Jul ०९, २०२० २२:०९ Asia/Kolkata
  • यमन से फिर उठी इंतेक़ाम की आवाज़, सऊदी अरब का क्रूर चेहरा फिर हुआ बेनक़ाब,सऊदी वहाबियों ने मार डाले थे 3 हज़ार यमनी हाजियों को...

सोशल मीडिया पर यमनी नागरिकों ने सऊदी अरब के हाथों यमनी हाजियों के जनसंहार की घटना को याद किया।

यमन के सोशल मीडिया यूज़र्स ने तनूमा घटना को याद करके हाजियों के विरुद्ध सऊदी अरब के क्रूर चेहरे को दुनिया के सामने पेश किया है। इस घटना के हवाले से तनूमा, तनूमा जनसंहार, तनूमा जनसंहार की सौवीं बरसी जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं और इससे पता चलता है कि यमनी जनता के मन में वह हृदय विदारक घटना अभी तक बाक़ी है।

यमनी यूज़र मुहम्मद हम्मूद मुअईयद ने ट्वीट किया कि यमनी जनता ने अपने वहाबी पड़ोसी से दुश्मनी और पूरे इतिहास के दौरान सऊदियों के हाथों यमनी जनता के जनसंहार के बावजूद अपनी पहचान खोई नहीं और यथावत इस पहचान पर प्रतिबद्ध है, यह जाएज़ नहीं है कि एक मुसलमान आले सऊद के अपराधों पर चाहे वह अतीत के अपराध हों या वर्तमान अपराध हों, ख़ामोश रहे, उन्होंने बारम्बार इराक़, सीरिया और यमन में आम नागरिकों के जनसंहार की साज़िश रची है, तनूमा जनसंहार में तीन हज़ार से अधिक यमनियों का ख़ून, हर स्वतंत्र और शरीफ़ इंसान की गर्दन पर है।

मुहम्मद हम्मूद मुअईयद आगे ट्वीट करते हैं कि हत्यारों के विरुद्ध युद्ध का मोर्चा हर एक पर खुला हुआ है, हम तनूमा को एक बड़ा जनसंहार समझते हैं जिसको अंजाम देने में आले सऊद की पाश्विकता को बयान नहीं किया जा सकता। यह अपराध सौ साल से आज तक यमनी जनता के विरुद्ध सऊदियों के आपराध का सिलसिला है। तनूमा जनसंहार से आज भी यमनियों का दिल तड़प उठता है, यह घाव सिर्फ़ दाइश की वहाबी विचारधारा और सऊदी व्यवस्था को समाप्त करके लिए ठीक होगा।

एक सक्रिय जर्नलिस्ट यहिया सुलह ने अपने ट्वीट में इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियों को शेयर करते हुए लिखा कि ब्रिटेन आले सऊद के साथ तनूमा जनसंहार में यमनी हाजियों के जनसंहार की घटना में सीधे तौर पर शामिल था।

अदी तमीमी ने भी ट्वीट कर आले सऊदी को संबोधित करते हुए लिखा कि यमनी राष्ट्र, तनूमा जनसंहार की घटना में अपने पूर्वजों के ख़ून को कभी भी नहीं भूलेगा और हाजियों के हत्यारों से बदले की मांग कर रहा है, वह दिन ज़रूर आएगा जब यमनी राष्ट्र अपने पूर्वजों के ख़ून का बदला लेगा।

अमीन शामी ने तनूमा जनसंहार को भयावह जनसंहार क़रार दिया जिसमें वहाबियों के साथ ब्रिटिश भी शामिल थे और इस घटना में तीन हज़ार यमनी शहीद हुए थे। उनका कहना था कि कुछ इतिहासकारों के अलावा इस घटना को बयान करने का किसी में भी साहस नहीं है।

अब्दुल हमीद यहिया ने भी तनूमा जनसंहार की सौवीं बरसी हैशटैग के अंतर्गत लिखा कि कोरोना की वजह से इंसानों की जान बचाने के बहाने इस साल हज कैंसिल करने की सऊदी सरकार की कार्यवाही, झूठ का पुलिंदा है क्योंकि जो सौ साल पहले 3 हज़ार हाजियों का क़त्ल कर दे वह इंसान ही नहीं हो सकता। (AK)

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