इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ कौन कर रहा साज़िश? क्या अविश्वास प्रस्ताव की तारीख़ और दिन पहले से था तय? अमेरिका की इसमें क्या है भूमिका?
पाकिस्तान एक बार फिर अपने राजनीतिक संकट के इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि जब पाकिस्तान में इस तरह का राजनीतिक संकट आया है, लेकिन हां इस देश के पहली बार प्रधानमंत्री बने इमरान ख़ान को इस समय अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस बीच यह भी सवाल हो रहा है कि आख़िर इमरान ख़ान को सत्ता से कौन हटाना चाहता है?
अमेरिका ने पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने में वॉशिंगटन की भूमिका होने के आरोपों को खारिज किया है। गुरुवार को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका ने कहा कि उसने पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर इस देश के अधिकारियों के नाम कोई पत्र नहीं भेजा है। पाकिस्तान के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने बुधवार को संसद में उस समय बहुमत खो दिया, जब सत्तारूढ़ गठबंधन का एक प्रमुख भागीदार मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (MQM-P) विपक्षी खेमे में शामिल हो गया। विपक्षी खेमे ने नेशनल असेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इमरान ख़ान दावा कर रहे हैं कि विपक्ष द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव उनकी विदेश नीति के विरोध में रची गई एक ‘विदेशी साज़िश’ का नतीजा है और उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए विदेश से धन की आपूर्ति की जा रही है। बुधवार को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) के नेतृत्व वाली सरकार ने दावा किया कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ विदेशी साज़िश से जुड़े आरोप एक राजनयिक केबल पर आधारित हैं, जो विदेश में पाकिस्तान के एक मिशन से प्राप्त हुआ है।
‘द डॉन’ अख़बार के अनुसार, इमरान ख़ान सरकार ने शुरुआत में यह पत्र पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के साथ साझा करने की पेशकश की थी, लेकिन बाद में इमरान ख़ान ने अपनी कैबिनेट के सदस्यों को भी पत्र में मौजूद सामग्री के बारे में भी जानकारी दी। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक़, इसके बाद पत्रकारों के एक समूह को प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के साथ उनकी बातचीत के दौरान कैबिनेट बैठक का ब्योरा दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैठक में भले ही किसी विदेशी सरकार का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन पत्रकारों को बताया गया था कि संबंधित देश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तानी राजदूत को सूचित किया था कि उन्हें इमरान की विदेश नीति से समस्या है, ख़ासतौर पर रूस की उनकी यात्रा और यूक्रेन युद्ध के संबंध में उनके रुख को लेकर। इमरान ने 24 फरवरी को क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन से मुलाक़ात की थी। यह वही दिन है, जब रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।इसी के साथ इमरान ख़ान बीते 23 वर्षों में रूस का दौरा करने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बन गए थे। उनसे पहले नवाज़ शरीफ़ ने बतौर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री 1999 में मॉस्को की यात्रा की थी। मार्च महीने की शुरुआत में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसमें रूस से युद्ध रोकने का आह्वान किया गया था। इस्लामाबाद ने संघर्ष का समाधान वार्ता और कूटनीतिक माध्यम से तलाशने की वकालत की थी।‘द डॉन’ की ख़बर के मुताबिक़, पाकिस्तानी राजदूत को सूचित किया गया था कि दोनों देशों के रिश्तों का भविष्य उस अविश्वास प्रस्ताव पर निर्भर होता, जिसे विपक्षी दल उस समय इमरान के ख़िलाफ़ लाने की योजना बना रहे थे। इसके अनुसार, पाकिस्तानी राजदूत को आगाह किया गया था कि अगर इमरान ख़ान अविश्वास प्रस्ताव के बाद बहुमत साबित करने में सफल रहते हैं तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। बताया जाता है कि कथित पत्र सात मार्च को भेजा गया था, जिसके एक दिन बाद विपक्षी दलों ने इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर उस पर मतदान के लिए नेशनल असेंबली का एक सत्र बुलाने की मांग की थी।
इस बीच, ‘द डॉन’ ने दावा किया है कि कथित पत्र अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत असद मजीद द्वारा दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के अमेरिकी उप विदेश मंत्री डोनल्ड लू के साथ हुई उनकी बैठक के आधार पर भेजा गया था। मजीद अपना नया कार्यभार संभालने के लिए ब्रसेल्स रवाना हो चुके हैं। अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत के तौर पर उनकी जगह मसूद ख़ान ने ले ली है। रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर किसी भी अमेरिकी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने इस्लामाबाद को कोई पत्र नहीं भेजा है। कथित पत्र और PTI सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव में अमेरिका की संलिप्तता के बारे में डॉन के सवालों के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा ‘इन आरोपों में कोई सचाई नहीं है।’ वॉशिंगटन में मौजूद कुछ राजनयिक सूत्रों के अनुसार, यह पत्र पाकिस्तान के एक वरिष्ठ दूत द्वारा वॉशिंगटन के लिए तैयार कूटनीतिक पत्र हो सकता है। उन्होंने कहा कि पत्र की सामग्री पाकिस्तानी और अन्य देश के अधिकारियों के बीच हुई अनौपचारिक बातचीत पर आधारित है। (RZ)
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