तेल का खेल, जो बाइडन और मोहम्मद बिन सलमान के लिए बना अखाड़ा, क्या यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सऊदी युवराज अमेरिकी राष्ट्रपति से ले पाएंगे अपने अपमान का बदला?
(last modified Sat, 26 Mar 2022 13:14:31 GMT )
Mar २६, २०२२ १८:४४ Asia/Kolkata
  • तेल का खेल, जो बाइडन और मोहम्मद बिन सलमान के लिए बना अखाड़ा, क्या यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच सऊदी युवराज अमेरिकी राष्ट्रपति से ले पाएंगे अपने अपमान का बदला?

कुछ अमेरिकी मीडिया के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रियाज़ और अबू धाबी के क़रीब आने के लिए हफ्तों से व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक़, दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति की मांगों को नज़रअंदाज़ कर दिया है और युद्ध के बाद बढ़ती क़ीमतों की भरपाई के लिए तेल निर्यात बढ़ाने से इनकार कर दिया है। अब ऐसी ख़बरें हैं कि बाइडन के वरिष्ठ सलाहकार दोनों देशों के बीच मधुर संबंधों के लिए वसंत के मौसम में सऊदी अरब की यात्रा की सिफ़ारिश कर रहे हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान, जो वास्तव में आले सऊद शासन की बागड़ोर संभाले हुए हैं, वह चाहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को उनके पहले के रवैये के कारण उन्हें अपमानित महसूस कराएं। क्योंकि बाइडन ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद को संभालते ही एक ख़ुफ़िया रिपोर्ट को प्रकाशित किया था कि जिसमें सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान को वरिष्ठ पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या का ज़िम्मेदार ठहराया गया था। इस समय यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध ने सऊदी अरब के विवादास्पद युवराज के हाथों में एक बेहतरीन मौक़ा दे दिया है। वह तेल के खेल से बाइडन को जवाब देना चाहते हैं। जब डोनल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तब उन्होंने अपनी विदेश यात्रा की शुरुआत सऊदी अरब से की थी, वहीं जो बाइडन सऊदी अरब के युवराज से संपर्क बनाने से लगातार बचते नज़र आ रहे थे। यही कारण है कि अभी तक दोनों देशों के नेताओं की आधिकारिक तौर पर कोई मुलाक़ात नहीं हुई है। लेकिन अब जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अपने चरम पर पहुंच चुका है तो दुनिया की स्थिति भी बदली-बदली सी नज़र आ रही है। जहां बाइडन को इस बात की ज़रूरत है कि दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश अपनी निर्यातक क्षमता को बढ़ाए ताकि तेल की क़ीमतें आसमान न छुएं, वहीं मोहम्मद बिन सलमान बाइडन द्वारा उनके किए गए अपमान का ज़ख़्म नहीं भूलना चाहते हैं, यही कारण है कि वह रूस और ओपेक के साथ तेल निर्यात की तय मात्रा की सहमति पर ही अमल कर रहे हैं।

कुछ अमेरिकी संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति पिछले कुछ हफ़्तों से रियाज़ और अबू धाबी से नज़दीकियां बढ़ाने का व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जनरल ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात ने अमेरिका की मांगों को नज़रअंदाज़ कर दिया है। दोनों ही देश रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से अंतर्राषट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतों में आई उछाल के बावजूद अपने तेल निर्यात में वृद्धि करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी भी रिपोर्ट सामने आ रही हैं कि बाइडन के वरिष्ठ सलाहकारों ने उन्हें यह सलाह दी है कि वह बहार के मौसम में सऊदी अरब की यात्रा करें ताकि दोनों देशों के बीच संबंधों में आई दरार को भरा जा सके। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने उन सभी आरोपों को खारिज दिया है कि जिसमें यह दावा किया गया था कि फरवरी की शुरुआत में जो बाइडन और किंग सलमान के बीच टेलीफोनी वार्ता में अन्य बातों के अलावा, तेल निर्यात को बढ़ाने पर भी चर्चा की गई थी। व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया था कि दोनों नेताओं ने केवल स्थिर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। इसी तरह साकी का कहना है कि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में सऊदी अरब का दौरा किया था कि जिसमें यमन युद्ध, क्षेत्रीय शांति व स्थिरता और ऊर्जा की सुरक्षा के संबंध में वार्ता हुई थी।

इस बीच सऊदी अरब द्वारा एक ऐसी घोषणा सामने आई है कि जिसने बाइडन प्रशासन की नींद उड़ा दी है। रियाज़ ने "एशिया में विकास की रणनीति" नामक योजना का एलान करते हुए अमेरिका को यह बताना चाहा है कि वह अब उसकी निर्भरता पर नहीं टिका रहना चाहता है। जिसका एक उदाहरण सऊदी अरब की सरकारी रिफ़ाइनरी आराम्को के अंतर्गत आने वाली SAAC  कंपनी, चाइना स्टेट ऑयल कंपनी सिनोपेक के सहयोग से चीन और सऊदी अरब में रिफाइनरियों और पेट्रोकेमिकल संयंत्रों का विस्तार करेगी। जिस दिन चीनी और सऊदी अरब की कंपनी के बीच यह समझौता हुआ ठीक उसी दिन वाशिंगटन ने रूसी तेल आयात पर रोक लगा दिया और ओपेक से तेल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने का आह्वान किया। लेकिन रियाज़ ने अमेरिकी फ़ैसले को नज़रअंदाज़ करते हुए पश्चिम की निर्भर्ता को कम करने के इरादे से पूर्व की ओर अपने क़दम को बढ़ाना जारी रखा। वह भी ऐसी स्थिति में कि जब अमेरिका और यूरोपीय देशों को इस समय पहले किसी भी समय से सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के तेल की ज़रूरत है। (RZ)

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