सीरिया के शहर रक़्क़ा में अमरीकियों के साथ मिलकर क्या कर रहे हैं सऊदी मंत्री सबहान? क्या सऊदी अरब ईरान और तुर्की के ख़िलाफ़ 'कुर्द हथियार' इस्तेमाल कर रहा है?
सऊदी अरब के फ़ार्स खाड़ी मामलों के मंत्री सामिर अस्सबहान आतंकवाद से संघर्ष के मामलों में अमरीका के विशेष दूत जनरल ब्रेट मैकगर्क के साथ सीरिया के रक्क़ा शहर में नज़र आए जिस पर ज़ोरदार बहस छिड़ गई है कि इस ख़ास समय में उन्होंने यह दौरा क्यों किया और सीरिया में दाइश की पराजय के बाद अब सीरिया के बारे में सऊदी अरब ने क्या रणनीति बनाई है। क्या अब सऊदी अरब उन देशों में अलगाववाद की आग भड़काना चाहता है जहां कुर्द जाति के लोग बसते हैं?
सबहान इससे पहले बग़दाद में सऊदी अरब के राजूदत थे जहां से उन्हें अप्रिया तत्व घोषित करके निकाल दिया गया क्योंकि वह ईरान और शीया नेताओं के विरुद्ध ज़हर उगलते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वह कठिन अभियानों को अंजाम देने वाले व्यक्ति हैं और वह सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के क़रीबी लोगों में गिने जाते हैं इसलिए उनकी यह यात्रा बिना किसी उद्देश्य के नहीं थी।
सऊदी अरब ने इस यात्रा के माध्यम से ईरान, तुर्की और सीरिया की सरकार को क्या संदेश देना चाहा है इस बारे में अलग अलग विचार पेश किए जा रहे हैं।
पहली संभावना यह जताई जा रही है कि वह उन 50 सऊदी नागरिकों को लेने के लिए रक़्क़ा गए जो दाइश के साथ मिलकर लड़ रहे थे और जिन्होंने सीरियन डेमोक्रेटिक फ़्रंट के सामने हथियार डाल दिए थे। ब्रिटेन, फ़्रांस और कुछ अन्य पश्चिमी देशों ने भी अपने अपने दूत भेजकर दाइश का हिस्सा रह चुके अपने नागरिको को अपने नियंत्रण में लिया है।
दूसरी संभावना यह जताई जा रही है कि सऊदी अरब ने ईरान और तुर्की को संदेश दिया है कि वह कुर्दों की मदद कर रहा है सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्स को जिसमें अधिकतर कुर्द हैं, अमरीका का भी सपोर्ट हासिल है।
तीसरी संभावना यह है कि सऊदी अरब रक़्क़ा और आस पास के इलाक़ों में बसने वाले सुन्नी क़बालों से संपर्क साधने के प्रयास में है। इसी लिए सबहान ने स्थानीय क़बीलों के नेताओं से मुलाक़ातें भी कीं और अहमद अलजर्बा से भी मिले जिन्होंने सुन्नी क़बीलों से लड़ाकों की भर्ती की थी।
चौथी संभावना यह है कि सऊदी अरब ईरान के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से घोषित रणनीति का समर्थन करना चाहता है।
पांचवी संभावना यह है कि सऊदी अरब नवीन सीरिया में अपनी भूमिका की जगह खोज रहा है और कुर्द कार्ड की मदद से यह भूमिका प्राप्त करना चाहता है क्योंकि अन्य विरोधी संगठन इस समय समाप्त हो चुके हैं।
एसा लगता है कि सऊदी अरब ने तुर्की और ईरान के ख़िलाफ़ कुर्दों का साथ देने का फ़ैसला किया है जो इस समय क़तर का साथ दे रहे हैं। सऊदी अरब ईरान विरोधी अमरीकी नीति का समर्थन करने का इरादा रखता है ताकि सीरिया और इराक़ में ईरान का असर कम हो जाए।
हमें एसा लगता है कि सीरिया में अब अगली लड़ाई सीरियाई सेना और कुर्दों की सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्स के बीच होगी। अगर हम इस संभावना को मद्देनज़र रखें तो सऊदी अरब के मंत्री की इस यात्रा का उद्देश्य शायद समझ सकें।
हमें यह नहीं पता कि सबहान और उनकी सरकार अमरीकियों के साथ मिलकर रक़्क़ा में क्या खिचड़ी पका रही है। लेकिन इतना तो तय है कि यह ख़तरनाक खिचड़ी ही होगी जिस पर ईरान सीरिया और तुर्की की ओर से जवाबी कार्यवाही होना तय है। क्या सऊदी सरकार इस जवाबी कार्यवाही को झेल पाएगी विशेष कर अब जब यमन में वह बुरी तरह विफल हुई है और सीरिया में उसके घटक संगठन ढेर हो चुके हैं।
साभार रायुल यौम