Jun ३०, २०२४ १५:५९ Asia/Kolkata
  • एक ज़ायोनी शोधकर्ता का बयान: इस्राईल की जीत का दौर ख़त्म हो गया है
    एक ज़ायोनी शोधकर्ता का बयान: इस्राईल की जीत का दौर ख़त्म हो गया है

पार्सटुडे - ज़ायोनी विशेषज्ञ ने स्वीकार किया कि इस्राईल की जीत का दौर ख़त्म हो चुका है और नेतन्याहू की विफलताओं के अंदर से जीत की कल्पना करनी चाहिए।

ज़ायोनी विशेषज्ञ हैगी ओल्शानित्स्की ने इस्राईल की ज़ीमान न्यूज़ वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में लिखा है कि 7 अक्टूबर को जो हुआ उसके बाद, ज़ाहिरी तौर पर "जीत का मतबल बदल देना चाहिए और अब इस्राईल की सामान्य और पौराणिक जीत की कोई ख़बर नहीं है।"

पार्सटुडे के अनुसार इस इस्राईली शोधकर्ता ने लिखा कि 7 अक्टूबर के युद्ध में इस्राईल कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा क्योंकि उसने अपनी सारी डिफ़ेंस पॉवर का इस्तेमाल कर लिया है और उसके पास कोई अतिरिक्त शक्ति नहीं है।

दूसरी ओर, ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री बेंन्यामीन नेतन्याहू जेल जाने से बचने के लिए सरकारी संस्थानों को कमज़ोर करना चाहते हैं।

नेतन्याहू सत्ता के भूखे हैं, और इसीलिए वह युद्ध ख़त्म करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि वह जानते हैं कि जब तक युद्ध जारी रहेगा, वह 7 अक्टूबर की घटनाओं को बहाना बनाकर वेस्ट बैंक में इस्राईल की कार्रवाईयों को सही ठहरा सकते हैं।

इस्राईली विशेषज्ञ इस लेख में स्वीकार करते हैं:

7  अक्टूबर के बाद, वेस्ट बैंक में इस्राईल द्वारा मारे गए फ़िलिस्तीनियों की संख्या, दक्षिणी अफ़्रीक़ा पर शासन करने वाले नस्लभेदी शासन के 30 से अधिक वर्षों के शासन के दौरान मारे गए अश्वेतों की संख्या से अधिक है।

दरअसल, चिंता इस बात की है कि निर्दोष फ़िलिस्तीनियों और बिना किसी कारण के मारे गए नागरिकों की हत्या से वेस्ट बैंक में एक व्यापक और विस्तृत आग भड़क जाएगी जो इस क्षेत्र में तीसरे इस्राईल विरोधी मोर्चे के गठन का कारण बनेगी।

दूसरी ओर, उन सेटलर्ज़ का व्यवहार, जो इस्राईली सेना के समर्थन से, वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनियों की संपत्तियां लूट मार रहे हैं और तबाव व बर्बाद कर रहे हैं, जला रहे हैं, इस आग को भड़काने में मदद कर रहा है।

इस इस्राईली विशेषज्ञ ने लिखा, ग़ज़ा युद्ध के ख़त्म होने से पहले और इस्राईल की अंतिम हार में सब कुछ ख़त्म होने से पहले, इस्राईल को बचाने की अभी भी एक छोटी सी संभावना है और वह है ग़ज़ा युद्ध की आग बुझाना है।

जो बात स्पष्ट है वह यह है कि ग़ज़ा युद्ध को समाप्त करना और फिलिस्तीनियों को बेहरीन हालात में स्वतंत्रता देने का प्रयास करना इस्राईल के हित में है।

इस इस्राईली लेखक के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व समुदाय की मदद से अब ग़ज़ा में युद्धविराम को एक राजनीतिक समझौते के रूप में औपचारिक रूप देना संभव है जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थानों द्वारा पास किया जाएगा।

अगर इस्राईल के पास इस समझौते को साकार करने के लिए प्रेरक कारक नहीं हैं, तो हमारी विफलता बहुत गंभीर होगी क्योंकि भविष्य में अन्य लोग जो समझौता प्रस्तावित करेंगे वह इस्राईल के लिए और भी बुरा होगा और संभवतः, इस युद्ध के परिणामस्वरूप, आर्थिक प्रतिबंधों की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो इस्राईल के ख़िलाफ लागू किए जाएंगे और इससे इस्राईलियों के लिए जीवन और भी मुश्किल हो जाएगा।

इस इस्राईली विशेषज्ञ ने कहा कि इस्राईल के लिए सबसे बुरी चीज़ एक ऐसे समझौते को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना है जो इस्राईल की शर्तों के अनुसार तैयार और पेश नहीं किया गया था जैसा कि दक्षिण अफ़्रीक़ा के साथ हुआ था और ऐसे हालात में निर्णायक जीत की कल्पना की कोई जगह ही नहीं है लेकिन हमें असफलता में ही जीत की तलाश करनी होगी।

इस ज़ायोनी शोधकर्ता के अनुसार, आज फ़िलिस्तीनियों को आवाजाही और स्थानांतरण की वास्तविक स्वतंत्रता नहीं है, उनके पास अपने स्वयं के पासपोर्ट भी नहीं हैं, उनका प्रवेश और निकास और यहां तक कि उनके जीवन का प्रबंधन, इस्राईली सैन्य ढांचे की इच्छाओं और मनोदशा के आधार पर किया जाता है।

 

कीवर्ड्ज़: इस्राईली संकट, ग़ज़ा युद्ध, राजनीतिक समझौता, बेन्यामीन नेतन्याहू, इस्राईल की हार (AK)

 

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