45 साल पहले इसी दिन इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी पंद्रह साल के निर्वासन के बाद ईरान लौटे थे
45 साल पहले इसी दिन, यानी पहली फ़रवरी 1979 को इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी ने देश से पंद्रह साल के निर्वासन के बाद ईरान की धरती पर क़दम रखा। उनके ईरान आगमन के दस दिन बाद, 11 फ़रवरी, 1979 को ईरान की गौरवशाली इस्लामी क्रांति सफल हुई।
इन दस दिनों को यानी इमाम ख़ुमैनी के आगमन और इस्लामी क्रांति की सफलता तक के दस दिनों को ईरान स्वतंत्रता प्रभात के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान ईरान में विशेष कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर, बुधवार को इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई इमाम ख़ुमैनी के मज़ार पर उपस्थित हुए और वहां उन्हें और क्रांति के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस्लामी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक विभिन्न क्षेत्रों में स्वाधीनता की प्राप्ति है। पहलवी शाही शासन पूर्ण रूप से अमरीका और पश्चिमी ताक़तों पर निर्भर था। यही वजह है कि इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी ने आंदोलन के दौरान सबसे ज़्यादा बल स्वाधीनता और आज़ादी पर दिया था। इमाम ख़ुमैनी की नज़र में स्वाधीनता, क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण महत्वकांक्षा और उसका तत्व है। उनका मानना था कि स्वाधीनता के दो पहलू हैं। जिसका एक पहलू साम्रज्यवाद का इनकार है, जिसे उन्होंने न पूरब और न पश्चिम के नारे के रूप में परिभाषित किया था।
स्वाधीनता का दूसरा पहलू यह है कि राष्ट्र राजनीति, सामरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और वैचारिक क्षेत्रों में स्वतंत्रता प्राप्त कर ले। उन्होंने देश के नागरिकों और पेशेवर लोगों को काम सौंपने, और देश के संसाधनों को लोगों के लिए विशेष करने पर बल दिया और इसके लिए वैचारिक स्वाधीनता और शैक्षिक स्वतंत्रता को ज़रूरी क़रार दिया। उन्होंने कहा थाः हमारी हर चीज़ स्वाधीन होनी चाहिए। क्योंकि स्वाधीनता, निर्भरता के साथ हासिल नहीं हो सकती, और जब तक हमारी संस्कृति निर्भर है, हम स्वाधीन नहीं हो सकते, जब तक हमारी अर्थव्यवस्था निर्भर रहेगी, तो उस वक़्त तक हम स्वाधीन नहीं हो सकते।
ईरान में इस्लामी क्रांति के महत्व और इस क्रांति में इमाम ख़ुमैनी की भूमिका के बारे में जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओरिएंटल स्टडीज़ के निदेशक यूडो स्टीनबैक का कहना है कि इमाम ख़ुमैनी दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे, उन्होंने अपने आकर्षक और करिश्माई व्यक्तित्व के साथ इस्लामी क्रांति की मज़बूत बुनियाद रखी।
ईरान की इस्लामी क्रांति मानव जाति के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और अनोखी घटनाओं में से एक है। इस क्रांति ने ईरान के अंदर और बाहर विभिन्न सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक आयामों में महान उपलब्धियां हासिल की हैं।