कार्यक्रम विश्व दर्पणः यमनी सेना के बढ़ते क़दम से सऊदी गठबंधन की तेज़ होती सांसें, यमनी राष्ट्र विजयी होने से कितना है दूर?
तेल से मालामाल रणनैतिक महत्व रखने वाले मआरिब प्रांत की ओर यमनी सेना के बढ़ते क़दम से सऊदी गठबंधन में चिंता की लहर दौड़ गयी है।
यमनी सेना और स्वयं सेवी बल के जवानों की मआरिब की ओर प्रगति और सऊदी अरब के भीतर महत्वपूर्ण क्षेत्रों को ड्रोन और मीज़ाइलों से निशाना बनाए जाने की वजह से सऊदी गठबंधन के समर्थक देशों में निराशा पैदा हो गयी है। ख़बरों में बताया गया है कि एक महीना पहले शुरु किए जाने वाले आप्रेशन के दौरान यमनी सेना और स्वयं सेवी बल के जवान मआरिब शहर से केवल सात किलोमीटर की दूरी पर हैं और उन्होंने अपने मोर्चे मज़बूत कर लिए हैं। यमनी सेना और स्वयं सेवी बल के जवानों ने सऊदी अरब की मजबूत रक्षा पंक्ति पर हमला करते हुए मलिक ख़ालिद एयरबेस और अबहा के हवाई अड्डों को ड्रोन से निशाना बनाया है। सऊदी अरब के ख़िलाफ़ की गई जवाबी कार्यवाही की स्वयं यमनी सेना के प्रवक्ता ने जानकारी दी। इससे पहले यमनी सेना ने जेद्दा के निकट सऊदी तेल कंपनी अराम्को को मीज़ाइल से निशाना बनाया था जिसकी सऊदी अरब ने पुष्टि भी की थी और दावा किया था कि उसने मीज़ाइल को हवा में ही मार गिराया है। अराम्को कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि यमनी मिसाइल के हमले में कितना नुक़सान हुआ है। यमन के मआरिब शहर के बारे में कहा जाता है कि अगर मआरिब पर यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों का नियंत्रण हो गया तो यह देश के अन्य क्षेत्रों की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त करेगा क्योंकि मआरिब प्रांत ही यमन के अन्य प्रांतों को आपस में जोड़ता है, अब सवाल यह पैदा होता है कि शक्ति का संतुलन किसकी ओर मुड़ रहा है। पाकिस्तान के प्रसिद्ध टीकाकार इरफ़ान अली का कहना है कि वर्तमान हालात को देखने के बाद यह फ़ैसला करना कठिन नहीं है कि यमन की जनता का प्रतिरोध सफलता के निकट है।
एक तरह जहां यमनी सेना की प्रगति जारी है वहीं सनआ सरकार ने यमन संकट के राजनैतिक समाधान पर भी बल दिया है। यमन की राष्ट्रीय एकता सरकार के विदेश मंत्री हेशाम शरफ़ अब्दुल्लाह ने सनआ में ईरानी राजदूत हसन इयरलू से मुलाक़ात में कहा था कि यमन संकट का सैन्य समाधान नहीं है बल्कि यह संकट केवल शांतिपूर्ण राजनैतिक तरीक़े से हल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा मज़बूत राजनैतिक हल जिससे यमनी जनता की ज़रूरतें पूरी हो सकें। यमनी विदेश मंत्री ने इस देश के संकट के हल के लिए ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ की ओर से अप्रैल 2015 में ही पेश की गयी योजना का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने यमन पर हमले रूकने और इस देश में राजनैतिक हल की प्राप्ति की बात कही थी। यमनी विदेश मंत्री ने योरोपीय संसद के हालिया फ़ैसले की भी सराहना करते हुए कहा था कि इन दोनों सुझावों पर यमन में शांति की बुनियाद रखी जा सकती है ताकि यमन की रक्षा के साथ साथ यमनियों को उनके सभी अधिकार मिल सके। यमन युद्ध में भी अमरीका का दोहरा रवैया साफ़ नज़र आ रहा है। अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने आज तक यमनियों पर सऊदी गठबंधन के हमले की निंदा नहीं की लेकिन जैसे ही यमनियों के जवाबी हमले होते हैं तो फ़ौरन अमरीका निंदा करने लगता है, तेहरान में रहने वाले टीकाकार गुलशन अब्बास नक़वी ने भी अमरीका के दोहरे रवैये की आलोचना करते हुए इस संबंध में अपने विचारों को व्यक्त किया है।
उधर यमन के अंसारूल्लाह संगठन के पोलित ब्यूरो ने उस ख़बर को रद्द किया है जिसमें कहा गया था कि ओमान की राजधानी मस्क़त में अंसारूल्लाह के प्रतिनिधि की अमरीकी पक्ष से सीधी मुलाक़ात हुयी थी। मुहम्मद अलबुख़ैती ने कहा कि यह मुलाक़ात सीधे तौर पर नहीं हुयी और इस बैठक का माहौल भी अच्छा नहीं था। उन्होंने कहा कि अमरीका, अंसारुल्लाह से एकपक्षीय रूप से जंग ख़त्म करने की मांग कर रहा था। कुल मिलाकर यमन की ग़रीब जनता इस समय बहुत ही दयनीय स्थिति में जीवन बिता रही है और संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य कार्यक्रम के अनुसार 27 मिलियन आबादी वाले देश यमन में पिछले 6 वर्ष से जारी युद्ध के दौरान दसियों हज़ार लोग हताहत और घायल हुए जबकि 30 लाख लोग बेघर हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के बयान में कहा गया है कि यमन के 21 मिलियन नागरिकों को त्वरित मानवता प्रेमी सहायता की आवश्यकता है, सऊदी गठबंधन के समर्थक यमन पर सऊदी अरब के अमानवीय हमलों की अनदेखी करते हुए देश की रक्षा करने वाली यमनी सेना पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसका कोई परिणाम निकलने वाला नहीं है।
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