ईरान कब और कैसे लेगा बदला, इस सवाल से तेलअवीव से रियाज़ तक बेचैनी!
ईरान के महान परमाणु वैज्ञानिक शहीद मोहसिन फ़ख़रीज़ादे को सोमवार को तेहरान मे पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। वहीं एक ओर ईरानी राष्ट्र ने नम आंखों से अपने शहीद को विदाई दी। तो दूसरी ओर शहीद फ़ख़रीज़ादे के हत्यारों के मन बेचैन दिखे। उनको शहीद करने वाले और उस साज़िश में शामिल सभी की नींद इस सवाल से उड़ी हुई है कि ईरान उनकी हत्या का बदला कब और कैसे लेगा?
ईरान के महान वैज्ञानिक शहीद डॉक्टर फ़ख़रीज़ादे की 27 नवंबर शुक्रवार को तेहरान के उपनगरीय क्षेत्र दमावंद के ऑबे सर्द इलाक़े में हुए एक आत्मघाती हमले में अपने सुरक्षाबलों के साथ शहीद हुए थे। सोमवार 30 नवंबर को उनका अंतिम संस्कार तेहरान में हुआ। इस बीच उनकी शहादत पर रोष प्रकट करते हुए ईरान के कुछ सांसदों ने देश के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय निरिक्षण रोकने की मांग की है। ईरान के हित संरक्षण परिषद के सचिव ने यह भी सुझाया दिया है कि ईरान को वैश्विक परमाणु प्रसार निषेध संधि (एनपीटी) से निकल जाना चाहिए। इस बीच इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर हसन रूहानी ने बल दे कर कहा है कि देश अपना बदला "समय आने पर" लेगा और जल्दबाज़ी कर किसी "जाल" में नहीं फंसेगा। इस बीच इस्राईल सहित क्षेत्र के उसके और अमेरिका के एजेंट शासनों के दिलों की धड़कनें लगातार बढ़ती जा रही हैं। शहीद फ़ख़रीज़ादे के हत्यारों के मन इस सवाल को लेकर बेचैन हैं कि ईरान कब और कैसे अपने शहीद का बदला लेगा?
इस बीच ज़ायोनी अधिकारियों की ओर से लगातार बयान आ रहे हैं, जिससे उनकी बेचैनी साफ़ झलक रही है। इस्राईल ने दावा किया है कि फ़ख़रीज़ादे ईरान के एक ऐसे सैन्य परमाणु कार्यक्रम के मुख़िया थे कि जिसके होने के बारे में ईरान हमेशा से इनकार करता आया है। 2008 में अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी गतविधियों के लिए उन पर प्रतिबंध लगाए थे। वैसे तो इस्राईल ने उनकी हत्या पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, जो कि ऐसे समय पर हुई है जब बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शपथग्रहण समारोह में दो महीने से भी कम का समय बचा है। बाइडेन ने संकेत दिए हैं कि उनका प्रशासन राष्ट्रपति ट्रम्प के ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते को निकलने के फ़ैसले को पलट कर फिर से समझौते में शामिल हो सकता है। इस बीच शहीद फ़ख़रीज़ादे की हत्या का षड्यंत्र रचने वाले ईरानी राष्ट्र के विरोधी चाहते हैं कि तेहरान कोई ऐसी कार्यवाही करे कि जिससे अमेरिका के परमाणु समझौते में आने की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाएं। लेकिन ईरान का नेतृत्व यह जानता है कि उसे कब और कैसी कार्यवाही करनी है, इसीलिए ईरान कभी भी दुश्मन के बिछाए जाल में नहीं फंसता और दुश्मनों को हर बार मुंह की खानी पड़ती है। यह निश्चित है कि ईरान अपने शहीद वैज्ञानिक का बदला लेगा, लेकिन कब और कैसे यह ख़ुद ही ईरान तय करेगा, लेकिन बदले की कार्यवाही में जितनी देरी होगी उतनी ही दुश्मनों की बेचैनी और बढ़ेगी।
इस बीच इस्लामी गणतंत्र ईरान की हित संरक्षण परिषद के सचिव मोहसिन रज़ाई ने कहा है कि, “ईरान को वैश्विक परमाणु प्रसार निषेध संधि पर पुनर्विचार करने से रोकने का कोई कारण नहीं है।” इस्राईली अख़बार हारेत्ज़ के अनुसार शहीद फ़ख़रीज़ादे की हत्या का बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने से सीधा संबंध है। इस इस्राईली समाचार पत्र ने कहा है कि, "हत्या जिस समय पर की गई है वह बाइडेन के लिए परमाणु संधि को पुनर्जीवित करने की योजनाओं के प्रति इस्राईल की आलोचना का स्पष्ट संदेश है।" सितंबर में ही इस्राईल से अपने संबंध सामान्य करने के बाद संयुक्त अरब इमारात ने शहीद फ़ख़रीज़ादे की हत्या की निंदा की और संयम की ज़रूरत पर जोर दिया। संधि में शामिल ब्रिटेन ने कहा है कि वह फ़ख़रीज़ादे की हत्या के बाद पश्चिमी एशिया में तनाव के गहरा जाने को लेकर चिंतित है। तुर्की ने हत्या को एक "आतंकवादी" घटना बताया और कहा कि इससे "इलाक़े में शांति को नुक़सान" हुआ है। इस बीच दुनिया भर के राजनीतिक टीकाकार एवं जानकारों का मानना है कि इस ईरान के महान वैज्ञानिक की हत्या के पीछे किसका हाथ है यह सब जानते हैं और अगर इस तरह की हत्याएं होती रहीं तो पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों और विद्वानों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी। टीकाकारों और जानकारों का कहना है कि इस्राईल की इस तरह की काली करतूतों पर तुरंत विश्व समाज अपनी प्रतिक्रिया दे और पूरी दुनिया विशेषकर पश्चिमी एशिया में अशांति के लिए उसको ज़िम्मेदार ठहराते हुए उसके ख़िलाफ़ कड़ी प्रतिबंध लगाए जाएं। (RZ)
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