बहरैनी सरकार के दमन में 200 से अधिक शहीद
बहरैन में "अलवफाउल इस्लामी" धड़े के नेता शैख़ मुर्तज़ा अस्सनदी ने कहा है कि बहरैनी सरकार इस देश के क्रांतिकारियों का सफाया करने में लगी हुई है
बहरैन में "अलवफाउल इस्लामी" धड़े के नेता शैख़ मुर्तज़ा अस्सनदी ने कहा है कि बहरैनी सरकार इस देश के क्रांतिकारियों का सफाया करने में लगी हुई है और अब तब वह 200 से अधिक बहरैनी कार्यकर्ताओं को शहीद कर चुकी है।
बहरैन में तानाशाही सरकार के विरोधियों के खिलाफ मौत की सज़ा और आजीवन कारावास दंड दिये जाने का क्रम यथावत जारी है।
बहरैन की जेलों में हज़ारों राजनीतिक बंदी हैं। बहरैन में होने वाले परिवर्तन इस बात के सूचक हैं कि इस देश की तानाशाही सरकार ने विश्व समुदाय की चुप्पी की छत्रछाया में अपने विरोधियों के दमन में वृद्धि कर दी है।
विश्व समुदाय की चुप्पी का अर्थ यह है कि बहरैन की आले ख़लीफा सरकार किसी प्रकार की चिंता के बिना इस देश की जनता के खिलाफ अपने अपराधों को जारी रखे।
बहरैन की स्थिति के बारे में प्रकाशित आंकड़े इस बात के परिचायक हैं कि आले ख़लीफ सरकार की दमनकारी कार्यवाहियों ने ख़तरनाक और हृदयविदारक रूप धारण कर लिया है।
बहरैन की तानाशाही सरकारी की दमनकारी नीतियों का परिणाम विरोधियों की हिंसा और हत्या के अलावा कुछ और नहीं रहा है। इसी प्रकार इस देश की तानाशाही सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण इस देश की जेलें राजनीतिक बंदियों से भर गयी हैं।
बहरैन की तानाशाही सरकार जिस तरह से नागरिक अधिकारों की अनदेखी व उपेक्षा कर रही है उससे यह देश मध्ययुगीन शताब्दी के देश में परिवर्तित हो गया है। बहरैन में हर प्रकार की राजनीतिक गतिविधि पर प्रतिबंध है और इस देश में कबाएली अत्याचार का राज है और यह वह स्थिति है जिससे बहरैनी जनता थक गयी है।
बहरैन की शक्ति और सम्पत्ति पर एक विशेष परिवार का एकाधिकार है। यह उन चीज़ों में से एक है जो बहरैनी जनता के 14 फरवरी 2011 के आंदोलन का कारण बना।
बहरहाल बहरैनी जनता समस्त अत्याचारों और सीमाओं के बावजूद अपने अधिकारों की मांग कर रही है और उसने बारमबार बल देकर कहा है कि मांगों की पूर्ति तक उसका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा। MM