Aug ३०, २०२३ १५:३५ Asia/Kolkata
  • अरबईन की शुरुआत किसने की? दाइश के ख़तरे के बावजूद किसकी मदद से इराक़ में आयोजित हो रहा है विश्व का यह सबसे बड़ा और अनोखा धार्मिक कार्यक्रम?

एक ही वक़्त में एक ही स्थान पर जुटने वाली सबसे बड़ी भीड़ के विश्व-रिकार्ड पर नज़र डालने से पता चलता है कि इराक़ के पवित्र नगर कर्बला में अरबईन के मौक़े पर आयोजित होने वाला धार्मिक कार्यक्रम इस समय, एक वक़्त में एक स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का एकत्रित होना अभूतपूर्व है।

इराक़ में होने वाले अरबईऩ मार्च हर साल अपना ही पिछला रिकार्ड तोड़ देता है। प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक़, अरबईन मार्च के दौरान इराक़ के कर्बला शहर में 4 से 6 करोड़ की भीड़ दिखाई पड़ती है। अरबईन मार्च के यह आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में इसका आयोजन एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी का कार्य होता है। सरकार से लेकर प्रशासन तक सतर्क रहते हैं और साल भर पहले से ही आयोजन की तैयारियों का ख़ाका खैंचा जाने लगता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अरबईन मार्च एक ऐसे देश में आयोजित होता है जिसकी हालत बहुत अच्छी नहीं है। कई वर्षों तक वह युद्ध की आग में जलता रहा है। उसने गृहयुद्ध भी सहे हैं और अमेरिका जैसे कथित सुपर पॉवर वाले देशों से भी युद्ध का सामना किया है। वहीं दुनिया के सबसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुट दाइश का अभी भी ख़तरा मंडराता रहता है। इन सबकी वजह से इस देश की अर्थव्यव्यस्था की कमर टूटी हुई है लेकिन उसके बाद हर साल इतने बड़े आयोजन को आयोजित करना वहां की सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। अरबईन मार्च इराक़ देश के दो बड़े धार्मिक शहर नजफ़ और कर्बला के बीच आयोजित किया जाता है। यह मार्च लगभग 85 से 110 किलोमीटर पैदल गश्त के रूप में होती है।

इस अरबईऩ मार्च के दौरान जो प्रेम, सौहार्द, मोहब्बत, और मेज़बानी दिखाई पड़ती है वह एक मिसाल है। इस मार्च में पैदल गश्त के दौरान किसी भी श्रद्धालू को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी या कमी का एहसास नहीं होता है। इराक़ के स्थानीय लोग दूर दूर से खाने-पीने से लेकर मरहम-पट्टी और ज़रूरत का हर सामान लेकर इसी मार्च के रास्ते में कैंप लगाकर बैठ जाते हैं और तब तक कैंप को खोले रहते हैं जबतक की उनकी पूरे साल की कमाई का सामान वह बांट नहीं देते। इस 85-110 किलोमीटर के रास्ते में पड़ने वाला हर मकान श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात खुला रहता है। वैसे श्रद्धलुओं की मेज़बानी के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान भी अपने ख़ज़ाने का मूंह खोल देता है। अरबईन मार्च की कामयाबी की एक सबसे बड़ी वजह ईरान और इराक़ सरकार का एक साथ मिलकर इस धार्मिक आयोजन की ज़िम्मेदारी का उठाना है। 

जानकारों का मानना है कि इराक़ सरकार का हर मोर्चे पर साथ देने वाला उसका पड़ोसी देश ईरान पूरी तरह एक बड़े भाई की ज़िम्मेदारी निभा रहा है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी जितनी इराक़ सरकार उठाती है उतनी ही ईरान की सरकार भी एक-एक श्रद्धालुओं की सुरक्षा का ख़्याल रखती है। उसे हर साल इस आयोजन के लिए ईरान के ख़ुफ़िया विभाग व उसके जवानों की मदद इराक़ को लेनी पड़ती है। इराक़ में होने वाले अरबईन मार्च के दौरान पूरे इराक़ के डाक्टर, टीचर, अधिकारी, सियासी नेता, मज़हबी नेता, और यहां तक की सरकार के अहम मंत्री तक इसी कर्बला शहर को जाती हुई सड़कों पर डेरा जमाए बैठ जाते हैं।

इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने वालों के अनुसार, यह दुनिया का सबसे अलग धार्मिक आयोजन है जहां केवल मानवता से कैसे प्रेम किया जाए, कैसे लोगों की मदद की जाए, कैसे दूसरों के दर्द को बांटा जाए, कैसे दूसरों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया जाए और कैसे दुनिया में शांति स्थापित की जाए इसकी शिक्षा मिलती है। इमाम हुसैन की शहादत को लोग भुला न बैठें इसलिए इश्वर ने इस आयोजन की नींव इमाम हुसैन की बहन हज़रत ज़ैनब (स) के हाथों डाली थी। अरबईन हर साल यह याद ताज़ा कर देता है कि हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफ़ादार साथियों की क़ुर्बानी को याद रखना हर इंसान की ज़िम्मेदारी है। (RZ)

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