महान ईरानी वैज्ञानिक की हत्या के पीछे अमेरिका और इस्राईल के क्या हैं उद्देश्य? नेतनयाहू आग से खेल रहे हैं
सीरिया के एक प्रसिद्ध समाचार पत्र ने अपने विश्लेषण में लिखा है कि पुराने कड़वे अनुभवों के बावजूद ज़ायोनी शासन के आतंकवादी प्रधानमंत्री नेतनयाहू अभी भी आग से खेलना नहीं छोड़ रहे हैं।
सीरिया के प्रसिद्ध समाचार पत्र “अस्सौरा” द्वारा “नाकाम होती रणनीति” के शीर्षक के तहत लिखे गए लेख के ज़रिए ईरान के महान वैज्ञानिक शहीद डॉक्टर मोहसिन फ़ख़रीज़ादे की हत्या का विश्लेषण किया है। इस लेख में आया है कि इस्राईल एक बार फिर से बेकार और व्यर्थ राजनीति की ओर पलट आया है और इस बार वह ईरान के रास्ते से पलटा है। लेख में आया है कि हताशा से भरे इस्राईल ने हत्या का सहारा लिआ है ताकि क्षेत्र को एक नए तनाव की ओर ले जा सके और विश्ख को एक बड़े युद्ध में धकेल सके। सीरिया का अस्सौरा समाचार पत्र आगे लिखता है कि, ईरान के महान वैज्ञानिक शहीद फ़ख़रीज़ादे की हत्या का समय अपने आप में एक संदेश रखता है। इस संदेश में वह तमाम बातें भी हैं जो पर्दे के पीछे अमेरिका और इस्राईल के बीच चल रही है। ट्रम्प और नेतनयाहू दोनों लगातार इस प्रयास में हैं कि दुनिया और विशेषकर पश्चिमी एशिया के हालात को अस्थिर करके उससे पैदा होने वाली परिस्थितियों को वॉशिंग्टन और तेलअवीव के पक्ष में मोड़ सकें और अपनी इच्छाओं को पूरी कर सकें। साथ ही ट्रम्प और नेतनयाहू ऐसा इसलिए भी चाहते हैं ताकि उनके सिरों पर मंडरा रहे राजनीतिक संकट को वह इस रास्ते से दूर कर सकें।
अस्सौरा ने अपने लेख में लिखा है कि, ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाउस में बचे हुए दिनों से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाना चाहते हैं। इस्राईली प्रधानमंत्री को इस बात का डर सता रहा है कि ट्रम्प के व्हाइट हाउस से जाते ही उनके द्वारा पश्चिमी एशिया के लिए बनाई गई षड्यंत्रकारी योजना को नुक़सान पहुंच सकता है। जिन अरब देशों के शासक आज नेतनयाहू की जी हूज़ूरी में लगे हैं कल ट्रम्प के जाते ही उनसे दूरी बना सकते हैं। सीरियाई समाचार पत्र लिखता है कि, इस समय तेलअवीव नेतनयाहू के ख़िलाफ़ हर दिन होने वाले विरोध-प्रदर्शनों का साक्षी है और प्रदर्शनकारी लगातार उनका इस्तीफ़ा मांग रहे हैं। इस बीच ज़ायोनी प्रधानमंत्री चाहते हैं कि अपने राजनीतिक संकट को ट्रम्प के कंधों पर सवार होकर जितनी जल्दी हो सके दूर कर लें, क्योंकि अभी ट्रम्प हैं तो अरब हैं, कल ट्रम्प न रहे तो शायद अरब भी न रहें। वहीं ट्रम्प भी व्हाइट हाउस में ज़्यादा से ज़्यादा समय रहने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, यही कारण था कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन से हारने के बावजूद किसी भी क़ीमत मे अपनी हार को स्वीकार नहीं कर रहे थे। इसके पीछे उनका उद्देश्य व्हाइट हाउस में ज़्यादा से ज़्यादा समय रुक कर वह अपनी बिछाई हुई राजनीतिक बेसात को समेटना चाहते हैं।
सीरिया के प्रसिद्ध समाचार पत्र अस्सौरा ने अपने लेख के अंत में लिखा है कि, हर वह काम कि जो इस्राईल अंजाम दे रहा है, जोकि वास्तव में तो अमेरिका ही अंजाम दे रहा है, बेकार, व्यर्थ और ऐसा काम है कि जिसका कोई परिणाम नहीं निकलने वाला सिवाए अशांति के। इस्राईल और अमेरिका की यह पूरी तरह नाकाम होती रणनीति है, लेकिन विश्व शांति के लिए बहुत ही ख़तरनाक है। यह दोनों अपने षड्यंत्रकारी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दुनिया, विशेषकर पश्चिमी एशिया को एक बड़ी त्रास्दी की ओर ले जा रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि आतंकवादी नेतनयाहू अभी भी आग से खेल रहे हैं और समझ नहीं रहे हैं जबकि अतीत में उन्हें इसका कड़वा अनुभव हो चुका है। अतीत इस बात का गवाह रहा है कि हमेशा इस्राईल ने युद्ध तो आरंभ कर दिया, लेकिन कभी भी वह उस युद्ध को अपने पक्ष में नहीं कर पाया है। अंताता उसको पराजय का ही सामना करना पड़ा है और उस युद्ध में हमेशा प्रतिरोध के मोर्चों के ही विजयी हुए हैं। (RZ)
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