Mar १५, २०२४ १३:२५ Asia/Kolkata
  • अगर अरब देशों ने फ़िलिस्तीन का समर्थन किया होता तो...

यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह के प्रमुख सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा में शहीदों और घायलों की संख्या सभ्य दुनिया के लिए शर्म की बात है।

सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अल-हूसी ने अमेरिका द्वारा ग़ज़्ज़ा के निर्दोष और मज़लूम लोगों पर हजारों टन बम गिराए जाने का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस समय हवाई जहाज़ों के ज़रिए सहायता और खाद्य सामग्री गिराई जाती है जो केवल एक अमेरिकी दिखावा है और यह कार्रवाई फिलिस्तीनी राष्ट्र की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका और ज़ायोनी शासन ने वास्तविक अर्थों में सदी की सबसे बड़ी आक्रामकता को अंजाम दिया है और मुसलमानों, विशेषकर अरब देशों द्वारा फ़िलिस्तीनियों को छोड़ देना, सदी के सबसे बड़े अपराध को जन्म देता है।

सैयद अब्दुल मलिक का कहना था कि अमेरिका ने युद्धविराम में बाधा डालकर और ग़ज़्ज़ा की घेराबंदी जारी रखने पर ज़ोर देकर इस्राईल के अपराधों को भी जारी रखने में मदद की है।

उन्होंने यह कहते हुए कि यदि मुसलमानों ने गंभीरता से प्रतिरोध का समर्थन किया होता तो ग़ज़्ज़ा युद्ध की तस्वीर अलग होती, कहा कि कुछ अरब सरकारें न केवल प्रतिरोध का समर्थन नहीं करती हैं बल्कि इसे कमज़ोर करने की कोशिश कर रही हैं।

इस वरिष्ठ यमनी अधिकारी ने यह भी बताया कि यमनी सशस्त्र बलों ने तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन की शुरुआत के बाद से 73 जहाजों और युद्धपोतों को निशाना बनाया है।

उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध का समर्थन करते हुए हमारे 34 साथी शहीद हुए।

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कि यमनी सशस्त्र बलों का अभियान पूरी ताकत से जारी रहेगा, कहा कि इस सप्ताह हमने फिलिस्तीनी राष्ट्र और ग़ज़्ज़ा के समर्थन में अपने अभियान के दौरान बारह जहाजों को निशाना बनाया है। (AK)

 

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