ग़ज़्ज़ा में अभूतपूर्व मानवीय संकट, राष्ट्र संघ के अधिकारियों के भी निकल आए आंसू!
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने एक बयान जारी करके कहा है कि ग़ज़्ज़ा में मानवीय संकट अभूतपूर्व बिंदु पर पहुंच गया है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक़, फ़िलिस्तीन शरणार्थियों के लिए काम कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, (यूएनआरडब्ल्यूए) ने बुधवार को चेतावनी दी है कि अगर ग़ज़्ज़ा में तुरंत ईंधन भेजने की अनुमति नहीं दी गई तो एजेंसी बुधवार रात तक सभी कार्यों को रोकने के लिए मजबूर हो जाएगी। ईंधन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति और कर्मियों की कमी के कारण अस्पताल बंद हो रहे हैं। कुछ चुनिंदा महत्वपूर्ण सुविधाओं के लिए ईंधन की भारी राशनिंग की जा रही है। ओसीएचए ने कहा, बैकअप जनरेटर निरंतर संचालन के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं और बंद हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने मंगलवार को अस्पतालों का दौरा किया तो वहां की स्थिति देखकर उनकी आंखें भी नम हो गईं। एक अस्पताल में, उन्होंने सैकड़ों घायल पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को देखा। उनमें से कई बेहोश थे, खुले घावों के साथ बिस्तरों, स्ट्रेचर और फर्श पर सीमित इलाज के साथ लेटे हुए थे। आंगन में एक तंबू था, जिसमें बच्चों समेत दर्जनों लाशें थीं। कई मृतकों को वहां रखा गया है, क्योंकि मुर्दाघर भरे हुए हैं। खाद्य भंडार ख़त्म हो रहे हैं।
विश्व खाद्य कार्यक्रम का अनुमान है कि ग़ज़्ज़ा में आवश्यक भोजन की वर्तमान आपूर्ति लगभग 12 दिनों के लिए पर्याप्त है। लेकिन ओसीएचए ने कहा कि दुकानों पर उपलब्ध स्टॉक केवल पांच दिनों तक चलने की उम्मीद है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, लोग कुएं का पानी पी रहे हैं, जिसमें नमक की मात्रा बहुत अधिक है और यह स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। दूषित जल के कारण चिकनपॉक्स, खुजली और दस्त के मामले सामने आ रहे हैं। आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या अब 14 लाख से अधिक होने का अनुमान है, इसमें यूएनआरडब्ल्यूए-नामित आश्रयों में शरण लेने वाले लगभग 5 लाख 90 हज़ार लोग शामिल हैं। अनुमान है कि विस्थापितों में से 15 प्रतिशत से अधिक विकलांग हैं, अधिकांश आश्रय स्थल उनकी ज़रूरतों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ओसीएचए ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों की रिपोर्ट है कि ग़ज़्ज़ा पट्टी में 40 प्रतिशत से अधिक घर नष्ट या क्षतिग्रस्त हो गए हैं। (RZ)
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