ईरान को कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वाइट हाऊस में कौन आता है और कौन जाता है, तेहरान की नीतियां अटल हैं
(last modified Fri, 02 Oct 2020 13:13:27 GMT )
Oct ०२, २०२० १८:४३ Asia/Kolkata
  • ईरान को कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वाइट हाऊस में कौन आता है और कौन जाता है, तेहरान की नीतियां अटल हैं

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबज़ादे ने समाचार एजेन्सी इर्ना से बात करते हुए कहा है कि राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में 13 देशों की ओर से अमेरिका का विरोध किये जाने से वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग पड़ गया है।

उन्होंने ईरान के खिलाफ खत्म किये जा चुके प्रतिबंधों की बहाली के लिए अमेरिकी अधिकारियों के प्रयासों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ट्रंप की कार्यवाहियों से अमेरिकी श्रेष्ठता का भ्रम खत्म हो गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका अतीत से कहीं अधिक अलग थलग पड़ गया है।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते के परिप्रेक्ष्य में ईरान की ओर से स्वेच्छा से की जाने सहकारिता में कमी की वजह यूरोप की अक्षमता है और तेहरान प्रतिबंधों की दोबारा बहाली और अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते के बावजूद अलग से डाले जाने वाले दबाव को ग़ैर कानूनी और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ समझता है।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात पर बल देते हुए कि ईरान पर इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कौन उम्मीदवार जीतता है, कहा कि यद्यपि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव दुनिया के अधिकांश देशों के लिए विशेष महत्व रखते हैं और क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस चुनाव का प्रभाव पड़ेगा किन्तु ईरान दुनिया के कुछ स्वतंत्र देशों में से एक है और वाइट हाउस में किसी के आने- जाने से तेहरान की नीतियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबज़ादे ने कहा कि कठीन प्रतीत होता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भविष्य में ईरान के खिलाफ किसी को अपनी हां में हां मिलाने में कामयाब हो पायेंगे और साथ ही दुनिया के विभिन्न देशों पर अमेरिका का राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक दबाव भी खत्म होता जा रहा है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबज़ादे ने ईरान के खिलाफ़ अरब और जायोनियोनिज़्म की संयुक्त लाबी की कोशिशों की ओर संकेत किया और कहा कि क्षेत्र में वर्चस्व जमाने के खिलाफ प्रतिरोध बन चुका है और इस प्रतिरोध को खत्म करने के लिए अमेरिका और उसके घटकों व पिछलग्गूओं की ओर से प्रयास भी किये जा रहे हैं किन्तु अभी तक वह अपने प्रयासों में सफल नहीं हो सके हैं। (AK)

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