मानवाधिकार संगठनों ने की सऊदी अरब की कड़ी निंदा
सऊदी अरब में यूनेस्को की बैठक की मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी निंदा की है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को द्वारा सऊदी अरब में बैठक आयोजित किये जाने का मानवािधकार संगठनों कीओर से विरोध किया जा रहा है।
ह्यूमन राइट्स वाच ने रेयाज़ में आयोजित होने वाली इस बैठक को मानवाधिकारों के समर्थकों का अपमान बताया। उसके अनुसार जिस देश में ग़ैर सरकारी संगठनों पर गतिविधियां करने का प्रतिबंध हो वहां पर यूनेस्कों की ओर से बैठक आयोजित करना निंदनीय है।
ह्यूमन राहट्स वाच के मध्यपूर्व प्रभारी एडम कूगल ने कहा कि रेयाज़ में बहुत से ग़ैर सरकारी संगठनो के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में होने वाली बैठक, सऊदी अरब के उन नागरिकों के लिए लज्जा की बात है जो सऊदी अरब में आज़ाद ग़ैर सरकारी संगठन बनाने के आरोप में जेलों में बंद हैं। सऊदी अरब ने सन 2015 मे एक दिखावटी कार्यवाही करते हुए एेसा क़ानून पारित किया था जिसके अनुसार इस देश में ग़ैर सरकारी संगठनों को अपनी गतिविधियां करने की अनुमति होगी। इसी के साथ सऊदी सरकार को इस बात का अधिकार होगा कि वह स्वेच्छा से किसी भी संगठन की सदस्यता रद्द करते हुए लोगों को गिरफ़्तार कर सकता है।
सऊदी अरब में नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों का हनन, और इसी प्रकार निराधारा आरोप लगाकर सरकार के विरोधियों की धरपकड़ की कार्यवाहियां एेसी बाते हैं जिनकी वजह से इस देश का मानवाधिकारों का रेकार्ड कभी भी सही नहीं रहा। सऊदी अरब ही एक एेसा देश है जहां पर महिलाओं के अधिकारों का खुलकर हनन किया जाता है। वहां पर महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति नहीं है। इस देश में स्वतंत्र चुनाव, राजनैतिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया को स्वतंत्रता जैसी कोई चीज़ नहीं पाई जाती। सऊदी अरब की शासन व्यवस्था वंशानुगत है। यहां की जनता की देश के संचालन में कोई भूमिका नही है। विशेष बात यह है कि सऊदी अरब में जनता को विरोध का अधिकार नहीं है और वहां पर सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले के साथ कड़ाई से निबटा जाता है।