रूस ने खेला तेल का खेल, अमेरिका चारो खाने चित, बाइडन परेशान, यूरोप हैरान
रूस ने तेल उत्पादक देश ओपेक के साथ मिलकर बड़ा खेल कर दिया है। ओपेक+ नाम से प्रसिद्ध इस संगठन ने तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया है। ऐसे में पहले से ही कम उत्पादन के कारण चरम पर पहुंचे तेल की कीमतों में और आग लगने का अनुमान है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका समेत पश्चिमी देश जहां एक ओर लगातार ओपेक देशों से तेल के उत्पादन को बढ़ाने का अनुरोध करते रहे हैं, वहीं ओपेक ने तेल के उत्पादन को कम करने का एलान करके अमेरिका और पश्चिमी देशों को चौंका दिया है। ओपेक की घोषणा के बाद व्हाइट हाउस ने उसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने रूस के साथ हाथ मिला लिया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करीन जीन-पियरे ने एयर फ़ोर्स वन के एक दौरे के दौरान कहा कि, "आज की घोषणा यह स्पष्ट करती है कि ओपेक प्लस रूस के साथ मिलकर काम कर रहा है।" बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अभी हाल ही में केवल इसीलिए सऊदी अरब की यात्रा भी की थी ताकि वह तेल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए रियाज़ को मना सकें। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को लेकर बाइडन शुरू से ही कड़े तेवर दिखाते रहे हैं, लेकिन जब मजबूरी आई तो उन्होंने रियाज़ में उन्हीं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। हालांकि, बाइडन का यह दौरा बिलकुल भी काम नहीं आया और सऊदी अरब ने तेल उत्पादन बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया था।
इस बीच तेल उत्पादन में कटौती करने के बाद ओपेक के वास्तविक नेता सऊदी अरब ने सफाई दी है। सऊदी ने कहा कि उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती पश्चिम में बढ़ती ब्याज़ दरों और कमज़ोर वैश्विक अर्थव्यवस्था का जवाब देने के लिए आवश्यक थी। यह कटौती वैश्विक आपूर्ति के 2 फ़ीसदी के बराबर है। सऊदी अरब ने तेल की क़ीमतों को बढ़ाने के लिए ओपेक प्लस समूह में शामिल रूस के साथ मिलीभगत की आलोचना को खारिज कर दिया है। सऊदी अरब ने कहा कि पश्चिम देश ओपेक प्लस समूह की आलोचना धन के अहंकार में करते हैं। वहीं व्हाइट हाउस ने भी ओपेक प्लस के इस फ़ैसले पर बयान जारी किया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन यह फैसला लेंगे कि क्या क़ीमतों को कम करने के लिए और अधिक मात्रा में स्ट्रैटजिक ऑयल स्टॉक को बाज़ार में जारी किया जाएगा या नहीं। व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति ओपेक प्लस के उत्पादन कोटा में कटौती के अदूरदर्शी फ़ैसले से निराश हैं। बता दें कि अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब समेत ओपेक देश तेल का उत्पादन बढ़ाएं। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतें कम होंगी और भारत-चीन जैसे विकासशील देश रूस की जगह फ़ार्स की खाड़ी के देशों से तेल खरीदेंगे। इस कारण रूस को होने वाली कमाई बिलकुल ही बंद हो जाएगी। लेकिन, बाइडन प्रशासन की सारी योजनाओं उस समय धक्का लगा जब ओपेक देशों ने उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया। इसका सीधा लाभ रूस को हुआ और उसके सस्ते तेल को ख़रीदने वालों की संख्या में ज़बरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। रूस के तेल ख़रीदारों में श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे तंगी की हालात से गुज़र रहे देश भी शामिल हो रहे हैं। इससे रूसी तेल की डिमांड बढ़ रही है और उसे ज़्यादा राजस्व मिल रहा है। (RZ)
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