मानवीय मामलों की अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस में गुट-7 के राष्ट्राध्यक्षों की अनुपस्थिति
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने तुर्की के इस्तांबोल नगर में मानवीय मामलों की अंतर्राष्ट्रीय बैठक में गुट-7 के राष्ट्राध्यक्षों की अनुपस्थिति के कारण आलोचना की।
इस बैठक में देशों की ओर से प्रतिबद्धताओं और उसे लागू करने की शैली पर चर्चा हुयी।
बान की मून ने न सिर्फ़ जंग और शांति जैसे मूल विषयों बल्कि मानवीय मामलों में किसी प्रकार की प्रगति न होने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों की आलोचना करते हुए बल दिया कि इन नेताओं की अनुपस्थिति उनकी अक्षमता का औचित्य नहीं बन सकती।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कॉन्फ़्रेंस ऐसी स्थिति में आयोजित हुयी जब दुनिया के बहुत से क्षेत्रों में जंग व रक्तपात जारी है। एशिया और अफ़्रीक़ा के बहुत से देश आतंरिक या क्षेत्रीय जंगों में फंसे हुए हैं। अशांति व हिंसा के कारण इनमें से ज़्यादातर देशों को खाद्य पदार्थ और दवाओं सहित अनेक समस्याओं का सामना है। दूसरी ओर शरणार्थियों का कठिन जीवन भी एक गंभीर संकट है। बहुत से शरणार्थी सीमाओं या कैंपों में बहुत ही दयनीय ज़िन्दगी जीने पर मजबूर हैं। बहुत से अफ़्रीक़ी देशों को सूखे का सामना है जिसमें ज़िम्बाब्वे और इथोपिया सबसे ऊपर हैं।
नाइजीरिया, सोमालिया, माली सहित दूसरे क्षेत्रीय देशों में अशांति व आतंकवादी गुटों की गतिविधियों के कारण इन क्षेत्रों की जनता तक खाद्य पदार्थ पहुंचाना भी एक गंभीर विषय है। यह ऐसी स्थिति में है कि जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने भुखमरी के कारण मानव त्रासदी को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मदद में वृद्धि की अपील की है।
इसके बावजूद दुनिया के बड़े व शक्तिशाली देश इन विषयों पर मानवीय भाव से चर्चा तो करते हैं और मदद की बढ़ चढ़ कर बात करते हैं किन्तु व्यवहारिक रूप से पीछे हैं।
इनमें से ज़्यादातर जंगें दुनिया के बड़े देशों के हस्तक्षेप के कारण भड़की हैं किन्तु जब स्थिति संकटमय हो गयी तो इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष व अधिकारी इस प्रकार की बैठकों में भाग लेने से दामन छुड़ा रहे हैं।
शनिवार को बान की मून ने इस्तांबोल में मानवीय मामलों की अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस में, अपने भाषण में कहा कि झड़पों व हिंसाओं में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण ज़रूरतों को पूरी करने के लिए वित्तीय संसाधनों की आपूर्ति, राजनैतिक संकल्प न होने के कारण कम होती जा रही हैं। उन्होंने देशों द्वारा अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी न करने का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इस वक़्त दुनिया में 5 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर हैं।
दुनिया में मानवीय त्रासदी को बढ़ने से रोकने के लिए विश्व स्तर पर नीति बदलने की ज़रूरत है। बड़ी शक्तियों को युद्धोन्माद रोकना होगा। देश अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी करें और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के परिप्रेक्ष्य में खाद्य पदार्थ, दवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में मानवीय मदद बढ़नी चाहिए। (MAQ/T)