संयुक्त राष्ट्रः बहरैनी सरकार प्रदर्शनकारियों का दमन जारी रखे हुए है
संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बहरैन में आले ख़लीफ़ा सरकार अपने विरोधियों का दमन जारी रखे हुए हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बहरैनी सरकार बच्चों और महिलाओं पर भी रहम नहीं कर रही है और पुलिस स्टेशनों एवं जेलों में बच्चों को बंद करके यातनाएं दी जा रही हैं।
बहरैनी सुरक्षा बलों ने 2015 में 200 बच्चों को गिरफ़्तार करके जेलों में डाल दिया था, इनमें से आधे से अधिक बच्चों को बड़ों की जेलों में रखा गया है।
इसके अलावा, बहरैनी सैनिकों ने क़रीब डेढ़ महीने से वरिष्ठ शिया धर्मगुरू शेख़ ईसा क़ासिम के घर की घेराबंदी कर रखी है और उनकी स्थिति के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। शुक्रवार को लोगों ने बड़ी संख्या में शेख़ ईसा क़ासिम के घर की ओर मार्च किया और आले ख़लीफ़ा शासन के ख़िलाफ़ नारे लगाए।
बहरैनी सुरक्षा बल अब तक शेख़ ईसा क़ासिम के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले कई लोगों को शहीद कर चुके हैं। इसके बावजूद, बहरैनी जनता अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखे हुए है।
बहरैनी जनता की मांग है कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना होनी चाहिए और जनता के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार बंद होना चाहिए। लेकिन बहरैन की तानाशाही सरकार लोगों की मांगों का जवाब हिंसा और अत्याचार से दे रही है और वह लोगों को भयभीत करके उनकी आवाज़ दबाना चाहती है।
यह ऐसी स्थिति में है कि बहरैनी सरकार अपनी विदेश नीति में और घरेलू स्तर पर भी स्वाधीन नहीं है और सऊदी अरब की एक प्रांतीय सरकार के रूप में काम करती है। इस तानाशाही सरकार ने अपनी ही जनता का दमन करने के लिए सऊदी अरब और कई पश्चिमी देशों को देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की खुली छूट दे दी है और देश की स्वाधीनता को दाव पर लगा दिया है। msm