Jun २९, २०२४ १८:५० Asia/Kolkata
  • प्रतिबंधों के बावजूद पश्चिम एशिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में ईरान चौथे स्थान पर
    प्रतिबंधों के बावजूद पश्चिम एशिया में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में ईरान चौथे स्थान पर

पार्सटुडे- ईरान के वित्त और आर्थिक मामलों के मंत्री ने कहा कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र के देशों से हासिल जानकारी के अनुसार, संयुक्त अरब इमारात, सऊदी अरब और तुर्किए के बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में ईरान ने चौथा स्थान हासिल किया है।

ईरान अपनी विशेषा क्षेत्रीय भौगोलिक स्थिति और खदानों, पारगमन, ऊर्जा और विभिन्न आकर्षक बाज़ारों जैसी विशाल आर्थिक क्षमताओं की वजह से हमेशा से ही विदेशी निवेशकों के ध्यान का केन्द्र रहा है।

पार्सटुडे के अनुसार, ईरान के वित्त और आर्थिक मामलों के मंत्री एहसान खान्दूज़ी ने कहा कि ईरान पश्चिम एशियाई क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में चौथे स्थान पर है जबकि संयुक्त अरब इमारात, सऊदी अरब और तुर्किए को पूंजी दाख़िल करने में आने वाली में कठिनाइयों के दसवें हिस्से और प्रतिबंधों की वजह से रुकावटों और बैंकिंग समस्याओं में ईरान जैसी समस्याओं का सामना नहीं है।

श्री एहसान ख़ान्दूज़ी ने कहा कि ईरान पिछले तीन वर्षों में कुल 11.9 बिलियन डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने में सक्षम रहा है हालांकि यह देखते हुए कि हाल ही में ब्रिक्स और शंघाई सम्मेलनों में शहीद अमीर हुसैन अब्दुल्लाहियान द्वारा वर्ष 1403 और 1404  हिजरी शम्सी में कई मार्ग खोले गए थे और यदि इसी गंभीरता के साथ यह मामला चलता रहा तो उम्मीद है कि इस वर्ष और अगले वर्ष के दौरान विदेशी निवेश आकर्षित करने में 1402 हिजरी शम्सी का रिकॉर्ड टूट जाएगा और यह ईरान में विदेशी निवेश के लिए शुरुआती बिंदु समझा जाता है।

ईरान के वित्त और आर्थिक मामलों के मंत्री ने कहा कि पिछले साल ईरान में अधिकांश विदेशी निवेश ग़ैर-पेट्रोलियम क्षेत्रों में हुआ था जबकि कुछ लोगों ने दावा किया कि प्रतिबंधों और एफ़एटीएफ़ (FATF) की वजह से चीनी निवेशक जैसे विशेष देश ईरान का रुख़ नहीं करेंगे लेकिन हक़ीक़त में ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने ईरान में जमकर निवेश किया।

ख़ान्दूज़ी ने ईरान में ग़ैर-पेट्रोनियम पदार्थों के निर्यात की स्थिति की ओर भी इशारा किया और कहा कि पिछले तीन वर्षों में औसतन ग़ैर-पेट्रोलियम निर्यात 50 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और सीमा शुल्क में पारगमन का मुद्दा, ग़ैर-पेट्रोनियम निर्यात की तुलना में ज़्यादा अहम है जो इस बात की निशानी है कि ईरान अलग थलग नहीं पड़ा है।

 

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