क्या भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर पड़ी बर्फ़ पिघल रही है?
पाकिस्तान के विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी शंघाई सहयोग संगठन के विदेशमंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए भारत के शहर गोवा पहुंच गये।
एक दश्क बाद किसी भी पाकिस्तान के उच्चाधिकारी का भारत का यह पहला दौरा है। पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने गोवा जाने से पहले ट्वीट किया कि मैं गोवा के रास्ते में हूं, जहां पर पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए शंघाई सहयोग संगठन के विदेशमंत्रियों की बैठक में भाग लूंगा, इस बैठक में भाग लेने का मेरा यह फ़ैसला, पाकिस्तान की ओर से संगठन के चार्टर के अनुसरण के मज़बूत इरादे को व्यक्त करता है।
पाकिस्तान ने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी है कि बिलावल भुट्टो अपने भारत दौरे के दौरान अपने भारतीय समकक्ष से मुलाक़ात नहीं करेंगे जबकि अफ़वाहों के बीच बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा था कि भारत दौरे को दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों की बेहतरी का चिन्ह नहीं समझना चाहिए, उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की अपील नहीं की और उनके इस दौरे को केवल एससीओ की परिधि में भी देखा जाए।
ज्ञात रहे कि शंघाई सहयोग संगठन आठ देशों का सुरक्षा और राजनैतिक ब्लाक है जिसमें रूस और चीन भी शामिल हैं। ईरान इस संगठन का नया सदस्य देश है और वह शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में विदेशमंत्री के स्तर पर आधिकारिक रूप से पहली बार भाग लेगा। इससे पहले तेहरान ने नई दिल्ली में रक्षामंत्रियों की बैठक में अपने रक्षामंत्री को भेजा था।
राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ली मियांग इस संबंध में कहते हैं कि ऐसा लगता है कि सदस्यों के विवादों के बारे में शंघाई की कमज़ोरियां उभर कर सामने आने लगी हैं
क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वंदियों भारत और पाकिस्तान की सदस्यता और साथ ही सीमा मुद्दों को लेकर चीन और भारत के बीच पैदा होने वाले मतभेदों की वजह से यह अंदाज़ लगाया जा सकता है कि ये मतभेद शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों की सहयोग और बातचीत की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित कर देंगे।
2020 के मध्य से दो परमाणु संपन्न एशियाई शक्तियों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं जबकि चीनी और भारतीय सुरक्षाकर्मियों के बीच सीमा पर टकराव हो चुका है जिसमें 24 लोग मारे गए थे।
भारत और चीन के बीच 3 हज़ार 800 किलोमीटर लंबी सीमा है और दोनों पक्षों के बीच हालिया सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद सीमा पर हद तक शांति स्थापित हो गयी लेकिन सीमा पट्टी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच छिटपुट टकराव जारी है जिससे ख़तरे को लेकर चिंता बढ़ गई है।
यहां पर इस बात पर ध्यान देने की बहुत ज़रूरत है कि भारत और चीन के बीच सीमा और क्षेत्रीय मुद्दा, इज़्ज़त का मुद्दा बन गया और दोनों में से कोई भी पक्ष इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है।
राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ राज सिंह यादव कहते हैं कि भारत और चीन को सहयोग विकसित करने के लिए आपसी मतभेदों को मौलिक रूप से हल करने की आवश्यकता है और इस संबंध में क्षेत्रीय और सीमा मुद्दों पर ध्यान देना बहुत ही महत्वपूर्ण समझा जाता है। (AK)