May १२, २०२४ १४:१७ Asia/Kolkata
  • फ्रांस के बाद अब अमरीका की बारी आई
    फ्रांस के बाद अब अमरीका की बारी आई

अपने सैनिकों को नाइजेर से वापस बुलाने के लिए अमरीका अब मजबूर हो चुका है।

पार्सटुड-अमरीकी रक्षामंत्रालय पेंटागन, नाइजेर से अपने सैनिकों की वापसी के लिए मजबूर हो गया है। 

पोलिटिको ने शुक्रवार को नाम छिपाने की शर्त पर एक अमरीकी अधिकारी के हवाले से बताय है कि नाइजेर में अमरीकी सैनिकों के बाक़ी रहने की संभावना के पिछले सप्ताह पूरी तरह से समाप्त हो जाने के बाद पेंटागन ने वहां पर मौजूद सभी एक हज़ार अमरीकी सैनिकों को नाइजेर से निकलने का आदेश जारी कर दिया है।

अमरीका ने अप्रैल में एलान किया था कि नाइजेर से अपने सैनिकों की ज़िम्मेदाराना वापसी का वह आग़ाज़ करने जा रहा है।  हलांकि इसी बीच अमरीकी अधिकारी, नाइजेर के अधिकारियों से उनके देश में अपने सैनिकों के बाक़ी रहने के बारे में वार्ता में व्यस्त हैं।

इससे पहले तक नाइजेर, इस क्षेत्र में वाशिग्टन के साथ सैन्य सहयोग में अपनी भूमिका निभाने के लिए बाध्य था।  इस देश ने यह बात स्वीकार कर ली थी कि नाइजेर में अमरीका की एक बड़ी हवाई छावनी बनाई जाए।

नाइजेर में हालिया राजनीतिक परिवर्तनों के बाद इस देश के नए शासकों ने पश्चिमी उपनिवेशवादियों विशेषकर फ्रांस और अमरीका के साथ अपने सैनिक संबन्धों को जल्द अज़ जल्द तोड़ने का फैसला कर लिया।  उनके इस काम का नाइजेर की जनता ने खुलकर समर्थन किया।

हालिया दिनों में चाड भी उन अफ़्रीकी देशों की सूचि में शामिल हो गया जो अपने यहां से अमरीकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं।  वर्तमान समय में चाड़ में लगभग एक हज़ार अमरीकी सैनिक मौजूद हैं।

इससे पहले फ़्रांसीसी सैनिक नाइजेर, माली और बोर्कीनाफ़ासो से निकलने पर मजबूर हुए थे।

इसी बीच उत्तरी नाइजीरिया के नेताओं के गुट के प्रवक्ता जबरीन इब्रामहीम ने ईरान प्रेस के साथ विशेष बातचीत में नाइजीरिया में सैन्य छावनी बनाने के लिए इस देश की सरकार के साथ अमरीका और फ्रांस की वार्ता पर चिंता जताई थी।  उन्होंने कहा था कि माली, नाइजेर और बोर्कीनाफ़ासो में अमरीकी और फ्रांसीसी सैनिकों की उपस्थति के अनुभव ने सिद्ध कर दिया कि इन देशों को अपने यहां मौजूद अमरीकी और फ्रांसीसी सैन्य अड्डों के निरीक्षण की अनुमति नहीं थी।  यही काम अब नाइजीरिया के साथ होने जा रहा है।

नाइजीरिया के राष्ट्रपति अपने देश के भीतर फ्रांसीसी और अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति के बारे में वार्ता कर रहे हैं कि जब इससे पहले नाइजेर, माली और बोर्कीनाफासो के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करके अपनी नई सरकारों से विदेशी सैनिकों की वापसी पर बल दिया था।

चाड, नाइजेर और उससे पहले माली तथा बोर्कीनाफ़ासो से पश्चिम की वर्चस्ववादी शक्तियों के सैनिकों की वापसी की मांग से ने केवल यह कि अफ़्रीका महाद्वीप में उनका और उनके घटकों का प्रभाव कम होगा बल्कि यह काम भू-राजीतिक संबन्धों में उल्लेखनीय परिवर्तन के अर्थ में है।  वास्तव में अफ्रीका में अमरकी और उसके घटक देशों की सैन्य उपस्थति में कमी से पश्चिमी देशों की विदेश नीतियों में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं जिसका परिणाम वाशिग्टन और उसके घटकों की भू-राजीतिक पराजय के रूप में सामने आएगा।

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

 हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

 फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें।

टैग्स