किया।

उन दो घटनाओं में जिनमें अमरीका ने ईरानी राष्ट्र को नुक़सान पहुंचाया, उनमें से एक 13 आबान 1343 हिजरी शम्सी को इमाम ख़ुमैनी द्वारा कैप्च्युलेशन का विरोध करने की वजह से उन्हें देश निकाला दिया जाना था। दूसरा प्रहार छात्रों का जनसंहार था। ईरानी राष्ट्र की क्रांति की लहर के चरम पर पहुंचने के दिनों में शाह की पुलिस ने छात्रों का विश्वविद्यालय के सामने ही जनसंहार कर दिया, गोलियों से भून दिया और छात्रों को ख़ून से लथपथ कर दिया।

सुप्रीम लीडर ने कहा कि छात्रों ने अमरीकी दूतावास पर नियंत्रण करने के बाद इस दूतावास के गुप्त और ख़ुफ़िया राज़ और दस्तावेज़ जारी कर दिया, अमरीका की बहुत बेइज़्ज़ती हुई, यह ईरानी राष्ट्र की ओर से अमरीका पर प्रहार था।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि एक अहम मामला जिसको मैं पेश करना चाहता हूं वह अमरीका से हमारा मुक़ाबला है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि अमरीकी, ईरानी राष्ट्र से अपनी अपनी दुश्मनी को दूतावास के मामले से जोड़ते हैं। सुप्रीम लीडर कहते हैं कि वे कहते हैं कि इसीलिए अमरीका, ईरान पर प्रतिबंध लगाए है, ईरान का बुरा चाहता है, ईरान में दंगे भड़काता है, समस्याएं खड़ी करता है।

सुप्रीम लीडर का कहना है कि वे कहते हैं कि इसका कारण यह है कि आपके छात्रों ने अमरीकी दूतावास पर नियंत्रण कर लिया, यह अमरीकी भी कहते हैं और देश के भीतर लोग उनका अनुसरण करते हुए कहते हैं, यह बहुत बड़ा झूठ है।    

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि दूतावास की घटना से 26 साल पहले, 28 मुरदाद का विद्रोह हुआ था, उस दिन तो कोई दूतावास में नहीं गया था।

सुप्रीम लीडर कहते हैं कि अमरीकी दूतावास से मिलने वाले दस्तावेज़ों से पता चलता है कि इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से ही अमरीकी दूतावास ईरान के ख़िलाफ़ साज़िशों और जासूसी का केन्द्र रहा, यहां तक कि अमरीकी दूतावास में क्रांति के ख़िलाफ़ विद्रोह की योजना भी बनी थी। (AK)

 

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