शायद ही मिल सके रोहिग्या मुसलमानों को इंसाफ़
रोहिंग्या मुसलमानों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए एसा नहीं लगता कि उनको निकट भविष्य में किसी भी प्रकार का इंसाफ़ मिलने की संभावना है।
म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अत्याचार के आरोपों पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में सुनवाई इस हफ्ते फिर से शुरू हुई है। हालांकि इस कार्यवाही के जल्द अंजाम तक पहुंचने की संभावना दिखाई नहीं देती।
जानकारों का कहना है कि इसका मुख्य कारण यह है कि रोहिंग्या मामले में म्यांमार की सेना की जवाबदेही तय होने में वर्षों लग सकते हैं। इस हफ्ते शुरू हुई सुनवाई में पहले म्यांमार की आपत्तियों पर सुनवाई चल रही है।
इस बीच ये सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि म्यांमार का प्रतिनिधि कौन है? जब म्यांमार की तरफ से आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं, तब वहां पर आंग सान सू ची के नेतृत्व वाली पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी का शासन था। लेकिन पिछले साल वहां सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है। म्यांमार के सैनिक शासन को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अभी तक मान्यता नहीं दी है।
सैनिक शासन के विरोधियों ने म्यांमार में नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट "एनयूजी" नाम से एक समानांतर सरकार बनाई है। एनयूजी के विदेश मंत्री जिन मार आंग ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के जजों को पहले यह तय करना चाहिए कि म्यांमार का पक्ष रखने का अधिकार किसे है।
म्यांमार में दशकों से रोहिंग्या मुसलमान भेदभाव के शिकार रहे हैं। 2017 में उनके खिलाफ पुलिस और सेना दोनों की ज्यादतियां तेजी से बढ़ीं। आरोप है कि सेना ने उनके गांव के गांव जला डाले गए। इसी वजह से हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान सीमा पार करके बांग्लादेश और दूसरे देशों में चले गए।
2019 में गाम्बिया ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में एक केस फाइल किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया गया है। जनवरी 2020 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने म्यांमार सरकार को नरसंहार रोकने के क़दम उठाने के अस्थायी आदेश जारी किए। म्यांमार ने उसपर एतराज दर्ज कराया है।
इस बीच हजारों रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के शिविरों में रहने को मजबूर हैं। खबरों के मुताबिक वहां उनके खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। एक ताजा रिपोर्ट में बताया है कि बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी इलाके में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थी कैंप अब दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा शिविर बन चुका है। वहीं एक रोहिंग्या शरणार्थी नेता की पिछले सितंबर में हत्या कर दी गई थी। साथ ही वहां ड्रग्स सेवन और मानव तस्करी की घटनाएं बढ़ने की खबर है।
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी उच्चायुक्त के मुताबिक बांग्लादेश में नौ लाख 20 हजार से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं। बांग्लादेशी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक देश में अब यह चिंता गहरा रही है कि कहीं ये शरणार्थी अब स्थायी रूप से ही वहां न बस जाएं। इससे लोगों में विरोध भाव बढ़ा है। इस विषय के दृष्टिगत बांग्लादेश सरकार ने शरणार्थी शिविरों को चारों ओर से बाड़ से घेर दिया है।