ब्रिटेन के नए प्रधान मंत्री ऋषि सुनक की दक्षिण एशियाई या हिंदू पहचान की इतनी चर्चा क्यों हो रही है?
(last modified Tue, 25 Oct 2022 11:41:18 GMT )
Oct २५, २०२२ १७:११ Asia/Kolkata
  • ब्रिटेन के नए प्रधान मंत्री ऋषि सुनक की दक्षिण एशियाई या हिंदू पहचान की इतनी चर्चा क्यों हो रही है?

ऋषि सुनक को ब्रिटेन की कन्ज़र्वेटिव पार्टी का नेता घोषित कर दिया गया है, जिसके बाद 42 वर्षीय सुनक ब्रिटेन के पहले एशियाई मूल के और हिन्दू प्रधानमंत्री होंगे।

इसी साल छह जुलाई को ऋषि सुनक ने बोरिस जॉनसन की सरकार में वित्त मंत्री से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनके इस्तीफ़े के बाद कई और मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया था और आख़िरकार प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को अपने इस्तीफ़े की घोषणा करनी पड़ी थी।

जॉनसन के बाद आर्थिक संकट में फंसे ब्रिटेन की बागडोर लिज़ ट्रस ने संभाली, लेकिन सिर्फ़ 45 दिन बाद ही गुरुवार को उन्होंने भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।

ऋषि भारतीय मूल की तीसरी पीढ़ी हैं। उनके दादा-दादी ने भारत के विभाजन से पहले ही पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला शहर से ईस्ट अफ्रीका के लिए पलायन किया था। वह 1960 के दशक में इंग्लैंड के सॉउथैंप्टन शहर जाकर बस गए थे, जहां 1980 में ऋषि सुनक का जन्म हुआ।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि सुनक का प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक क्षण होगा, ठीक उसी तरह से जिस तरह अमेरिका में 2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने के समय हुआ था। ऋषि सुनक से पहले भी दक्षिण एशिया के मूल के नेता बड़े पदों पर रहे हैं, वे मंत्री भी बने हैं और मेयर भी, जैसे कि प्रीति पटेल इस देश की गृहमंत्री हैं और सादिक़ खान लंदन के मेयर हैं।

लेकिन प्रधानमंत्री के पद का दावेदार अब तक कोई नहीं हुआ था। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार सुनक का उदय एशियाई समुदाय की कामयाबी से जुड़ा है। उनका कहना है कि ब्रिटेन के समाज में विविधता सुनक और ख़ान जैसे नेताओं के उदय का कारण बनी है।

सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, सुनक ने 2015 में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए इंटरव्यू में कहा थाः मैं तो पूरी तरह से ब्रिटिश हूं। यह मेरा घर और देश है। लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है। मेरी पत्नी भारतीय है। मैं हिन्दू हूं और इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है।

सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च में सीनियर फ़ेलो सुशांत सिंह ने सुनक का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी की बहुसंख्यकवाद और हिंदुत्ववाद की राजनीति पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा हैः वर्तमान में भारत की केंद्र सरकार और सत्ताधारी पार्टी में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय से कोई न तो मंत्री है और न ही सांसद। दूसरी तरफ़, ब्रिटेन में सुनक के उभार पर भारत में यही लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फूले नहीं समा रहे हैं।

कांग्रेसी नेता शशि थरूर का भी कहना था कि अगर ब्रितानी लोग ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री बनाते हैं, तो यह दुनिया के लिए दुर्लभ घटना होगी, जहां सबसे ताक़तवर पद पर एक अल्पसंख्यक होगा। जब हम ऋषि के भारतीय कनेक्शन पर ख़ुश हो रहे हैं, तो आइए ईमानदारी से पूछते हैं कि क्या ये भारत में संभव है? msm

 

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