क्या अंसारुल्लाह ने हज में विघ्न डालने के लिए मिसाइल हमला किया?!!
हालिया कुछ हफ़्तों से यमन युद्ध की ख़बरें मीडिया से ग़ायब थीं, इस वजह से नहीं कि वहां हालात शांत हो रहे हैं और सऊदी अरब की ओर से बमबारी रुक गई है, बल्कि इस कारण से कि सऊदी अरब के नेतृत्व वाला गठबंधन और विशेष रूप से ख़ुद सऊदी अरब और इमारात इस समय क़तर विवाद में उलझे हुए हैं और मध्यस्थता के सारे प्रयास विफल हो चुके हैं।
दो अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं जिन्होंने सब का ध्यान एक बार फिर यमन युद्ध की ओर मोड़ दियाः
1. यमन की राजधानी सनआ में बहुत बड़े पैमाने पर जनता का प्रदर्शन जिसमें युद्ध ग्रस्त यमन की ग़रीब जनता ने उदाहरणीय उदारता का प्रदर्शन देते हुए घोषणा की कि वह मस्जिदुल अक़सा की रक्षा के लिए ख़ुद को फ़िलिस्तीन पहुंचाने के लिए तैयार हैं।
2. यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन का मिसाइल हमला। इस हमले में अंसारुल्लाह के फ़ुरक़ान-1 मिसाइल ने चौदह सौ किलोमीटर की दूरी तय करके सऊदी अरब के ताएफ़ शहर में स्थित शाह फ़हद वायु छावनी को निशाना बनाया।
सऊदी सरकार ने इस हमले को अंसारुल्लाह आंदोलन को बदनाम करने के लिए हथकंडे के रूप में प्रयोग करने की कोशिश की और यह दावा दाग़ दिया कि अंसारुल्लाह आंदोलन ने हज की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए मिसाइल हमला किया है। लेकिन एसा नहीं लगता कि सऊदी अरब के इन आरोपों पर कोई विश्वास करेगा। अलबत्ता मिसाइल हमले का सऊदी अरब की जनता पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा और लोगों को यह अंदाज़ा होगा कि सऊदी अरब और यमन की सीमा पर जारी लड़ाई अब सऊदी अरब के मध्य में स्थित शहरों तक पहुंच गई है।
अंसारुल्लाह आंदोलन का संबंध दुनिया के अत्यंत ग़रीब देश यमन से है, वह सऊदी अरब के अगुवाई वाले गठबंधन के अतिक्रमण का सामना कर रहा है इस लिए उसके पास मिसाइलों से बेहतर कोई विकल्प नहीं है।
यमन के इस हमले ने हज की प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की बस यह याद दिलाया है कि यमन के ख़िलाफ़ सऊदी अरब का अतिक्रमण जारी है और यह अतिग्रहण ग़ैर क़ानूनी और विस्तारवादी है।
साभार रायुल यौम