सऊदी अरब और कुछ देशों की धमकी के बाद सऊदी अरब का नाम ब्लैकलिस्ट से निकाला, बान की मून
(last modified Fri, 10 Jun 2016 05:52:05 GMT )
Jun १०, २०१६ ११:२२ Asia/Kolkata
  • सऊदी अरब और कुछ देशों की धमकी के बाद सऊदी अरब का नाम ब्लैकलिस्ट से निकाला, बान की मून

संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव बान की मून ने कहा है कि सऊदी अरब और उसके नेतृत्व में बने गठबंधन का नाम बच्चों के अधिकारों का हनन करने वालों की सूचि से निकाल दिया गया है।

बान की मून ने इस संबंध में की जा रही आलोचनाओं की प्रतिक्रिया में कहा कि जब उन्हें सऊदी अरब और कुछ अरब देशों की ओर से यह धमकी मिली कि वह संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवता प्रेमी कार्यक्रमों के लिए दी जाने वाली सहायता बंद कर देंगे तो सऊदी अरब के नेतृत्व में बने गठबंधन का नाम उन्होंने बच्चों के अधिकारों का हनन करने वाले देशों की सूचि से निकाल दिया।

 

 

बान की मून ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता में कहा कि सदस्य देशों की ओर से दबाव डालना अनुचित व अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर ध्यान देना संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्राकृतिक और ज़िम्मेदारी का भाग है।

 

 

 

पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसमें सऊदी अरब की अगुवाई में बने गठबंधन को बच्चों के अधिकारों का हनन करने वाला बताया गया था और यमन में मारे गये केवल 750 बच्चों में से 60 प्रतिशत की हत्या का ज़िम्मेदार उसे बताया गया है परंतु बान की मून सोमवार को अपमान जनक ढंग से पीछे हट गये और घोषणा की है कि उन्होंने सऊदी अरब की अगुवाई में बने गठबंधन का नाम बच्चों के अधिकारों का हनन करने वालों की सूचि से हटा दिया है।

 

 

 

इसी संबंध में मानवाधिकार के बहुत से संगठनों व संस्थाओं ने बान की मून पर सऊदी अरब के दबाव के मुकाबले में अक्षमता का आरोप लगाया और कहा है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।

 

 

बान की मून ने दावा किया है कि यह बहुत पीड़ा दायक निर्णयों में से एक है जिसे उन्होंने लिया है। बान की मून ने सऊदी अरब की ओर से डाले जा रहे दबाव की पुष्टि की और अपने इस कार्य का औचित्य दर्शाते हुए कहा कि जब कुछ देश संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्यक्रमों के लिए दिये जाने वाले बजट को बंद कर देंगे तो लाखों दूसरे बच्चों की स्थिति को दृष्टि में लाना चाहिये जो समस्याओं से ग्रस्त हैं।

 

 

बान की मून का यह बयान ऐसी स्थिति में सामने आ रहा है जब संयुक्त राष्ट्रसंघ में सऊदी अरब के प्रतिनिधि अब्दुल्लाह मोअल्लिमी ने दावा किया है कि सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की सहायता बंद करने की धमकी नहीं दी थी। उन्होंने दावा किया कि हमने रोब और धमकी का प्रयोग नहीं किया है और संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट के बारे में वार्ता नहीं की है।

 

 

 

सऊदी अरब ने मिस्र, मोरक्को, जार्डन, संयुक्त अरब इमारात, सूडान, कुवैत, क़तर और बहरैन के समर्थन से यमन के विरुद्ध सैनिक गठजोड़ बना रखा है।

 

 

 

ज्ञात रहे कि सऊदी अरब ने 26 मार्च वर्ष 2015 से यमन पर हमला आरंभ कर रखा है जिसमें अब तक 9500 से अधिक व्यक्ति हताहत और कम से कम 16 हज़ार घायल हो चुके हैं और मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाले देश अर्थपूर्ण चुप्पी साधी हैं। MM

 

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